कौन हैं IAS अभिषेक प्रकाश, जिन्हें सीएम योगी ने किया सस्पेंड? लखनऊ के रह चुके हैं जिलाधिकारी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन्वेस्ट यूपी के सीईओ और आईडीसी सचिव अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया। उन पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने वाले उद्यमी से 5% कमीशन मांगने का आरोप है। मेरठ निवासी निकान्त जैन को भी गिरफ्तार किया गया। जांच में मूल्यांकन समिति की आड़ में रिश्वतखोरी का खुलासा हुआ। योगी सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन की नीति के तहत यह कड़ा कदम उठाया।

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन्वेस्ट यूपी के सीईओ और आईडीसी विभाग के सचिव अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया है। आरोप है कि उन्होंने सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने वाले एक उद्यमी से पांच प्रतिशत कमीशन मांगा था। इस मामले में मेरठ निवासी निकान्त जैन को भी गिरफ्तार किया गया है, जो कथित तौर पर कमीशन मांगने का काम कर रहा था।
कौन हैं IAS अभिषेक प्रकाश?
अभिषेक प्रकाश 2006 बैच के IAS अधिकारी हैं और मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। उनका जन्म 1982 में हुआ था। उन्होंने IIT रुड़की से 2000-2004 के बीच इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, इसके बाद पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और पब्लिक पॉलिसी में एमए किया।
अपने प्रशासनिक करियर में वह लखीमपुर खीरी, लखनऊ, अलीगढ़ और हमीरपुर के जिलाधिकारी रह चुके हैं। निलंबन से पहले वह उत्तर प्रदेश सरकार में औद्योगिक विकास विभाग (IDC) के सचिव और इन्वेस्ट यूपी के सीईओ के रूप में कार्यरत थे।
इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार का मामला
उद्योगपति विश्वजीत दत्ता (जो एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि हैं) ने इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा के कलपुर्जे बनाने के लिए संयंत्र स्थापित करने के बदले उनसे रिश्वत मांगी गई।
मूल्यांकन समिति में भी घोटाला?
जांच में सामने आया कि मूल्यांकन समिति की आड़ में निवेशकों से कमीशन वसूला जा रहा था। 12 मार्च को हुई बैठक में एसएईएल कंपनी के आवेदन पर पुनर्मूल्यांकन की शर्त लगाई गई थी, जिससे आवेदन को लंबित कर दिया गया। इस खेल में अभिषेक प्रकाश की संलिप्तता मानते हुए उन्हें निलंबित किया गया और उनके खिलाफ अलग से आरोप पत्र तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
गिरफ्तार आरोपी निकान्त जैन पर पहले भी मामले दर्ज
मेरठ, लखनऊ और एटा में निकान्त जैन के खिलाफ पहले से तीन मामले दर्ज हैं। पुलिस ने गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।
इस पूरे मामले ने इन्वेस्ट यूपी में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 'भ्रष्टाचार मुक्त शासन' की नीति के तहत यह कार्रवाई की गई है, जिससे यूपी के निवेश माहौल पर बड़ा असर पड़ सकता है।
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