वर्ष 2047 तक पशुधन का केंद्र बनेगा उत्तर प्रदेश, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग ने किया कार्यशाला का आयोजन
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2047 तक राज्य को पशुधन का केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा है। दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त करने, पशु चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ करने और रोजगार के अवसर सृजित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार पशुपालन और डेयरी उद्योग को बढ़ावा देकर किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए प्रतिबद्ध है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विकसित उत्तर प्रदेश विजन-2047 के तहत विजन पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य क्षेत्र के योगदान के लिए गुरुवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में हितधारक परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया। विशेषज्ञों और अधिकारियों ने नीतिगत सुधारों, निवेश अवसरों और नवाचारों को लेकर सुझाव दिए। प्रदेश को वर्ष 2047 तक प्रमुख पशुधन केंद्र बनाने की जरूरत जताई।
कार्यक्रम में उप्र गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने गोबर से बायोगैस व स्लरी को खाद के रूप में उपयोग करने, गोबर-गोमूत्र सहकारी समितियों की स्थापना करने, मल्टी-लेयर फार्मिंग और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही।
प्रमुख सचिव पशुधन मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश 2047 के विजन के अनुरूप पशु स्वास्थ्य को मजबूत करना आवश्यक है। उन्होंने मूल्य श्रंखला सशक्तीकरण, उच्च उत्पादकता वाली स्थानीय नस्लों, महिला नेतृत्व वाली पशुपालन इकाइयों आदि पर जोर देने की बात कही।
मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डा. केवी राजू ने कहा कि कार्ययोजना को ठोस रणनीति में बदला जाना चाहिए। कार्यक्रम में दुग्ध आयुक्त एवं महानिदेशक (मत्स्य) डा. धनलक्ष्मी के., सचिव नियोजन मासूम अली सरवर, विशेष सचिव पशुपालन देवेंद्र पांडे, कुलपति दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान मथुरा डा. अभिजीत मित्रा आदि उपस्थित रहे।

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