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    CBI के हाथ कौन-सी डायरी लग गई? 40 नाम हैं दर्ज, लखनऊ आकर बयान दर्ज करा रहे देश भर में तैनात ये अधिकारी

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 11:30 PM (IST)

    लखनऊ में सीबीआई की छापेमारी के बाद रिश्वतखोरी के मामले में 40 रेलवे अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। गति शक्ति प्रोजेक्ट में रिश्वत मांगने के आरोप में हुई गिरफ्तारियों के बाद सीबीआई को छह डायरी मिली हैं जिनमें इन अधिकारियों के लेनदेन का हिसाब है। अब तक 12 अधिकारियों के बयान दर्ज हो चुके हैं और सीबीआई उनके बैंक खातों की जांच कर रही है।

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    छह डायरी में दर्ज 40 रेलवे अफसरों के नाम, आए सीबीआइ के राडार पर

    निशांत यादव, लखनऊ। पिछले महीने घूसखोरी के आरोप में सीबीआइ ने हजरतगंज स्थित उत्तर रेलवे के जिस गति शक्ति प्रोजेक्ट कार्यालय में छापा मारकर गिरफ्तारियां की थी, उस मामले की जांच की आंच दक्षिण भारत तक तैनात रेलवे अधिकारियों तक पहुंच गई है।

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    सीबीआइ के हाथ लगी छह डायरी में 40 रेलवे अधिकारियों और जिम्मेदार कर्मचारियों के लेनदेन का हिसाब है। इस डायरी के आधार पर सीबीआइ ने रेलवे बोर्ड से संबंधित अधिकारियों को बयान दर्ज कराने को कहा है। बोर्ड की सूचना पर यह अधिकारी लखनऊ आकर अपना बयान दर्ज करा रहे हैं। अब तक 12 रेलवे अधिकारियों के बयान दर्ज हो चुके हैँ।

    गति शक्ति प्रोजेक्ट के तहत उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के छोटे स्टेशनों का कायाकल्प किया जा रहा है। भदोही में चल रहे कार्य के बिल पास कराने के बदले रिश्वत मांगी गई थी। इस मामले में सीबीआइ ने ठेकेदार की शिकायत पर 14 जुलाई को गति शक्ति यूनिट में छापा मारा था।

    सीबीआइ ने भारतीय रेल इंजीनियरिंग सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और प्रोजेक्ट के डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा , सीनियर सेक्शन इंजीनियर ड्राइंग अशोक रंजन, टैजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लि. कंपनी के संचालक प्रवीण कुमार सिंह व उसके कर्मचारी जिमी सिंह को गिरफ्तार किया था।

    इस मामले में कार्यालय अधीक्षक अंजुम निशा का नाम भी आया था। सारा लेनदेन का माध्यम प्रवीण कुमार सिंह था। इसलिए सीबीआइ ने जब उससे पूछताछ की तो उसके पास से छह डायरी बरामद की गईं।

    इन डायरी को खंगाला गया तो पता चला कि गति शक्ति प्रोजेक्ट में लखनऊ और वाराणसी के पूर्व में तैनात 40 अधिकारियों व कुछ जिम्मेदार इंजीनियरों के नाम उसमें दर्ज हैं। डायरी में दर्ज इंजीनियरिंग से जुड़े अधिकारियों की तैनाती अब उत्तर रेलवे और दक्षिण रेलवे सहित दूसरे जोन में है।

    सीबीआइ को अपना बयान दर्ज कराने के लिए कुछ अधिकारी तो चुपचाप लखनऊ आए, जबकि कई अधिकारियों के आने की सूचना पूरे मंडल कार्यालय को हो गई। इन अधिकारियों ने फिलहाल डायरी में उनका नाम दर्ज होने की बात पर पल्ला झाड़ लिया है। लेकिन सीबीआइ उनके बैँक खातों और निवेश को लेकर जानकारी जुटा रही है।