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    UP Outsourcing Employees: आउटसोर्सिंग कर्मियों के ल‍िए खुशखबरी, ये नीत‍ि मंजूर होते ही न‍ियुक्‍त‍ि होगी पक्‍की

    By Vinay SaxenaEdited By: Vinay Saxena
    Updated: Tue, 03 Oct 2023 04:46 PM (IST)

    UP News योगी सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही है जिससे कि आउटसोर्स किए जाने वाले कार्मिकों के चयन में सेवाप्रदाताओं की स्वेच्छाचारिता पर लगाम कसी जा सके। साथ ही नियमित रूप से उनके पारिश्रमिक का पूरा भुगतान और कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) की कटौती सुनिश्चित की जा सके। इसके लिए श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने नई आउटसोर्सिंग नीति तैयार कर ली है।

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    श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने नई आउटसोर्सिंग नीति की तैयार।

    राजीव दीक्षित, लखनऊ। सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग पर तैनात किये जाने वाले कार्मिकों को जल्द ही शोषण और उत्पीड़न से मुक्ति मिलेगी। सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही है जिससे कि आउटसोर्स किए जाने वाले कार्मिकों के चयन में सेवाप्रदाताओं की स्वेच्छाचारिता पर लगाम कसी जा सके। साथ ही, नियमित रूप से उनके पारिश्रमिक का पूरा भुगतान और कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) की कटौती सुनिश्चित की जा सके। इसके लिए श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने नई आउटसोर्सिंग नीति तैयार कर ली है जिसे जल्द कैबिनेट से मंजूरी दिलाई जाएगी।

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    प्रस्तावित आउटसोर्सिंग नीति में समूह ‘ग’ और ‘घ’ के पदों पर चयन के लिए प्रशासकीय विभाग शैक्षिक योग्यता तय करेगा। चयन में अभ्यर्थियों का उत्पीडऩ रोकने के लिए समूह ‘ग’ और ’घ’ तथा समकक्ष श्रेणी के कार्मिकों का चयन सेवायोजन पोर्टल पर अधिसूचित रिक्तियों के सापेक्ष आवेदन करने वाले सभी अभ्यर्थियों में से निर्धारित शैक्षिक योग्यता की मेरिट के आधार पर बिना साक्षात्कार की प्रक्रिया के किया जाएगा। अभ्यर्थियों का चयन रैंडम आधार पर नहीं किया जा सकेगा। अभी तक तीन गुणा अभ्यर्थियों का चयन किया जाता था, जिससे सेवाप्रदाता को हर तीन में से एक अभ्यर्थी को अपनी मर्जी से चुनने का अधिकार मिल जाता था।

    तकनीकी और सुपरवाइजरी पदों पर कार्य करने वाले कार्मिकों की चयन प्रक्रिया में शैक्षिक योग्यता और प्रशासकीय विभाग द्वारा अनुभव और साक्षात्कार का भारांक तय करते हुए चयन किया जाएगा। साक्षात्कार के अंक परीक्षा के कुल अंकों के अधिकतम 20 प्रतिशत तक होंगे और साक्षात्कार में संबंधित विभाग के प्रतिनिधि भी अनिवार्य रूप से होंगे जिससे चयन की कार्यवाही में शुचिता और पारदर्शिता बनी रहे।

    जिन पदों की अनिवार्य शैक्षिक अर्हता अलग-अलग होती है, उन पदों पर न्यूनतम अनिवार्य शैक्षिक अर्हता को आधार बनाकर मेरिट बनाई जाएगी। सभी श्रेणी के चयनित अभ्यर्थियों के 25 प्रतिशत तक की संख्या में प्रतीक्षा सूची तैयार की जाएगी। भर्ती प्रक्रिया समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने के लिए चयन प्रक्रिया की निगरानी संबंधित प्रशासकीय विभाग करेगा।

