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    UP News: एक्सरे टेक्नीशियन भर्ती के दस्तावेजों की जांच में फंसा स्वास्थ्य विभाग

    Updated: Fri, 10 Oct 2025 04:00 AM (IST)

    एक्सरे टेक्नीशियन भर्ती में स्वास्थ्य विभाग दस्तावेजों की जांच में फंसा। दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर संदेह के कारण गहन छानबीन चल रही है, जिससे भर्ती प्रक्रिया में देरी हो रही है। विभाग दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रहा है ताकि कोई त्रुटि न रहे।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। वर्ष 2008 में हुए एक्सरे टेक्नीशियन भर्ती मामले की जांच में स्वास्थ्य महानिदेशालय के अधिकारी स्वयं फंसते जा रहे हैं। निदेशक पैरा मेडिकल डा़ रंजना खरे ने इस भर्ती से संबंधित नियुक्ति पत्र जिलों से मांगे हैं। उनका कहना है कि भर्ती के दस्तावेज वर्ष 2015 की आग में जल गए। जबकि वर्ष 2014 में हुई भर्ती के मामले में महानिदेशालय के अधिकारी वर्ष 2019 में हाईकोर्ट इलाहाबाद में कार्रवाई का जवाब दाखिल कर चुके है।

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    भर्ती में फर्जीवाड़े की शिकायत करने वाले अभ्यर्थियों अब वर्ष 2008 भर्ती और वर्ष 2014 भर्ती के दस्तावेजों की जांच की मांग कर रहे हैँ।

    एक्स-रे टेक्नीिशयन भर्ती में गड़बड़ियों की शिकायत करने वाले अभ्यर्थियों के अनुसार वर्ष 2019 में तत्कालीन अपर निदेशक पैरा मेडिकिल डा़ नंद किशोर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वर्ष 2014 में हुई 287 पदों की भर्ती को निरस्त करने के मामले में जवाब दाखिल किया था।

    अभ्यर्थियों ने इस भर्ती के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनका कहना है कि जब भर्ती के सभी दस्तावेज जल गए तो वर्ष 2014 में हुई भर्ती में हाईकोर्ट में जवाब कैसे दाखिल किया गया है। जबकि एक ही अनुभाग में सभी दस्तावेज रखे जाते हैं। यदि वर्ष 2014 के भर्ती के दस्तावेज सुरक्षित हैं तो वर्ष 2008 में हुई भर्ती की जांच में स्वास्थ्य महानिदेशालय अलग रवैया क्यों अपना रहा है।

    गौरतलब है कि एक्स-रे टेक्नीशियन के 287 पदों पर के लिए वर्ष 2014 में साक्षात्कार शुरू हुए थे। इस भर्ती में अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से अंक देने के आरोप लगे थे। तत्कालीन सरकार ने जांच कराई तो आरोप सही पाए गए। इसके बाद वर्ष 2014 में हुई इस भर्ती को साक्षात्कार में गड़बड़ी के बाद निरस्त कर दिया गया था।

    इसी मामले में अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। स्वास्थ्य महानिदेशक डा़ रतन पाल सिंह सुमन का कहना है कि उपलब्ध सभी दस्तावेजों की जांच हो रही है। जो नहीं मिल रहे हैं, उन्हें ही जिलों से मंगाया जा रहा है। हाईकोर्ट में दिए गए जवाब के बारे में भी जानकारी ली जाएगी।