UP: महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्य ने कहा- कुपोषण दूर करने में सहायक होगी पोषण पाठशाला
प्रदेश से कुपोषण की बीमारी को दूर करने के लिए महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार विभाग ने आनलाइन पोषण पाठशाला शुरु की है। महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्य की मानें तो पोषण पाठशाला के जरिए कुपोषण दूर किया जा सकता है।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्य ने कहा कि पोषण पाठशाला का आयोजन एक भारत-श्रेष्ठ भारत बनाने के महाअभियान में पोषण प्रबंधन पर एक अत्यंत प्रभावशाली रणनीति है। सुपोषित बचपन एक सशक्त भारत की तस्वीर पेश करता है और इसलिए यह कहा जाता है सही पोषण, देश रोशन।
पोषण के क्षेत्र में कार्यरत सभी विभागों और सामाजिक संस्थाओं के मिले-जुले प्रयास से ही हम प्रदेश में पोषण की स्थिति में सुधार ला सके हैं। इससे तमाम महिलाओं और बच्चों को कुपोषण-जनित बीमारियों और मृत्यु से बचाया जा सकता है।
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा पोषण पाठशाला का आयोजन कर उसका सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर सजीव प्रसारण किया गया। मंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के प्रयास से पोषण संकेतकों में भी सुधार हुआ है। पोषण पाठशाला में करीब 20 लाख से अधिक गर्भवती व प्रसूताओं ने हिस्सा लिया।
विभागीय सचिव अनामिका सिंह ने कहा कि शिशु के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराना तथा उसे छह माह तक केवल स्तनपान पर रखना बेहद जरूरी है। इस मौके विशेषज्ञों ने महिलाओं को पोषण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशक डा. सारिका मोहन भी उपस्थित थीं।
कुपोषण क्या है: शरीर के लिए आवश्यक सन्तुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। अत: कुपोषण की जानकारियां होना अत्यन्त जरूरी है।
कुपोषण प्राय: पर्याप्त सन्तुलित अहार के आभाव में होता है। बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है। स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी और यहां तक कि अंधत्व भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं। इसके अलावा ऐसे पचासों रोग हैं जिनका कारण अपर्याप्त या असन्तुलित भोजन होता है।
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