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    Lucknow News: ...कौन हैं सुधांशु मणि, जिन्होंने सिर्फ 18 महीने में तैयार की थी पहली वंदे भारत एक्सप्रेस

    By JagranEdited By: Vikas Mishra
    Updated: Thu, 29 Sep 2022 02:30 PM (IST)

    Vande Bharat Express वर्ष 2016 में रेलवे विदेशों से सेमी हाइस्पीड ट्रेन को आयात की प्लानिंग कर रहा था। सुधांशु मणि वर्ष 2018 में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई के महाप्रबंधक बने। उन्होंने सेमी हाइस्पीड ट्रेन से आधी लागत पर स्वदेशी तकनीक से सेमी हाइस्पीड ट्रेन तैयार करने पर मंथन बनाया।

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    Vande Bharat Express: प्रधानमंत्री के हाथों अपनी बुलेट ट्रेन का सपना पूरा होत देखेंगे लखनऊ के सुधांशु मणि

    Vande Bharat Express: लखनऊ, [निशांत यादव]। मात्र 52 सेकेंड में शून्य से 100 किलोमीटर की रफ्तार पकड़ने में बुलेट ट्रेन को भी जिस वंदे भारत एक्सप्रेस ने पिछले दिनों गांधीनगर-मुंबई के बीच ट्रायल के दौरान मात दे दी। उस बुलेट ट्रेन जैसी रफ्तार वाली वंदे भारत एक्सप्रेस के सपने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों पूरा होते लखनऊ के सुधांशु मणि भी देखेंगे। सुधांशु मणि ही भारत में वंदे भारत ट्रेनों के जनक माने जाते हैं।

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    भारतीय रेलवे के कामयाब मैकेनिकल अफसरों में से एक सुधांशु मणि ने ही इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री चेन्नई में जीएम रहते हुए बिना इंजन वाली सेमी हाइस्पीड ट्रेन चलाने का सपना देखा। इस सपने को मात्र 18 महीने की दिन रात की कड़ी मेहनत के बाद पूरा भी किया। जिसे रेलवे ने पहले ट्रेन 18 का नाम दिया, बाद में यह वंदे भारत एक्सप्रेस के रूप में दौड़ी। उसी वंदे भारत के अपग्रेड वर्जन की शुरुआत शुक्रवार को गांधीनगर से मुंबई के बीच होगी।

    वर्ष 2016 में रेलवे विदेश से सेमी हाइस्पीड ट्रेन को आयात की प्लानिंग कर रहा था। इस बीच सुधांशु मणि वर्ष 2016 में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई के महाप्रबंधक बने। उन्होंने विदेशों से आने वाली सेमी हाइस्पीड ट्रेन से आधी लागत पर स्वदेशी तकनीक से यूरोप स्टाइल वाली सेमी हाइस्पीड ट्रेन तैयार करने पर मंथन बनाया। जो सेल्फ प्रपोल्ड हो साथ ही 180 किमी. की गति से दौड़ने में भी सक्षम हो।

    बिना किसी ग्लोबल निर्माता के सहयोग के इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का प्रस्ताव पहले तो रेलवे बोर्ड के अफसरों को भी खटका, लेकिन सुधांशु मणि के प्रयासाें से उस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई। अब सबसे बड़ी चुनौती ट्रेन 18 के लिए सेमी हाइस्पीड की क्षमता की बोगियों का फ्रेम तैयार करने की थी। यह तलाश कानपुर आकर समाप्त हुई, सुधांशु मणि के आग्रह पर यहां की एक कंपनी ने ट्रेन 18 की बोगियों का फ्रेम बनाकर आइसीएफ को सौंपा।

    अब फैक्ट्री के 50 रेलवे इंजीनियरों की टीम ने पहले तो लगातार काम करके चेयरकार श्रेणी वाली वंदे भारत एक्सप्रेस का डिजाइन तैयार किया। डिजाइन तैयार करते समय सबसे बड़ी चुनाैती यह थी कि तेज एक्सलेशन के लिए जो इंजन बोगियों के नीचे लगाया जाना था, उसके लिए स्थान को डिजाइन करना था । डिजाइन तैयार हुआ तो फैक्ट्री के 500 कर्मचारियों ने मिलकर 18 महीने में वंदे भारत का प्रोटोटाइप रैक अक्टूबर 2018 में तैयार कर दिया। इस वजह से ही इस सेट का नाम ट्रेन 18 रखा गया था।

    नए युग की शुरुआतः सुधांशु मणि कहते हैं कि देश को यह तीसरी वंदे भारत एक्सप्रेस मिलने जा रही है। यह एक नए युग की शुरुआत होगी। ट्रेन 18 की अपेक्षा इस वंदे भारत एक्सप्रेस की एक्सलेशन क्षमता को बढ़ाया गया है। साथ ही कई यात्री सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं।