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    उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दर का प्रस्ताव नहीं देने पर कंपनियों को दिया नोटिस

    उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को नोटिस जारी कर तीन जुलाई को वित्तीय वर्ष 2020-21 की बिजली दर व एआरआर का प्रस्ताव तलब किया है।

    By Umesh TiwariEdited By: Updated: Sat, 27 Jun 2020 11:32 AM (IST)
    उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दर का प्रस्ताव नहीं देने पर कंपनियों को दिया नोटिस

    लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों द्वारा समय से वित्तीय वर्ष 2020-21 की बिजली दर व वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) का प्रस्ताव नहीं दाखिल किए जाने को गंभीरता से लिया है। आयोग ने बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को नोटिस जारी कर तीन जुलाई को तलब किया है। इस बीच उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली की दर घटाकर उपभोक्ताओं को राहत देने के संबंध में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को प्रस्ताव सौंपा है।

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    उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि विद्युत नियामक आयोग ने पिछले टैरिफ आर्डर के दौरान बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 13337 करोड़ रुपये निकाला था। उदय योजना व वर्ष 2017-18 के ट्रूअप की यह धनराशि अब 14782 करोड़ रुपये हो गई है। प्रस्ताव पर मंत्री ने पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष को उपभोक्ता हित में गंभीरतापूर्वक विचार कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। चूंकि बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है इसलिए उपभोक्ता परिषद ने यह सुझाव दिया है कि बिजली कंपनियां अगले तीन साल तक बिजली की दरों में आठ फीसद कमी कर उपभोक्ताओं की यह रकम वापस कर सकती हैं।

    परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा मंत्री से उपभोक्ताओं को उनकी धनराशि वापस करने के लिए बिजली दरों में कमी का प्रस्ताव नियामक आयोग में दाखिल कराने की मांग की है। वर्मा ने आरोप लगाया कि बिजली कंपनियां जान-बूझकर बिजली दर का प्रस्ताव नियामक आयोग में दाखिल नहीं कर रही हैं। कंपनियों को पता है कि 2019-20 के टैरिफ आदेश में नियामक आयोग ने लंबी बहस के बाद यह तय किया था कि बिजली उपभोक्ताओं का उदय व ट्रूअप में करीब 13337 करोड़ रुपये बिजली कंपनियों पर निकल रहा है, जिसे उपभोक्ताओं को दिया जाना है। यह धनराशि अब कैरिंग कास्ट 13 फीसदी जोड़ने के बाद करीब 14782 करोड़ रुपये हो गई है।

    सूत्रों का कहना है कि कंपनियां भले ही बिजली की दर घटाने से बचने का रास्ता निकाल लें लेकिन, कोरोना के चलते मौजूदा विषम परिस्थितियों के साथ ही इसी साल पंचायत चुनाव को देखते हुए सरकार खासतौर से ग्रामीण व उद्योग की बिजली महंगी करने के पक्ष में नहीं है। स्लैब कम करने के साथ ही शहरी उपभोक्ताओं की बिजली की दर में ही कुछ बढ़ोतरी हो सकती है।

    मिनिमम चार्ज भी खत्म करने को मंत्री को सौंपा प्रस्ताव : लॉकडाउन के दौरान शहरी वाणिज्यिक उपभोक्ताओं (एलएमवी-2) के फिक्स्ड चार्ज के साथ ही मिनिमम चार्ज को भी समाप्त करने को लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा को ज्ञापन सौंपा। वर्मा ने कहा कि मिनिमम चार्ज न खत्म होने पर फिक्सड चार्ज माफ करने का पूरा लाभ संबंधित उपभोक्ताओं को नहीं मिलेगा। मंत्री ने उपभोक्ता परिषद के ज्ञापन का परीक्षण कर उचित कार्यवाही करने के निर्देश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष अरविन्द कुमार को दिए हैं। वर्मा ने बताया कि मंत्री ने आश्वस्त किया है कि उपभोक्ताओं के साथ न्याय ही होगा।