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    आउटसोर्स कार्मिकों के पारिश्रमिक का समय से भुगतान न करने की समस्या के समाधान के लिए सेवाप्रदाता को महीने की अधिकतम 15 तारीख तक अनिवार्य रूप से कार्मिक को देय धनराशि उसके खाते में डीबीटी के माध्यम से जमा करानी होगी। साथ ही, ईपीएफ और ईएसआइ की कटौती कर संबंधित कार्मिक के खाते में जमा की जाएगी। प्रशासकीय विभाग और संबंधित निदेशालय इस व्यवस्था की हर माह निगरानी करेंगेे। इसकी आनलाइन निगरानी के लिए ईपीएफ विभाग के प्रिंसिपल इम्प्लायर पोर्टल पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती करने वाले सभी विभागों और सेवाप्रदाताओं को अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। इस तरह की व्यवस्था ईएसआइ और सेवायोजन पोर्टल पर भी विकसित की जाएगी। आउटसोर्स कार्मिकों की व्यवस्था में सुधार के लिए सेवायोजन निदेशालय सतर पर विभाग के अधिकारियों का सेल गठित किया जाएगा। इसके लिए आवश्यकता के अनुसार पदों का सृजन भी कराया जाएगा।

    सेवाप्रदाता को देना होगा पिछले माह के भुगतान का प्रमाणपत्र

    बिड की शर्तों में सेवाप्रदाता का ईएसआई और ईपीएफ के अंतर्गत पंजीकरण का प्रमाणपत्र भी जोड़ा जाएगा। सेवाप्रदाता को मानदेय की धनराशि उपलब्ध कराने से पहले संबंधित विभाग के आहरण वितरण अधिकारी को उससे पिछले माह के भुगतान का प्रमाणपत्र या साक्ष्य प्राप्त करना होगा। आहरण और वितरण अधिकारी को ईपीएफ और ईएसआइ पोर्टल से प्रत्येक महीने उक्त कटौतियों की धनराशि की पुष्टि भी करनी होगी।

    कार्मिक को हटाने में नहीं चलेगी मनमर्जी

    आउटसोर्सिंग कर्मियों को अकारण हटाकर उनका शोषण करने की समस्या से निपटने के लिए यह तय हुआ है कि विभाग की सिफारिश पर ही किसी कार्मिक को सेवाप्रदाता सेवा से हटा सकेगा, अपनी मर्जी से नहीं।

    टूटेगा आउटसोर्सिंग एजेंसियों का एकाधिकार

    आउटसोर्सिंग एजेंसियों के एकाधिकार को तोड़ने और कर्मचारियों के कार्यभार ग्रहण न करने की समस्याओं से निपटने के लिए विभागों को आवश्यकताओं को अपने स्तर से वर्गीकृत कर क्लस्टरिंग करके कार्मिकों को आउटसोर्सिंग से लेने के लिए अधिकृत किया जाएगा। इससे स्थानीय अभ्यर्थियों को आउटसोर्सिंग की नौकरियों के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे। क्लस्टरिंग के लिए कार्मिक की न्यूनतम संख्या 25 निर्धारित करने पर सहमति बनी है। मिसाल के तौर पर यदि किसी विभाग में 20 आउटसोर्स कार्मिकों की भर्ती होनी है तो यह भर्तियां कम होने की स्थिति में टुकड़ों में नहीं की जाएंगी। यदि 25 या इससे अधिक कार्मिकों की भर्तियां होती हैं तो उसका क्लस्टर बनाकर नियुक्तियां करने के बारे में विभाग स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। क्लस्टर का निर्धारण संबंधित विभाग करेगा।

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    आउटसोर्सिंग के आवेदन के समय पोर्टल पर अपलोड करने होंगे प्रमाणपत्र

    चयन प्रक्रिया में प्रतिभाग करने वाले कुछ अभ्यर्थियों की शैक्षिक योग्यता व अनुभव प्रमाणपत्र उनके द्वारा पोर्टल पर उल्लिखित विवरण के अनुसार नहीं होने पर चयन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। इस समस्या के समाधान के लिए सेवायोजन पोर्टल पर अभ्यर्थियों द्वारा पंजीकरण के समय शैक्षिक योग्यता, कौशल व अनुभव के विवरणों के सहायक प्रमाणपत्रों को अनिवार्य रूप से पोर्टल पर आउटसोर्सिंग के लिए आवेदन करते समय अपलोड कराया जाएगा।