Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    World Nurse Day आज, 2023 की थीम 'हमारी नर्सें हमारा भविष्य', मरीजों के स्वस्थ्य होने में नर्सों का अहम योगदान

    By Jagran NewsEdited By: Riya Pandey
    Updated: Fri, 12 May 2023 11:06 AM (IST)

    नर्सों के योगदान और उनके महत्व का जश्न मनाने के लिए हर साल 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। इंटरनेशनल काउंसिल आफ नर्स ने 2023 की थीम ह ...और पढ़ें

    Hero Image
    नर्सों के योगदान व महत्व का जश्न मनाने के लिए प्रतिवर्ष 12 मई को 'अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस' मनाया जाता है।

    रामांशी मिश्रा/जासं, लखनऊ: चिकित्सा संस्थानों में जब मरीज स्वस्थ होते हैं तो डॉक्टर को जी भर कर दुआएं देते हैं, लेकिन उन दुआओं की हकदार डॉक्टरों के साथ-साथ वह नर्सें भी होती हैं जो दिन रात उनकी देखभाल करती हैं और उन्हें स्वस्थ कर वापस घर भेजती हैं। नर्सों के योगदान और उनके महत्व का जश्न मनाने के लिए हर साल 12 मई को 'अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस' मनाया जाता है। इंटरनेशनल काउंसिल आफ नर्स ने 2023 की थीम 'हमारी नर्सें हमारा भविष्य' रखा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नर्सों को कई तनाव से गुजरना पड़ता है। खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने के लिए कई नर्स काम को ही अपना जरिया बनाती हैं तो वहीं कई अपने साथियों से बातचीत और वरिष्ठ सहयोगियों की काउंसलिंग भी लेती हैं।

    आइए बात करते हैं सभी को स्वस्थ करने वाली नर्सों के स्वयं को स्वस्थ रखने के तरीकों पर---

    किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मानसिक रोग में कार्यरत स्टाफ नर्स लीडिया साहा बताती हैं कि वर्ष 2006 से वह इस विधा में कार्यरत है। 12 घंटे खड़े होकर ड्यूटी करने के साथ कभी नाइट शिफ्ट तो कभी विषम परिस्थितियों में भी काम करना पड़ता है। कई बार मानसिक तनाव इतना हावी हो जाता है कि काम करने का मन नहीं करता। इस दौरान म्यूजिक थेरेपी, किताबें पढ़ना और विभाग के चिकित्सकों से बातचीत कर खुद को सामान्य बनाते हैं।

    बीते 14 वर्षों से सेवाएं दे रही लोकबंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय में स्टाफ नर्स अंजना पांडे कहती हैं कि अस्पताल के साथ परिवार, बच्चे की परवरिश, नाइट ड्यूटी करने समेत कई बातें दिनचर्या में शामिल होती हैं। कोरोना काल में लगातार हो रही लोगों की मौतों ने मानसिक रूप से अस्थिर कर दिया था। इसके अलावा आईसीयू का चार्ज मिला तो अंजना अवसाद में चली गईं। उन्हें उनकी मेट्रेन ने काउंसिल किया तब वह सामान्य हुईं।

    अंजना कहती हैं कि नर्सें भी पढ़ी-लिखी होती हैं, अच्छे परिवारों से आती हैं और अच्छी पढ़ाई करते हैं। ऐसे में हमें भी सम्मान मिलना चाहिए।

    केजीएमयू के क्वीनमेरी प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में कार्यरत रंजना पाल वर्ष 2011 से अपनी सेवाएं दे रही हैं। वह कहती है कि मरीजों की डिलिवरी, उनसे बातचीत, देखरेख करने में कभी-कभी कार्य के घंटे भी अधिक हो जाते हैं। घर में छोटे से बच्चे को छोड़कर अस्पताल में ड्यूटी करना कभी-कभी मानसिक तनाव दे देता है लेकिन अपने साथियों से बातचीत कर उस मानसिक तनाव का हल भी मिलता है और बेहतर महसूस भी होता है।

    वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय के स्टाफ नर्स आभा बताती हैं कि मरीजों से हमारी भी भावनाएं जुड़ जाती हैं। बेहद गंभीर बच्चों को कई दिनों तक एसएनसीयू में भर्ती करना पड़ता है। पिछले महीने भी बाल गृह से एक दूधमुंहा बच्चा आया था जिसे 15 दिन तक एसएनसीयू में भर्ती रखा गया। सभी नर्सों ने देखभाल की। जब वह स्वस्थ होकर यहां से गया तो हम भी दुखी हुए।