UP News : बंटवारे का खर्चा घटने से समाप्त होंगे संपत्ति विवाद, कम होगा कोर्ट में मुकदमों का बोझ
Yogi Adityanath Government Found Solid Solution अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2019 से वर्ष 2023 के दरमियान सिर्फ 244 विभाजन डीड पंजीकृत कराए गए। वर्ष 2023 में सिर्फ 44 विभाजन डीड पंजीकृत हुईं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सिर्फ पांच हजार रुपये स्टांप ड्यूटी व पांच हजार रुपये निबंधन शुल्क किए जाने से विभाजन डीड को पंजीकरण कराने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होगी।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : सरकार से पैतृक संपत्ति के विभाजन का खर्चा मात्र 10 हजार रुपये करने की मंजूरी से प्रदेश में बड़ी संख्या में संपत्ति के विवाद खत्म होने की उम्मीद जताई गई है। विभाजन की पक्की लिखा-पढ़ी से जहां पारिवारिक संपत्ति विवाद खत्म होने के कारण कोर्ट में मुकदमों का बोझ कम होगा वहीं परिवारों का मुकदमें का खर्चा बचेगा।
स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि अब तक विभाजन विलेख (डीड) पर संपत्ति के कुल मूल्य का पांच प्रतिशत तक का भारी-भरकम खर्च होने के कारण परिवार के लोग उनका पंजीयन कराने के लिए आगे नहीं आते थे। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2019 से वर्ष 2023 के दरमियान सिर्फ 244 विभाजन डीड पंजीकृत कराए गए। वर्ष 2023 में सिर्फ 44 विभाजन डीड पंजीकृत हुईं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सिर्फ पांच हजार रुपये स्टांप ड्यूटी व पांच हजार रुपये निबंधन शुल्क किए जाने से विभाजन डीड को पंजीकरण कराने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होगी।
स्टांप व निबंधन शुल्क में भारी-भरकम छूट
जायसवाल ने कहा कि स्टांप व निबंधन शुल्क में भारी-भरकम छूट देने से विभाजन विलेख के पंजीकरण बढ़ेंगे। ऐसे में पारिवारिक विवाद घटेंगे जिससे दीवानी व राजस्व न्यायालयों में मुकदमें घटेंगे। उल्लेखनीय है कि विभाजन विलेख में सभी पक्षकार विभाजित संपत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं। संपत्ति का विभाजन उनके बीच ही होता है। विभाजन विलेख में स्टांप व निबंधन शुल्क की छूट एक ही मृतक व्यक्ति की संपत्ति का उसके सभी वंशजों (सह स्वामी) के बीच बंटवारे पर मिलेगी।
दो लाख से अधिक पारिवारिक संपत्ति विवाद
मोटे तौर पर माना जा रहा है कि अभी कोर्ट में दो लाख से अधिक पारिवारिक संपत्ति विवाद के मामले लंबित हैं। विभाजन डीड का खर्च घटने से लोग संपत्ति बंटवारे का पंजीयन कराएंगे तो मुकदमें पर खर्च होने वाले तीन-चार हजार करोड़ रुपये तक बचेंगे। हालांकि, सरकार को राजस्व का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि पंजीकृत कराए गए 244 विभाजन विलेख से ही सरकार को जहां स्टांप ड्यूटी के तौर पर 5.71 करोड़ रुपये वहीं बतौर निबंधन शुल्क 92.87 लाख रुपये मिले हैं। अगर 10 हजार रुपये में 244 निबंधन विलेख पंजीकृत किए गए होते तो सरकार को 5.58 करोड़ रुपये स्टांप ड्यूटी व 80.67 लाख रुपये निबंधन शुल्क घट जाता।
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