Vinay Pathak Corruption Case: एकेटीयू में कुलपति रहने के दौरान खूब किया था फर्जीवाड़ा, एसटीएफ जांच में जुटी
समिति ने अचानक से कुछ फाइलें निकलवाई और छानबीन की तो पता चला कि निमार्ण और मरम्मत से संबंधित कोई रिकार्ड ही नहीं बना है। यही नहीं किए गए कामों का थर्ड पार्टी आडिट अथवा संबंधित अधिकारियों की ओर से निरीक्षण तक नहीं किया गया था।

लखनऊ, [ज्ञान बिहारी मिश्र]। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। डा. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) में पाठक के कुलपति रहने के दौरान इंस्टीट्यूट आफ इंजीनयरिंग एंड टेक्नोलाजी (आइइटी) कालेज में अनियमितता उजागर हुई है।
यह फर्जीवाड़ा इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित समिति की जांच रिपोर्ट में सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक, एक शख्स ने मुख्यमंत्री व राज्यपाल समेत शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भेजकर आइइटी कालेज में विभिन्न कार्यों में गड़बड़ी की शिकायत की थी। मामले की जांच के लिए समिति का गठन किया गया था।
आरोप है कि कालेज में सिविल, बिजली, निर्माण, उपकरणों के भुगतान, संविदा शिक्षकों की भर्ती एवं छात्रावास में वार्ड ब्वाय रखने में मानकों का पालन नहीं किया गया है। समिति ने आरोपों की जांच शुरू की। हालांकि शिकायती पत्र में किसी विशेष कार्य में गड़बड़ी की ओर इंगित नहीं किया था। इसके बाद समिति ने एकेटीयू और आइइटी कालेज प्रशासन के अधिकारियों से पूछताछ शुरू की।
प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी नहीं पाई गई। इसके बाद समिति ने अचानक से कुछ फाइलें निकलवाई और छानबीन की तो पता चला कि निमार्ण और मरम्मत से संबंधित कोई रिकार्ड ही नहीं बना है। यही नहीं, किए गए कामों का थर्ड पार्टी आडिट अथवा संबंधित अधिकारियों की ओर से निरीक्षण तक नहीं किया गया था। समिति ने इसे गंभीर मामला बताया है।
पड़ताल में सामने आया कि सरकारी एजेंसियों से काम कराने के बजाय निजी कंपनियों को काम दिया गया। समिति का कहना है कि इसकी जांच हाे कि आखिर सरकारी एजेंसियों को काम क्यों नहीं दिया गया। समिति ने कई कार्यों में फर्जी बिल लगाए जाने की बात भी उजागर की है। यही नहीं तत्कालीन पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है ताकि भविष्य में कोई गड़बड़ी करने की पुनरावृत्ति न करे।
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