यूपी में मनरेगा के धन से होगा निराश्रित पशुओं के चारे का इंतजाम, फिजूलखर्ची से बचने के लिए सरकार भूसे का प्रबंध करने में जुटी
उत्तर प्रदेश सरकार ने फिजूलखर्ची से बचने के लिए अभी से निराश्रित पशुओं के लिए चारे का इंतजाम करना अभी से शुरु कर दिया है। वहीं सरकार ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि किसानों को खेतों में फसल के अवशेष जलाने से भी रोकें।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो । उत्तर प्रदेश में निराश्रित पशुओं के चारे (भूसा) का इंतजाम अब तेजी से होगा, ताकि आने वाले दिनों में सरकार को फिजूलखर्च न करना पड़े। इस समय गेहूं की कटाई होने से चारा सस्ता है। सरकार ने चारा की व्यवस्था करने के लिए मनरेगा या फिर वित्त विभाग से प्रबंध करने का आदेश दिया है, साथ ही पशुपालन विभाग को भी इसमें सहयोग करना होगा।
प्रदेश में 98 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की खेती होती है, इधर के वर्षों में मजदूरों की कमी होने से गेहूं की कटाई व मड़ाई कंबाइन हार्वेस्टर से कराई जा रही है। किसान फसल अवशेष को जला देते हैं इससे वातावरण प्रदूषित होता है साथ ही मिट्टी के पोषकतत्व भी नष्ट होते हैं।
सरकार ने इस पर अंकुश लगाने के अलावा निराश्रित पशुओं के लिए अवशेष का प्रबंधन चारे के रूप में करने का आदेश दिया है। पशुओं को गेहूं का फसल अवशेष सर्वाधिक पसंद है। इन दिनों फसल अवशेष भूसा के रूप में चार से पांच रुपये प्रति किलो है, जो सितंबर से मार्च तक 10 से 12 रुपये प्रति किलो हो जाता है।
किसान कंबाइन हार्वेस्टर से गेहूं की कटाई करके अवशेष खेतों में छोड़ देते हैं। उन किसानों के खेतों से फसल अवशेष स्ट्रा-रीपर से भूसे में परिवर्तित कराकर निराश्रित गोशालाओं में आपूर्ति कराई जाए। विशेष सचिव ऋषिरेंद्र कुमार की ओर से मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को जारी आदेश में कहा गया गया है कि इसमें पशुपालन विभाग को भी शामिल किया जाए।
फसल अवशेष संग्रह कराने के लिए धन का इंतजाम मनरेगा या वित्त आयोग से कराया जाए। खेतों से गोशाला तक ढुलान संबंधी पंचायतीराज विभाग का शासनादेश भी प्रभावी होगा।

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