Mukhtar Ansari: कैसे खत्म हुआ अपराध की दुनिया का सबसे बड़ा बादशाह? हिल गया था उत्तर प्रदेश, पूरी कहानी
कुख्यात माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी का 28 मार्च 2024 को बांदा जेल में निधन हो गया। चार दशकों तक अपराध और राजनीति में सक्रिय मुख्तार की तबीयत बिगड़ने पर उसे रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया लेकिन डॉक्टर उसे बचा नहीं सके। माफिया की मौत ने अपराध-राजनीति के गठजोड़ का एक बड़ा अध्याय खत्म कर दिया ।

डिजिटल डेस्क/आयशा शैख, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद कुख्यात माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी का 28 मार्च, 2024 को निधन हो गया, जो 2024 के सबसे चर्चित घटनाक्रमों में से एक रहा। चार दशकों तक अपराध और राजनीति के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने वाले मुख्तार की तबीयत बिगड़ने पर उसे रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां 9 डॉक्टरों की टीम ने उसकी जान बचाने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सके।
मुख्तार की मौत के साथ ही इस साल अपराध और राजनीति के गठजोड़ का एक बड़ा अध्याय समाप्त हो गया, जिसने लंबे समय तक उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को चुनौती दी थी। जरायम के अखाड़े से लेकर कानूनी दांवपेंच का मास्टरमाइंड मुख्तार चार दशकों तक पुलिस के लिए ऐसी चुनौती बना रहा कि कोई गवाह-कोई साक्ष्य उसके खिलाफ खड़ा नहीं हो सका।
कैसे हुई मुख्तार अंसारी की मौत?
28 मार्च, 2024 को जेल की बैरक में मुख्तार अंसारी की तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उसे रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताई। मुख्तार को पहले आईसीयू और फिर सीसीयू में भर्ती किया गया, जहां 9 डॉक्टरों की टीम ने इलाज किया, लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी।
मुख्तार को इससे पहले 26 मार्च, 2024 को कब्ज की समस्या के चलते मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद उसी दिन जेल वापस भेज दिया गया था। 27 मार्च, 2024 को जेल में उसकी सेहत का परीक्षण किया गया, जिसमें सब कुछ सामान्य बताया गया। हालांकि, गुरुवार रात अचानक तबीयत बिगड़ने पर यह मामला गंभीर हो गया।
मुख्तार की मौत के बाद सुरक्षा के मद्देनजर गाजीपुर, मऊ और अन्य संवेदनशील जिलों में अलर्ट जारी किया गया था। मऊ, बांदा और गाजीपुर में धारा 144 लागू कर दी गई थी, जबकि पुलिस लाइन से भारी संख्या में फोर्स तैनात थी।
जेल में हत्या का प्रयास किया जा रहा: मुख्तार
मुख्तार ने सुनवाई के दौरान अदालत में आरोप लगाया था कि जेल में उसकी हत्या का प्रयास किया जा रहा है। उसने खाने में धीमा जहर दिए जाने की आशंका जताई थी, जिसके चलते उसकी तबीयत बार-बार खराब हो रही थी। इस पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने जेल प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी। मुख्तार के बेटे उमर अंसारी ने भी पिता की मौत के बाद जेल प्रशासन पर जहर खिलाकर मारने का आरोप लगाया था।
मजिस्ट्रियल जांच हुई तो साफ हो गया है कि माफिया मुख्तार अंसारी की मौत जहर से नहीं, हार्ट अटैक से हुई थी। बैरक में मिले गुड़, चना और नमक में जहर नहीं पाया गया था। मजिस्ट्रियल जांच एडीएम वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार कर रहे थे। 29 मार्च, 2024 को एसजीपीजीआइ लखनऊ से आए डॉ. सत्येंद्र कुमार तिवारी सहित पांच चिकित्सकों के पैनल ने वीडियोग्राफी के बीच पोस्टमार्टम किया था। इसमें हार्ट अटैक से मौत की पुष्टि हुई थी।
जेल की सलाखों के पीछे से मुख्तार अंसारी का राजनीतिक खेल
जेल में रहते हुए भी मुख्तार अंसारी ने राजनीति को अपने लाभ के लिए साधने में महारत दिखाई। बाहुबल और रसूख के बल पर उसने कमजोर उम्मीदवारों को जिताने में मदद की और खुद भी पांच बार विधायक बना। 1996 में पहली बार बसपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचने वाला मुख्तार बाद में सपा के साथ भी जुड़ा।
