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    ‘पीडीए’ पर क्यों भारी पड़ा योगी का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ फॉर्मूला, इसके बलबूते सपा ने खूब दौड़ाई थी साइकिल… भाजपा ने कर दी पंक्चर!

    Updated: Sun, 24 Nov 2024 05:00 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश के नौ सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों में सपा का पीडीए फॉर्मूला बिखरता नजर आया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में पीडीए के फॉर्मूले के साथ भाजपा को झटका दिया था जिसकी काट मुख्यमंत्री योगी ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के फॉर्मूले के साथ निकाली। मुख्यमंत्री का यह फॉर्मूले सफल रहा जिसकी बदौलत भाजपा ने उपचुनाव में सपा की दो सीटें भी हथिया ली।

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    कुंदरकी के साथ ही कटेहरी सीट भी भाजपा ने सपा से छीन ली है।

    शोभित श्रीवास्तव, लखनऊ। लोकसभा चुनाव में जिस ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की बदौलत सपा व कांग्रेस ने मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन कर भाजपा को परेशान कर दिया था, वह छह माह के अंदर ही बिखर गया। विधानसभा की नौ सीटों के उपचुनाव में ‘पीडीए’ पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ फार्मूला हिट रहा। 

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    सरकार व संगठन के सामंजस्य का असर भी इस उपचुनाव में दिखाई दिया। एक-एक वोट के लिए भाजपाई किलेबंदी का ही नतीजा है कि मुरादाबाद की मुस्लिम बहुल सीट कुंदरकी के साथ ही अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट भी भाजपा ने सपा से छीन ली है।

    लोकसभा में हिट हुआ था पीडीए फॉर्मूला

    लोकसभा चुनाव में सपा ने ‘पीडीए’ के जरिये जातीय समीकरणों की अपनी ‘साइकिल’ खूब दौड़ाई थी। इस वर्ष चार जून को जब नतीजे आए तो इसी फार्मूले की बदौलत सपा ने अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सर्वाधिक 37 सीटों के साथ ही 33.59 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे। 

    चुनाव के यह नतीजे भाजपा की परेशानी का सबब बने और उसने एक-एक वोट के लिए किलेबंदी शुरू की। अखिलेश के ‘पीडीए’ के जवाब में मुख्यमंत्री योगी ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, ‘एक रहेंगे तो नेक रहेंगे’ लेकर आए। यह फार्मूला हिट रहा और लोकसभा चुनाव में 41.37 प्रतिशत वोट पालने वाली भाजपा को इस उपचुनाव में करीब 52 प्रतिशत वोट मिले हैं।

    मुख्यमंत्री योगी ने इसकी तैयारी बहुत पहले से शुरू कर दी थी। उन्होंने प्रत्येक सीट पर तीन-तीन मंत्रियों को प्रभारी बनाया। उपचुनाव की जमीन को योगी खुद सींचने में लग गए। 

    सभी सीटों पर योगी ने तैयार की जमीन

    उपचुनाव की घोषणा से पहले ही सभी सीटों पर योगी कई-कई बार गए और उन्होंने विकास व संवाद से पार्टी के लिए जमीन तैयार की। उपचुनाव के प्रचार में भी योगी ने पांच दिनों में 15 चुनावी कार्यक्रम कर सभी क्षेत्रों को मथ दिया। इस दौरान उन्होंने 13 रैली व दो रोड शो कर माहौल भगवामय बना दिया।

    इसी का नतीजा है कि कटेहरी में 33 वर्ष बाद कमल खिला है। यहां पर इससे पहले 1991 में भाजपा चुनाव जीती थी। करीब 62 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाली कुंदरकी सीट पर भी 31 वर्ष बाद जीत कर भाजपा ने यह दिखा दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। यहां पर 1993 के बाद भाजपा जीत का स्वाद चख सकी है। 

    सरकार व संगठन के समन्वय का ही नतीजा है कि उपचुनाव में भाजपा ने सपा के गढ़ करहल में उसकी नींव हिला दी। यहां सपा को 50.45 प्रतिशत वोट मिला जबकि भाजपा भी 43.33 प्रतिशत वोट पाने में सफल रही। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से भाजपा को यहां 10 प्रतिशत अधिक वोट मिला है।

    प्रदेश अध्यक्ष व महामंत्री संगठन ने छोटी-छोटी बैठकें कर बनाया माहौल

    भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी व प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह उपचुनाव वाले प्रत्येक विधानसभा क्षेत्रों में गए और वहां छोटी-छोटी बैठकें कर सपा के पीडीए को झूठ बताते हुए इसे परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी बताया। भाजपा ने इन बैठकों के जरिए सभी जातियों को जोड़कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया। इसके लिए पार्टी ने हर वर्ग और जाति के नेता को विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय किया। 

    बूथ अध्यक्ष व पन्ना प्रमुख की बदौलत पार्टी ने एक-एक वोट की अपने पक्ष घेराबंदी कर भाजपा की जीत की राह आसान बनाई। संगठन आम मतदाताओं तक यह बात पहुंचाने में सफल रहा कि सपा केवल धोखा देकर वोट लेती है, लेकिन दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित के लिए मोदी-योगी सरकार ने ही काम किया है। 

    साथ ही लाभार्थी मतदाता, किसान, युवा, महिला, दलित और पिछडे वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचने के लिए भी पार्टी ने व्यापक रणनीति बनाकर काम किया। पूरे चुनाव के दौरान भाजपा के मुख्यालय में एक वार रूम बनाया गया था जो उपचुनाव पर अपनी नजर रखे हुए था। इसी का परिणाम है कि भाजपा विपक्ष के गढ़ को भी भेदने में सफल रही।