‘उम्मीद’ पर आफत: दर्ज नहीं हो पाईं करीब 85 हजार वक्फ संपत्तियां, अब बोर्डों के पास बचा एक ही रास्ता
देश में लगभग 85 हजार वक्फ संपत्तियां दर्ज होने से रह गईं हैं, जिससे उनके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है। पंजीकरण में देरी के कारण वक्फ बोर्डों के सामने इ ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। ‘उम्मीद’ पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों को अपलोड करने की प्रक्रिया आफत बन गई है। शुक्रवार पांच दिसंबर को पोर्टल पर वक्फ संपत्तियां अपलोड करने की अंतिम तिथि है और अभी तक केवल 37 प्रतिशत संपत्तियां ही दर्ज हो सकी हैं।
इसका मुख्य कारण पोर्टल की तकनीकी खामी, सुस्त रफ्तार व संपत्तियों के पुराने दस्तावेजों में कमी है। स्थिति यह है कि कई बार दिन भर में सिर्फ दो–तीन संपत्तियां ही अपलोड हो पा रही हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम तिथि बढ़ाने की सारी उम्मीदें खत्म करते हुए स्पष्ट कहा है कि राहत चाहिए तो ट्रिब्यूनल जाइये। ऐसे में करीब 85 हजार संपत्तियों के दर्ज होने से रह जाने का खतरा है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी बताते हैं कि गुरुवार शाम तक 1.26 लाख वक्फ संपत्तियों में से 58,661 संपत्तियों का ही पंजीकरण हो सका है, इनमें से 45,574 संपत्तियों का डाटा ही अपलोड हो सका है।
उन्होंने बताया कि पोर्टल लगातार हैंग हो रहा है। लागिन से लेकर दस्तावेज अपलोड करने तक सबकुछ बेहद धीमा है। अगर समय नहीं बढ़ाया गया तो शेष संपत्तियां अपलोड नहीं हो पाएंगी।
वहीं, शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद अली जैदी ने कहते हैं कि सर्वर इतना धीमा चल रहा है कि इसमें संपत्तियां अपलोड करना आसान नहीं है। उन्होंने इसे तकनीकी खामी बताया है।
कहा कि हमारी कुल 7785 संपत्तियों में से 3600 पोर्टल पर अपलोड हो सकी हैं। सर्वर साथ देता तो अब तक 50 प्रतिशत से अधिक डाटा अपलोड हो जाता। समय सीमा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से आवेदन किया है।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम के तहत उम्मीद पोर्टल पर छह माह में वक्फ संपत्तियों का ब्योरा अपलोड करने की समय सीमा पांच दिसंबर को समाप्त हो रही है। तकनीकी दिक्कतों के कारण पोर्टल पर दर्ज करने का काम सितंबर में ही शुरू हो सका है।
पुरानी वक्फ संपत्तियों के दस्तावेज जुटाना भी इसमें सबसे बड़ी बाधा थी। कई फाइलें 50 से 100 साल पुरानी हैं और उनका विवरण ढूंढना ही मुश्किल है। पोर्टल में नाम न होने पर फाइल रिजेक्ट हो जाती है।
अब बोर्डों के सामने ट्रिब्यूनल जाने का ही बचा रास्ता
अगर सरकार संपत्तियां अपलोड करने की समय-सीमा नहीं बढ़ाती है तो वक्फ बोर्डों के पास ट्रिब्यूनल जाने का रास्ता ही बचेगा। वक्फ अधिनियम के तहत समय सीमा बढ़ाने के लिए बोर्ड ट्रिब्यूनल में आवेदन किया जा सकता है। इसके तहत मुतवल्लियों को छह महीने की अतिरिक्त मोहलत मांगने का अधिकार है।
अब जो संपत्तियां पांच दिसंबर तक अपलोड नहीं होंगी, उनके लिए पहले ट्रिब्यूनल फिर हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता है। इसके बाद भी यदि कहीं से राहत न मिली तो ऐसी संपत्तियां सरकारी हस्तक्षेप के दायरे में आ सकती हैं।

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