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राजनीतिक उपन्यास ढाई चाल के साथ आए लेखक नवीन चौधरी, दैनिक जागरण-नील्सन की टॉप 10 हिंदी बेस्टसेलर शामिल रही जनता स्टोर

बिहार के मधुबनी में जन्‍मे लेखक नवीन चौधरी का पहला उपन्यास जनता स्टोर दैनिक जागरण-नील्सन की टॉप 10 हिंदी बेस्टसेलर लिस्ट में शामिल रहा। अब वह अपने दूसरे राजनीतिक उपन्यास ढाई चाल के साथ पाठकों के बीच हैं।

By Rafiya NazEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 02:01 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 02:44 PM (IST)
राजनीतिक उपन्यास ढाई चाल के साथ आए लेखक नवीन चौधरी, दैनिक जागरण-नील्सन की टॉप 10 हिंदी बेस्टसेलर शामिल रही जनता स्टोर
ब्लॉगिंग के जरिए लेखन के क्षेत्र में आए नवीन चौधरी की दैनिक जागरण से खास बातचीत।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। ब्लॉगिंग के जरिए लेखन में आए नवीन चौधरी का पहला उपन्यास जनता स्टोर दैनिक जागरण-नील्सन की टॉप 10 हिंदी बेस्टसेलर लिस्ट में शामिल रहा। अब वह अपने दूसरे राजनीतिक उपन्यास ढाई चाल के साथ पाठकों के बीच हैं। नवीन चौधरी के अनुसार राजनीतिक को विचारधारा नहीं, दांव पेंच के नजरिये से देखना चाहिए। अपनी किताब पर आयोजित कार्यक्रम के सिलसिले में लखनऊ आए नवीन चौधरी से बातचीत का मौका मिला।

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नवीन चौधरी ने बताया कि मैं बिहार के मधुबनी जिले में जन्मा। जयपुर में पला-बढ़ा और नोएडा में रह कर मार्केटिंग प्रोफेशनल का काम किया। ब्लॉगिंग के जरिए लेखन के क्षेत्र में आया। हमेशा कहा जाता है कि जो पसंद हो, वह काम करो। मुझे अपनी पसंद जानने में समय लगा। 2009 में ब्लागिंग शुरू की थी। 2013 आते-आते धीरे-धीरे ब्लॉग प्रसिद्ध हो गया। इसके बाद न्यूज वेबसाइट का बूम आया और मुझे अप्रोच किया जाने लगा। इसी बीच दिसंबर 2018 में पहला उपन्यास जनता स्टोर आया। उन्होंने बताया कि जनता स्टोर राजस्थान की छात्र राजनीति पर आधारित है। इस उपन्यास पर वेब सीरिज भी बनने वाली है।

नवीन चौधरी के अनुसार नये दौर में राजनीतिक लेखन कम हुआ है। जो लेखन हुए भी, वह विचारधारा के आधार पर रहे। मेरा मानना है कि राजनीति को राजनीतिक दांव पेंच के नजरिये से देखें। फिर आप विश्लेषण करें कि क्या कोई पार्टी बिना किसी दांव पेंच के भी काम कर रही। अगर वह दांव पेंच के साथ काम कर रही तो इसका मतलब जनता को विचार धारा के नाम पर ठगा जा रहा। उन्होंने आगे बताया कि दोनों किताबों का केंद्र बिंदु राजनीति है। फिर भी दोनों किताबें एक दूसरे से बहुत अलग हैं। जनता स्टोर के बाद ढाई चाल तक आते-आते कहानी यूनिवर्सिटी से निकलकर विधानसभा और संसद तक पहुंच गई है।

नवीन चौधरी मानते हैं कि नये लेखक विषयों की विविधता लेकर आ रहे हैँ। लेखन में रिस्क है। अगर शुरू में ही लेखन संघर्ष शुरू हो जाए तो बेहतर होगा। नये लेखक अपनी किताबों की मार्केटिंग पर भी ध्यान दे रहे। पाठकों को बढ़ाने का भी प्रयास कर रहे और यह साहित्य के लिए अच्छा संकेत है।


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