UPPCL : लगातार चढ़ते पारा से अब प्रदेश में रिकार्ड 31,457 मेगावाट पहुंची बिजली की मांग, रात में मांग ज्यादा पहुंच रही
UPPCL News भीषण गर्मी के बने रहने से बिजली की मांग 33 हजार मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। भीषण गर्मी के चलते इन दिनों बिजली की मांग 31 हजार मेगावाट से भी अधिक पहुंच रही है। अनपारा ओबरा व ललितपुर तापीय बिजली उत्पादन की तीन यूनिटों के ठप होने से राज्य में 1870 मेगावाट बिजली की उपलब्धता घट गई है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : पारा चढ़ने के साथ ही प्रदेश में बिजली की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। बुधवार को बिजली की मांग को एक बार फिर नया रिकार्ड बना।
प्रदेश में 31,457 मेगावाट बिजली की मांग पहुंचने से पुराने सभी रिकार्ड टूट गए। उमस भरी गर्मी से बिजली की न्यूनतम मांग भी 21,404 मेगावाट तक रही। भीषण गर्मी के बने रहने से बिजली की मांग 33 हजार मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। भीषण गर्मी के चलते इन दिनों बिजली की मांग 31 हजार मेगावाट से भी अधिक पहुंच रही है।
इस बीच अनपारा, ओबरा व ललितपुर तापीय बिजली उत्पादन की तीन यूनिटों के ठप होने से राज्य में 1870 मेगावाट बिजली की उपलब्धता घट गई है। उमस भरी गर्मी के कारण एसी के बढ़ते इस्तेमाल से बिजली की मांग रात में कहीं ज्यादा पहुंच रही है। स्थिति यह है कि आठ जून को बिजली की मांग जहां 30,161 मेगावाट रही वहीं बुध-गुरुवार की आधी रात 31,457 मेगावाट बिजली की मांग का नया रिकार्ड बन गया। नौ जून को जहां बिजली की मांग 31,104 पहुंची वहीं मंगलवार को इससे भी अधिक रिकार्ड 31,138 तक पहुंच चुकी है।
गांव में भी 24 घंटे बिजली देने की मांग
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने शहरी ही नहीं गांव में भी 24 घंटे बिजली देने की मांग की है। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि केंद्रीय कानून के तहत देशभर में रोस्टर व्यवस्था खत्म कर सभी को 24 घंटे बिजली दने की व्यवस्था की गई है। वर्मा का मानना है कि यदि रोस्टर व्यवस्था समाप्त कर दी जाए तो बिजली की अधिकतम मांग की कमी आएगी। पावर कारपोरेशन प्रबंधन का अनुमान है कि बिजली की अधिकतम मांग 32 हजार मेगावाट से ऊपर जा सकती है। मांग को देखते हुए कारपोरेशन प्रबंधन बिजली की उपलब्धता के दावे कर रहा है लेकिन विभिन्न कारणों से 2866 मेगावाट बिजली का उत्पादन ठप रहा। मंगलवार दिन में हरदुआगंज व पनकी की चार यूनिटों से बिजली का उत्पादन नहीं हो सका। लोकल फाल्ट के चलते भी प्रदेशवासियों को बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है।
परिषद अध्यक्ष का कहना है कि हरदुआगंज की यूनिटों से उत्पादन न बंद होता तो बिजली की मांग 32 हजार मेगावाट तक पहुंच सकती थी। इसका तकनीकी कारण यह है कि प्रदेश के गांव में बिजली आपूर्ति की रोस्टर व्यवस्था है। ऐसे में रात में एक-दो घंटे बिजली की मांग एकदम से ज्यादा हो जाती है जबकि शेष समय कम ही रहती है। कुल 3.45 करोड़ उपभोक्ताओं में दो करोड़ उपभोक्ता गांव के ही हैं जिन्हें 18 घंटे बिजली आपूर्ति का रोस्टर लागू है। यदि इन्हें भी 24 घंटे बिजली मिलने लगे तो वे कभी भी अपना काम कर सकते हैं। अभी छह घंटे की कटौती का रोस्टर होने से गांव में बिजली आते ही वहां छोटे-मोटे कल कारखाने चलने लगते हैं जबकि 24 घंटे आने पर ग्रामीण भी अपनी सुविधानुसार काम कर सकेंगे जिससे रात में बिजली की अधिकतम मांग घटेगी।
दूसरे राज्यों से ज्यादा हो रही बिजली आपूर्ति
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के अनुसार, प्रदेश में दूसरे राज्यों से कहीं अधिक बिजली की आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने बताया कि नौ जून को प्रदेश में जहां 31,104 मेगावाट तक बिजली की आपूर्ति की गई वहीं गुजरात में 25,230 मेगावाट, महाराष्ट्र में 25,191 मेगावाट, तमिलनाडु में 17,867 मेगावाट, राजस्थान में 16,562 मेगावाट, पंजाब में 15,508 मेगावाट बिजली की आपूर्ति रही। शर्मा ने प्रदेशवासियों को तय शेड्यूल के अनुसार बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
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