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    योगी आदित्यनाथ सरकार ने किया पुख्ता इंतजाम, ऐसे रोकी जाएगी संपत्तियों की रजिस्ट्री में धोखाधड़ी

    Updated: Wed, 14 May 2025 11:17 PM (IST)

    Yogi Adityanath Government निबंधन मित्र संपत्ति की रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टांप शुल्क रजिस्ट्रीकरण फीस आदि निकालने के साथ ही रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया में सहायक की भूमिका अदा करेंगे। ज्यादातर उप निबंधक कार्यालयों की दुर्दशा को देखते हुए सरकार उनके आधारभूत ढांचा का कायाकल्प भी करने जा रही है।

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    ब्यूरोः आधार प्रमाणीकरण से रोकी जाएगी संपत्तियों की रजिस्ट्री में धोखाधड़ी

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : प्रदेश में संपत्तियों के फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार अब पुख्ता इंतजाम करने जा रही है। अब संपत्ति स्वामी के फर्जी आधार कार्ड में कूटरचना के दम पर किसी भी भवन-भूखंड की रजिस्ट्री कराना आसान न होगा।

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    राज्य सरकार संपत्तियों की रजिस्ट्री में बढ़ती धोखाधड़ी को देखते हुए आधार प्रमाणीकरण की व्यवस्था को लागू करने जा रही है। गलत पहचान से भवन-भूखंड की खरीद-फरोख्त पर अंकुश लगाने के साथ ही सरकार रजिस्ट्री के पेपर तैयार करने में मदद के लिए निबंधन मित्र की व्यवस्था भी करने जा रही है।

    निबंधन मित्र संपत्ति की रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टांप शुल्क, रजिस्ट्रीकरण फीस आदि निकालने के साथ ही रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया में सहायक की भूमिका अदा करेंगे। ज्यादातर उप निबंधक कार्यालयों की दुर्दशा को देखते हुए सरकार उनके आधारभूत ढांचा का कायाकल्प भी करने जा रही है ताकि रजिस्ट्री के लिए कार्यालय में आने वाले पक्षकारों को बेहतर माहौल के साथ उत्कृष्ट सेवाएं मिल सकें।

    दरअसल, लगातार ऐसे मामले प्रकाश में आ रहे हैं कि किसी की संपत्ति का कोई भी स्वामी बनकर उसकी रजिस्ट्री कर दे रहा है। धोखाधड़ी से रजिस्ट्री करने के लिए संपत्ति स्वामी का बाकायदा फर्जी आधार तक बनवा लिया जा रहा है। चूंकि मौजूदा व्यवस्था में किसी की संपत्ति के स्वामित्व को जांचने का दायित्व उप निबंधकों का नहीं है इसलिए पहचान के लिए सिर्फ आधार की फोटो कापी लगाकर रजिस्ट्री कर दी जा रही है।

    स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि बढ़ते संपत्ति विवादों के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए कि रजिस्ट्री से पहले खासतौर से भूमि संबंधी दस्तावेजों की जांच के साथ ही भू-स्वामी का अनिवार्य रूप से सत्यापन किया जाए। ऐसे में विभाग अब संपत्ति की रजिस्ट्री में आधार प्रमाणीकरण की व्यवस्था को अनिवार्य रूप से लागू करने जा रहा है।

    ऐसे में गलत पहचान के आधार पर धोखाधड़ी से रजिस्ट्री कराना संभव नहीं होगा जिससे विवादों में कमी आएगी। जायसवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश व हरियाणा की तरह यहां भी रजिस्ट्री होते ही संपत्ति के खरीददार का नाम तत्काल संबंधित दस्तावेज में दर्ज करने की व्यवस्था बनाने पर भी विचार-विमर्श किया जा रहा है। ऐसे में किसी भी व्यक्ति द्वारा एक ही संपत्ति को एक बार बेचने के बाद उसी को किसी दूसरे को बेचा नहीं जा सकेगा।

    मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 380 उप निबंधन कार्यालय हैं। इनमें से ज्यादातर में उचित व्यवस्था नहीं है। सरकार पासपोर्ट कार्यालय की तरह उपनिबंधक कार्यालय बनाना चाहती है ताकि लोगों को बेहतर माहौल और उत्कृष्ट सेवाएं मिल सकें। जायसवाल ने बताया कि फ्रंट आफिस परियोजना के तहत व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए किसी संस्था का चयनकर उसकी सेवाएं ली जाएंगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि निजीकरण किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजस्व जुटाने वाले उनके विभाग का निजीकरण नहीं किया जा सकता, लेकिन सरकार का लगातार प्रयास है कि व्यवस्थाएं सुधरें। इसके लिए स्नातक किए कंप्यूटर के जानकरों को निबंधन मित्र के तौर पर रखा जाएगा। उल्लेखनीय है निजीकरण की आशंका में कुछ जिलों में वकीलों की हड़ताल होने की जा रही है।

    महानिरीक्षक निबंधन समीर वर्मा ने बताया कि पहले पहल 48 उपनिबंधक कार्यालय के निर्माण के लिए धनराशि मंजूर कर दी गई है। इनमें सिधौली, महोली, शोहरतगढ़, भिनगा, कुंडा, जयसिंहपुर, लंभुआ, मऊ, बिधुना, चंदौली सदर, भोगनीपुर, पुरवा, बांगरमऊ, सफीपुर, सवायजपुर, आलापुर, अकबरपुर, बलरामपुर सदर, रामसनेहीघाट, सीतापुर, कानपुर नगर सदर, औरैया व चित्रकूट सदर, अकबरपुर, मिल्कीपुर, रूदौली, चुनार, नवाबगंज, फतेहपुर, गौरीगंज, सकलडीहा, गाजीपुर सदर, गंगापुर, गाजियाबाद, गोला, घनघटा, मेहदावल, बांसी, डुमरियागंज, इटवा, ग्रेटर नोएडा, डिबाई, अमरोहा, नकुड़, मुरादाबाद, मथुरा व शामली सदर तथा खुर्जा उपनिबंधक कार्यालय हैं।

    सौ रुपये तक के प्रति स्टांप पेपर पर वेंडर को मिलेंगे पांच रुपये

    सरकार ऐसी व्यवस्था भी करने जा रही है कि 10 से 100 रुपये तक के स्टांप पेपर के लिए आपको अतिरिक्त धनराशि वेंडर को न देनी पड़े। इसके लिए 10,20, 50 व 100 रुपये के प्रति स्टांप पेपर के लिए पांच रुपये बतौर कमीशन वेंडर को देने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि चूंकि अभी एक प्रतिशत से भी कम कमीशन है इसलिए वेंडर 100 रुपये तक के स्टांप पेपर पर अतिरिक्त धनराशि भी वसूल रहे हैं। उन्होंने बताया कि पांच रुपये प्रति स्टांप पेपर की व्यवस्था लागू होने के बाद अगर कोई अतिरिक्त धनराशि वसूलना मिलेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने बताया कि प्रतिदिन 100 रुपये तक के दो से ढाई लाख स्टांप पेपर खरीदे जा रहे हैं।