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    Waqf Amendment Bill: अफजाल अंसारी और अजय राय ने जताया विरोध, मुस्लिम धर्म गुरुओं की नजर अब पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत के फैसले पर

    Updated: Fri, 04 Apr 2025 04:05 PM (IST)

    संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पारित होने के बाद सियासी बयानबाजी तेज। सपा सांसद अफजाल अंसारी और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इस पर विरोध जताते हुए इसे गैर-जरूरी बताया है। वहीं मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस मामले को लेकर सभी से शांति बनाए रखने की अपील की है। अब पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत के फैसले पर टिकी निगाहें।

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    अफजाल अंसारी और अजय राय ने Waqf Amendment Bill का जताया विरोध। जागरण

     डिजिटल डेस्क, नोएडा। केंद्र सरकार द्वारा संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को पारित करा लेने के बाद अब इस पर राजनीतिक टिप्पणियों का दौर तेज हो गया है। सपा सांसद अफजाल अंसारी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने एक सुर में इस बिल का विरोध किया है।

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    वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम धार्मिक नेताओं में भी इस बिल को लेकर नाराजगी देखी जा रही है, लेकिन उन्होंने मुस्लिम अवाम से अमनो-अमान बनाए रखने की अपील की है।

    सपा के सांसद अफजाल अंसारी ने संसद में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा करते हुए कहा कि वह इस बिल का पुरजोर विरोध करते हैं। सवाल उठाया कि अगर सरकार वक्फ की संपत्तियों को संरक्षित करना चाहती है तो इसके लिए संशोधन बिल की क्या जरूरत है? वैसे भी सरकार सहयोग कर सकती थी।

    अलग बिल बनाने का कोई औचित्य नहीं है। सरकार के मंत्री की ओर से कहा गया कि यह बिल अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं का कल्याण करेगा जबकि संसद में पहले से ही पारित हो चुके महिला आरक्षण बिल को आज तक लागू नहीं किया गया।

    उन्होंने कहा कि सरकार महिला आरक्षण बिल पर कान में तेल डालकर बैठी है। इस सदन के मुखिया अपने परिवार का संरक्षण तो कर ही नहीं पा रहे हैं और बात अल्पसंख्यक महिलाओं की करते हैं।

    राष्ट्रीय स्मारकों का भी संरक्षण नहीं हो पा रहा है। लालकिला जो शाहजहां ने बनवाया था, वह एक प्राइवेट एजेंसी को संरक्षण के लिए दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इन वक्फ की जमीनों के खरीदार और बेचने वाले आख़िर कौन होंगे।

    इसके अलावा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वक्फ बिल जल्दीबाजी में लाया हुआ है। इसमें विपक्ष की कोई राय नहीं ली गई।

    सत्ता पक्ष जो चाहता था उसे लाया। विपक्ष ने जो आपत्तियां लाया उसे खारिज कर दिया गया। केवल अपनी नाकामियां छिपाने के लिए प्रदेश की जनता भ्रमित करने के लिए ये बिल लाया। इसे प्रदेश की जनता समझ गई है।

    वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर अब पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत के फैसले पर नजर

    वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर अब पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत के फैसले पर नजर जागरण संवाददाता, वाराणसी : केंद्र सरकार द्वारा संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को पारित करा लेने के बाद मुस्लिम धार्मिक नेताओं में नाराजगी तो है लेकिन उन्होंने मुस्लिम अवाम से अमनो-अमान बनाए रखने की अपील की है।

    मुफ्ती-ए-शहर अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद पहले जुमे की नमाज है, मुस्लिम बिरादारान से अपील है कि कोई ऐसा बयान न दें, न ऐसी कोई हरकत करें, जिससे अमनो-अमान बिगड़ने की तोहमत उन पर लगे।

    यह बिल कतई मुसलमानों के हक में नहीं है, न ही इसमें किसी तरह के संशोधन से इसे स्वीकार किया जा सकता है। यह बिल पूरी तरह से खारिज होने लायक है लेकिन अब इस संबंध में मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड व जमीयत ए ओलमा हिंद के बड़े ओहदेदार जो भी फैसला लेंगे, हम उसे मानेंगे और उसके हिसाब से चलेंगे।

    हम अपनी तरफ से कोई ऐसा काम नहीं करेंगे, जिससे मआशरे में किसी तरह की कोई कटुता पैदा हो। इसी क्रम में इंताजामिया मसाजिद कमेटी के सेक्रेटरी यासीन ने कहा कि संशोधन बिल का तो पास होना तय ही था लेकिन हम मुसलमान इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

    हम लोगों के पास अभी तक संशोधन का कोई वर्जन नहीं आया है कि उसके आधार पर हम कुछ कह सकें, लेकिन जहां तक हमारे लोगों से हमें मोटा-मोटा पता चला है कि यह मुस्लिमों के हित में नहीं है।

    इससे पूजास्थल कानून और हमारे मौलिक अधिकार प्रभावित होंगे लेकिन हम इसके विरोध में ऐसा कुछ भी नहीं करने जा रहे, जिससे किसी तरह की अशांति हो। मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत ओलमा हिंद तथा अन्य केंद्रीय संगठन जो भी फैसला लेंगे, हम उनके साथ खड़े रहेंगे।

    ‘नए वक्फ बिल से बोर्ड के कुछ लोगों की हिटलरशाही खत्म होगी। जो लोग वक्फ की जमीनें बेचते थे या फिर दुकानों को औने-पौने दाम पर बेचते और किराये पर देते थे उस पर रोक लगेगी। नए नियम व प्रविधान से कार्य होने से गरीब मुसलमान के हित के कार्य होंगे।’

    -- हैदर अब्बास चांद- पूर्व सदस्य उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग।

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