मुख्तार पांच बार विधायक बना। दो बार निर्दलीय उम्मीदवार रहकर भी विधानसभा चुनाव जीता। राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए उसने कौमी एकता दल नाम की पार्टी बनाई और अपने बड़े भाई अफजाल अंसारी को सांसद तथा बेटे अब्बास अंसारी को विधायक बनाने में सफलता हासिल की। बसपा के टिकट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट से भी किस्मत आजमाई। हालांकि वह हार गया था।
पहला मुकदमा और अपराध का सफर
मुख्तार का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था। उसके पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था। मुख्तार अंसारी तीन भाईयों में सबसे छोटा था। उसके पत्नी का नाम अफशा अंसारी है। मुख्तार के दो बेटे हैं- अब्बास अंसारी व उमर अंसारी।
मुख्तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी महात्मा गांधी के करीबी हुआ करते थे। यही नहीं अपने जमाने के मशहूर सर्जन मुख्तार अहमद अंसारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर उस्मान महावीर चक्र विजेता रहे हैं। ब्रिगेडियर उस्मान 1947 की नौशेरा की जंग में शहीद हुए थे।
डॉ मुख्तार अहमद अंसारी
यही नहीं मुख्तार के पिता भी कद्दावर नेता थे। कभी मुख्तार अंसारी के घर पर फरियादियों की भीड़ लगी रहती थी। पूर्वांचल में वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर और मऊ में अंसारी परिवार का नाम था। मख्तार अपने खानदान से थोड़ा अलग था।
90 के दशक में ये वो दौर था जब पूर्वांचल में एक नये तरह का अपराध सिर उठा रहा था। रेलवे शराब और दूसरे सरकारी ठेके हासिल करने की रेस में अपराधियों के कई गैंग उभरने लगे थे। पूर्वांचल में माफिया डॉन और बाहुबली तेजी से उभर रहे थे। गाजीपुर के कॉलेज में पढ़ाई कर रहे मुख्तार को इस ताकत का अंदाजा लग चुका था।
उन्हीं दिनो मुख्तार ने एक बाहुबली मखनू सिंह से हाथ मिला लिया। यहां से शुरू हुआ लाशें गिराना का सिलसिला।उसी दौरान एक कोर्ट परिसर में हुए एक गोलीकांड के बाद एक नाम उभर कर आया। इसमें मखूनी के दुश्मन साहिब सिंह की गोली लगने से हत्या हुई थी।
कत्ल के बाद जो नाम सुर्खियों में आया वो मुख्तार का था। कहा जाता है वो गोली मुख्तार ने चलाई थी, लेकिन किसी ने उसे गोली चलाते हुए देखा नहीं था। सिंगल गन शॉट में कत्ल का यह केस बेहद रहस्यमय और हैरान करने वाला था।
मुख्तार अंसारी के खिलाफ पहला हत्या का मुकदमा 1986 में दर्ज हुआ। उस समय उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। मुख्तार पर तत्कालीन कांग्रेस नेताओं का भी हाथ रहा। प्रदेश में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन किसी ने उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की हिम्मत नहीं दिखाई।
कानूनी दांवपेंच में माहिर मुख्तार वर्षों तक अदालतों में आरोप तय होने की प्रक्रिया को लटकाता रहा। 2017 के बाद प्रदेश सरकार ने मुख्तार जैसे बड़े अपराधियों के खिलाफ प्रभावी पैरवी का निर्देश दिया, जिसके बाद अभियोजन विभाग ने मुख्तार के मामलों में कार्रवाई तेज की।
माफिया के खिलाफ बढ़ती कार्रवाई
मुख्तार अंसारी के साथ ही अन्य बड़े माफिया, जैसे अतीक अहमद, विजय मिश्रा, और सोहराब समेत कई अपराधियों के खिलाफ भी प्रदेश में सख्त कार्रवाई हुई। इन अपराधियों पर दर्ज मुकदमों में कोर्ट से सजा दिलाने का अभियान चलाया गया।
परिवार पर भी मुकदमे
मुख्तार के परिवार के कई सदस्य के खिलाफ भी मुकदमे हैं। पत्नी अफशां अंसारी पर धोखाधड़ी समेत 11 मुकदमे दर्ज हैं। बड़े भाई सिबगतुल्ला और अफजाल अंसारी पर भी कई मुकदमे हैं। उसके विधायक बेटे अब्बास अंसारी और छोटे बेटे उमर अंसारी पर भी कई गंभीर मामले दर्ज हैं। मुख्तार का कुनबा भी उसी कानूनी शिकंजे का सामना कर रहा है, जो खुद मुख्तार के अपराध के सफर का हिस्सा रहा।
- पत्नी अफशां : मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी के विरुद्ध 11 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें धोखाधड़ी व गैंगेस्टर एक्ट समेत अन्य धाराओं में मुकदमे शामिल हैं। तीन मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। शेष में पुलिस कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है।
