UP News: फर्जी एक्स-रे टेक्नीशियन हो गया फरार, नहीं चेता स्वास्थ्य महानिदेशालय
वर्ष 2016 में स्वास्थ्य विभाग में एक्स-रे टेक्नीशियन की फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया। हाथरस के सीएचसी में शरद यादव के नाम पर एक युवक फर्जी नौकरी कर रहा था। बैंक पासबुक से खुलासा होने पर वह फरार हो गया। स्वास्थ्य महानिदेशालय की लापरवाही के चलते कोई जांच नहीं हुई जिससे अन्य फर्जी टेक्नीशियन भी नौकरी करते रहे।

राज्यू ब्यूरो, लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 2016 में हुई एक्स-रे टेक्नीशियन की फर्जी नियुक्ति के मामले में कई खुलासे एक साल के अंदर ही हो गए लेकिन स्वास्थ्य महानिदेशालय की लापरवाही से एक भी मामले में कार्रवाई नहीं हो पाई।
एक मामला हाथरस के सहपऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) का 2017 में सामने आया। वहां शरद यादव के नाम का एक युवक फर्जी तरीके से असली शरद यादव के नाम पर नौकरी करता रहा। एक साल बाद मामले का खुलासा बैंक की पास बुक मंगाने पर हुआ तो वह फर्जी शरद फरार हो गया।
कानपुर देहात निवासी शरद यादव पुत्र रूप नारायण सिंह यादव ने चार जून 2016 को कांशीराम संयुक्त चिकित्सालय एवं ट्रामा सेंटर कानपुर देहात में योगदान दिया था। उसकी जन्मतिथि मानव संपदा पोर्टल पर एक जनवरी 1984 दर्ज है। शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल 1999, इंटरमीडिएट 2001, बीएससी 2006 और एमए 2016 है। जबकि
फर्जी शरद यादव पुत्र रूप नारायण सिंह यादव निवासी कानपुर देहात ने 16 जुलाई 2016 को मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) हाथरस के पास अपना योगदान दिया था। जहां से उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) सहपऊ में तैनाती दी गई थी।
उसकी शैक्षिक योग्यता यूपी बोर्ड से हाईस्कूल 2005 और इंटरमीडिएट 2007 में दर्ज है। लेकिन इसके अलावा एक्स-रे टेक्नीशियन की योग्यता या अनुभव का कोई प्रमाण पत्र मानव संपदा पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है।
फर्जी शरद यादव ने स्टेट बैंक आफ इंडिया की सहपऊ शाखा में चेकबुक व पासबुक जारी करने का प्रार्थना पत्र दिया, तब इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। बैंक से जब चेकबुक उसके पते पर भेजी गई तो वह असली शरद यादव के पास पहुंच गई।
असली शरद ने बैंक को बताया कि चेकबुक और पासबुक तो उसके पास है। यह जानकारी बैंक मैनेजर ने सहपऊ सीएचसी के प्रभारी को दी। इसके बाद मामला सीएमओ तक पहुंच गया। सीएमओ हाथरस ने फर्जी शरद यादव से नियुक्ति के कागज मांगे। वह कागज लाने के बहाने वहां से फरार हो गया।
फर्जी शरद यादव ने स्वास्थ्य भवन के नियुक्ति पत्र दिखाकर 16 जुलाई को सीएमओ हाथरस यहां योगदान दिया था। इस मामले में स्वास्थ्य महानिदेशालय ने न तो जांच कराई और न ही एफआईआर। जिससे अन्य फर्जी टेक्नीशियन चुपचाप वर्षों तक नौकरी करते रहे।
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