Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कौन हैं हृदय नारायण दीक्षित? जिन्हें पद्म श्री से किया गया सम्मानित, आपातकाल में 19 महीने जेल में काटे; 5 बार बने विधायक

    Updated: Sun, 26 Jan 2025 05:50 PM (IST)

    पद्मश्री से सम्मानित हृदय नारायण दीक्षित ने शिक्षा साहित्य और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान दिया है। 1946 में उन्नाव में जन्मे दीक्षित अब तक 31 पुस्तकें लिख चुके हैं और 6000 से अधिक लेख प्रकाशित कर चुके हैं। वह उप्र विधानसभा के अध्यक्ष और कई महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर रहे। पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय सम्मान मिले

    Hero Image
    पद्मश्री से सम्मानित पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित अब तक 31 पुस्तकें लिख चुके हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनके छह हजार से अधिक आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। शैक्षिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी उनका बड़ा योगदान रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्नाव जिले के ग्राम लउवा में 25 दिसंबर 1946 में जन्मे हृदय नारायण दीक्षित 1972 मे जिला परिषद के सदस्य बने थे। आपातकाल में वह 19 महीने तक जेल में रहे। उन्होंने उन्नाव में पुलिस व प्रशासनिक अत्याचार, स्थानीय-प्रदेश स्तरीय समस्याओं को लेकर आंदोलन, पदयात्राएं, अभियान चलाए। जनसंघ के जिलामंत्री रहे।

    भाजपा में उन्नाव के जिलाध्यक्ष, उप्र के उपाध्यक्ष, कई मोर्चों व प्रकोष्ठों के संयोजक-अध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य रहे। हृदय नारायण 1985 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 1989, 1991, 1993 और 2017 में विधायक निर्वाचित हुए। इस दौरान वर्ष 2010 में विधान परिषद के सदस्य बने।

    संसदीय कार्य एवं पंचायती राज विभाग के मंत्री

    वह उप्र सरकार में संसदीय कार्य एवं पंचायती राज विभाग के मंत्री रहे हैं। 2010-16 में विधान परिषद में भाजपा विधायक दल के नेता और 17वीं विधानसभा के अध्यक्ष रहे। उन्होंने राज्य विधानमंडल की प्राक्कलन समिति के सभापति, सार्वजनिक उपक्रम समिति के सभापति के दायित्व का भी निर्वहन किया है।

    वह 1978 से 2004 तक काल चिंतन पत्रिका के संस्थापक-संपादक रहे। राष्ट्रधर्म, पांचजन्य व राष्ट्रवादी विचार की विभिन्न पत्रिकाओं में लेखन किया। उन्होंने दैनिक जागरण सहित विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में स्तंभ लेखन किया है।

    31 पुस्तकें अब तक हो चुकी प्रकाशित 

    अब तक उनकी लिखी पुस्तक हृदयनारायण दीक्षित रचनावली, श्रीराम आस्था और इतिहास, ऋग्वेद का परिचय, अथर्ववेद का मधु, ज्ञान का ज्ञान, नाचता अध्यात्म, मधुअभिलाषा, हम भारत के लोग, हम भारतवासी, हिंद स्वराज का पुनर्पाठ, ऋग्वेद और डा. रामबिलास शर्मा, मधुविद्या, मधुरसा, सांस्कृतिक राष्ट्रदर्शन, भारतीय संस्कृति की भूमिका, भगवद्गीता, सांस्कृतिक अनुभूति राजनीतिक प्रतीति, भारतीय समाज राजनैतिक संक्रमण, जम्बूद्वीपे भरतखंड, संविधान के सामंत प्रकाशित हो चुकी है। 

    वहीं, पं. दीनदयाल उपाध्याय दर्शन-अर्थनीति-राजनीति, तत्वदर्शी पं. दीनदयाल उपाध्याय, भारत के वैभव का दीनदयाल मार्ग, पं. दीनदयाल उपाध्याय द्रष्टा-दृष्टि-दर्शन, श्रीराम आस्था और इतिहास, आम्बेडकर का मतलब, राष्ट्र सर्वोपरि, भारत की राजनीति का चारित्रिक संकट, सुवासित पुष्प, राष्ट्रीय स्वाहा, भारतीय अनुभूति का विवेकानंद और हिंदुत्व का मधु-वाणी का प्रकाशन हो चुका है। उनकी 31 पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं।

    पत्रकारिता और साहित्य में योगदान के लिए उनको गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, डा. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान, राष्ट्रीय साहित्य सर्जक सम्मान, दीनदयाल उपाध्याय सम्मान, अटल बिहारी वाजपेयी साहित्य सम्मान सहित सात सम्मान मिल चुके हैं। वह पं. दीनदयाल उपाध्याय कन्या इंटर कालेज मवई उन्नाव के संस्थापक-प्रबंधक और भारतीय आदर्श ऐंग्लो संस्कृत इंटर कालेज पुरवा उन्नाव के प्रबंधक हैं।

    सरकार की घोषणा से भारतीय संस्कृति और परंपरा के प्रति मेरी निष्ठा और गहन हुई है। मैं राष्ट्र के जीवन मूल्यों के लिए पहले से ज्यादा काम करूंगा। -हृदय नारायण दीक्षित

    comedy show banner
    comedy show banner