- भाई सिबगतुल्ला : मुख्तार के बड़े भाई पूर्व विधायक सिबगतुल्ला अंसारी के विरुद्ध तीन मुकदमे दर्ज हैं। इनमें जानलेवा हमले व शस्त्र अधिनियम के मामलों में वह दोषमुक्त हो चुके हैं। जबकि जानलेवा हमले के एक अन्य मामले में गाजीपुर पुलिस अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी है।
- भाई अफजाल : अफजाल अंसारी के विरुद्ध सात मुकदमे दर्ज हैं। हत्या के एक मुकदमे की सीबीआइ जांच चल रही है। हत्या का एक मुकदमा खत्म कर दिया गया था।
- पुत्र अब्बास : मुख्तार के विधायक पुत्र अब्बास अंसारी के विरुद्ध आठ मुकदमे दर्ज हैं। अब्बास की पत्नी निखत को बीते दिनों चित्रकूट पुलिस ने पकड़ा था। चित्रकूट जेल में वह अब्बास से गैरकानूनी ढ़ंग से मिलने जाती थी। निखत के विरुद्ध चित्रकूट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व आपराधिक षड्यंत्र समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था।
- पुत्र उमर : उमर अंसारी के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं छह मुकदमे दर्ज हैं।
मुख्तार के चर्चित केस
कृष्णानंद राय की हत्या
मुलायम सिंह यादव ने पूर्वांचल में सपा की पकड़ मजबूत करने के लिए मुख्तार को चुना था। 2004 के लोकसभा चुनाव में सपा से अफजाल अंसारी और भाजापा से मनोज सिन्हा गाजीपुर सीट से आमने-सामने थे। मास्टरमाइंड मुख्तार ने अपनी ताकत के बल पर अफजाल अंसारी को दो लाख वोटों के अंतर जीत दर्ज कराई।
हालांकि, 2005 में हुए मऊ दंगे में एक बार फिर मुख्तार की पकड़ को कमजोर कर दिया। मुख्तार पर दंगे भड़काने का आरोप लगा और उसे आत्मसमर्पण करना पड़ा, जिससे वो जेल गया। फिर मुख्तार ने जेल से ही भाजपा के दिग्गज नेता कृष्णानंद राय की हत्या को अंजाम देने की सजिश रची।
कृष्णानंद राय की हत्या क्यों?
कृष्णानंद राय और मुख्तार के बीच तनातनी काफी समय से चल रही थी। मोहम्मदाबाद सीट 25 सालों से अंसारी परिवार का कब्जा था, लेकिन कृष्णानंद राय ने 2002 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीत दर्ज कर मुख्तार के किले को ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने मुख्तार को खुली चुनौती दी थी। मुख्तार हार बर्दाश्त नहीं कर सका और हार का बदला हत्या से लिया। हत्या में ऐके 47 का इस्तेमाल किया गया था। करीब 400 राउंड फायरिंग हुई।
अवधेश राय हत्याकांड
3 अगस्त 1991 को वाराणसी के लहुराबीर क्षेत्र स्थित आवास के गेट पर अवधेश राय अपने छोटे भाई अजय राय के साथ खड़े थे, तभी हथियारबंद बदमाशों ने उन पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं और हत्या कर दी। अवधेश राय हत्याकांड में 5 जून 2023 को कोर्ट ने मुख्तार समेत अन्य को दोषी करार दिया था। मुख्तार अंसारी को अवधेश राय हत्याकांड में आजीवन कारावास और 1 लाख रुपये का जुर्माने की सजा मिली।
रॉबिनहुड इमेज वाला अंसारी न्याय व्यवस्था के लिए चुनौती: हाई कोर्ट
2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधायक निधि के दुरुपयोग के मामले में आरोपी मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए टिप्पणी की थी हिंदी भाषी राज्यों में अंसारी की रॉबिनहुड की ख्याति के चलते पहचान बताने की जरूरत नहीं है। 1986 से अपराध की दुनिया से जुड़े अंसारी के खिलाफ 50 से अधिक आपराधिक केस दर्ज है लेकिन आज तक किसी केस में भी उसे सजा नहीं मिल सकी।
यह ह्वाइट कालर अपराधी न्याय व्यवस्था के लिए चुनौती बना हुआ है। जेल में बंद रहते विधायक चुना गया। विधायक निधि से 25 लाख रुपये स्कूल के लिए दिये, जिसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ और उसे भी हजम कर गये। कर दाताओं के पैसे का दुरुपयोग किया गया। ऐसे में वह जमानत पर रिहा होने का हकदार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अन्य आरोपी को मिली जमानत की पैरिटी याची के आपराधिक इतिहास को देखते हुए नहीं दी जा सकती।
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