VC Under Scanner:विनय पाठक की गजब की सेटिंग,13 वर्ष से UP सहित राजस्थान व उत्तराखंड के आठ विश्वविद्यालय में VC
VC Vinay Pathak Under Scanner विनय पाठक बीते 13 वर्ष से विभिन्न विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर कार्यरत हैं। सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि राजस्थान और उत्तराखंड के विश्वविद्यालय में भी पाठक कुलपति के पद पर कार्यरत रहे।

लखनऊ, जेएनएन। VC Vinay Pathak Under Scanner: कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक (Professor Vinay Pathak) के खिलाफ कमीशन मांगने तथा भ्रष्टाचार के कई आरोप में लखनऊ के इंदिरा नगर थाना में केस दर्ज होने के बाद इनके कारनामे परत दर परत खुलते जा रहे हैं। विनय पाठक बीते 13 वर्ष से विभिन्न विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर कार्यरत हैं। सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि राजस्थान और उत्तराखंड के विश्वविद्यालय में भी पाठक कुलपति के पद पर कार्यरत रहे।
लखनऊ में एपीजे कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय में तो प्रोफेसर पाठक लगातार दो बार कुलपति रहे। पाठक के एक करीबी राजस्थान के अजय जैन को उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है, जबकि पाठक और उनके लिए काम करने वाले बताए जा रहे लखनऊ के अजय मिश्रा ने अपनी तथा पाठक की गिरफ्तारी पर रोक तथा अग्रिम जमानत के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की है। इस पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट दस नवंबर को फैसला सुनाएगी।
कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक 25 नवम्बर 2009 से लगातार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के विभिन्न विश्वविद्यालयों में लगातार कुलपति के पद पर बने हैं। आठ विश्वविद्यालय में 13 वर्ष से पाठक निरंतर कुलपति हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में तीन मुख्यमंत्री और तीन राज्यपाल बदले गए, लेकिन पाठक तगड़ी सेटिंग के कारण पद पर बरकरार है। 40 वर्ष की उम्र में पहली बार वाइस चांसलर बनने वाले पाठक अभी 53 वर्ष के हैं। दो 2 जून 1969 में जन्मे विनय पाठक जहां भी रहे, हमेशा विवादों में रहे हैं।
पाठक के इस लम्बे कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री के पद पर थे। रमेश पोखरियाल और बीसी खंडूरी तो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के पद पर रहे। भारतीय जनता पार्टी की वसुंधरा राजे इस दौरान राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं। राज्यपालों में मनमोहन सरकार के दौरान उत्तराखंड की राज्यपाल मार्गरेट अल्वा तथा उत्तर प्रदेश में भाजपा और समाजवादी पार्टी की सरकार में राम नाईक और आनंदीबेन पटेल राज्यपाल रहे।
मार्गरेट अल्वा का आशीर्वाद, उत्तराखंड व राजस्थान में बने कुलपति
मार्गरेट अल्वा ने उत्तराखंड में पहली बार विनय पाठक को नौ नवंबर को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी का कुलपति बनाया था। विनय पाठक यहां पर 24 नवम्बर 2012 तक कुलपति रहे। मार्गरेट अल्वा 2013 में राजस्थान की राज्यपाल बनी तो विनय पाठक को वर्धमान के महावीर ओपन यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया। जहां पर वह दो वर्ष तक रहे।
उत्तर प्रदेश में दो बार टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वीसी रहे पाठक
अखिलेश यादव की सरकार के दौरान पाठक उत्तर प्रदेश पहुंचे। तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने 2015 में अब्दुल कलाम आजाद टेक्निकल यूनिवर्सिटी लखनऊ में विनय पाठक को कुलपति बनाया। जहां पर सरकार बदलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के कार्यकाल में 2017 से 2021 तक निरंतर अब्दुल कलाम आजाद टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति बने रहे। कार्यकाल पूरा होने के बाद भी कार्यवाहक वीसी बने रहे और चार सितम्बर 2022 को छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर का कुलपति बनाया गया।
एक साथ तीन जगह का भी चार्ज संभाला
विनय पाठक अपनी तगड़ी सेटिंग से ही 13 वर्ष में आठ विश्वविद्यालय में निरंतर कुलपति बने रहने का एक रिकार्ड बनाया है। पाठक एकेटीयू विश्वविद्यालय, लखनऊ के नियमित कुलपति रहने के साथ ही हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय कानपुर तथा ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के कार्यवाहक कुलपति रहे। कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के नियमित कुलपति नियुक्त होने बाद प्रोफेसर विनय पाठक के पास डाक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का भी अतिरिक्त कार्यभार रहा।
उत्तर प्रदेश से बाहर की यूनिवर्सिटी में भी संभाला डबल चार्ज
प्रोफेसर विनय पाठक के पास सिर्फ उत्तर उत्तर प्रदेश में नहीं राजस्थान के वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी के नियमित कुलपति के साथ राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा का भी अतिरिक्त कार्यभार रहा। पाठक के पास 13 वर्ष वीसी रहने के साथ 16 वर्ष लेक्चरर रहने का भी अनुभव है।
पाठक पर बड़ा कमीशन लेने का आरोप
विनय कुमार पाठक पर आगरा के डा. भीमराव आम्बेडकर यूनिवर्सिटी में करीब दो करोड़ रुपया कमीशन लेने आरोप लगा है। यह कमीशन भी उन्होंने अपने बेहद करीबी अजय मिश्रा के माध्यम से लिया है और दोनों के खिलाफ लखनऊ के इंदिरा नगर थाना में केस दर्ज किया गया है। अब इस केस की जांच उत्तर प्रदेश एसटीएफ कर रही है।
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