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    UP: जैव-विविधता संरक्षण के प्रयासों से बढ़ी वन्यजीवों की संख्या, एक वर्ष में बढ़े 1.13 लाख जीव

    By Dharmendra PandeyEdited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Thu, 04 Dec 2025 04:09 PM (IST)

    UP Tourist Destination: उत्तर प्रदेश में गैंडा, बाघ, बारहसिंघा, घड़ियाल जैसे दुर्लभ वन्यजीव न सिर्फ सुरक्षित हैं, बल्कि उनके लिए वातावरण भी विकसित किय ...और पढ़ें

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    दुधवा राष्ट्रीय उद्यान

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊः राज्य में ईको-पर्यटन को बढावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने तीन वर्षों में विभिन्न ईको-पर्यटन स्थलों पर पर्यटन सुविधाओं का जो विस्तार किया, उसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। उत्तर प्रदेश में दुधवा नेशनल पार्क और कतर्निया घाट प्रकृति प्रेमियों को इतना पसंद आया कि संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसके साथ ही वन्यजीवों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है।

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    पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि गुरुवार को विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस है। वर्ष 2022 की वन्य जीव गणना रिपोर्ट के अनुसार दुधवा उद्यान में 65 हजार से अधिक, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य में तकरीबन 12 हजार और बफर जोन में 14 हजार से अधिक वन्य जीव दर्ज किए गए। वर्ष 2025 में दुधवा में वन्य जीवों की संख्या बढ़कर 1.13 लाख से अधिक हो गई है।

    वहीं कतर्निया वन्य जीव प्रभाग में 17 हजार से अधिक और बफर जोन में करीब 15 से अधिक संख्या हो गई है। वर्ष 2022 में दुधवा, कतर्निया और बफर जोन में गुलदार व तेंदुओं की संख्या 92 थी, जो वर्ष 2025 में बढ़कर 275 हो गई। वहीं, गैंडों की संख्या 49 से बढ़कर 66 हो गई है।
    उत्तर प्रदेश में दुधवा से कतर्नियाघाट तक प्रकृति प्रेमियों का बड़ा गंतव्य बन गया है। सरकार ने इसके विस्तार पर 161 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान सहित अन्य प्रमुख ईको-पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के रात्रि विश्राम के लिए भी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

    उत्तर प्रदेश में गैंडा, बाघ, बारहसिंघा, घड़ियाल जैसे दुर्लभ वन्यजीव न सिर्फ सुरक्षित हैं, बल्कि उनके लिए वातावरण भी विकसित किया गया है। दुधवा, पीलीभीत, कतर्नियाघाट, अमानगढ़ और सोहगीबरवा जैसे वन क्षेत्र पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं।

    इन स्थलों पर पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है। ईको-पर्यटन विकास बोर्ड ने पिछले तीन वर्षों में पर्यटन स्थलों की सड़कों की मरम्मत, कैफेटेरिया, इको-फ्रेंडली विश्राम स्थल, गजिबो, नेचर ट्रेल, बर्ड वाचिंग स्थल और बच्चों के खेलने के क्षेत्र जैसी सुविधाएं विकसित की हैं।