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    उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार-2025 अध्यादेश लागू, औद्योगिक अपराधों पर अब सजा नहीं सिर्फ जुर्माना, निवेशकों को राहत

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 05:52 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार ने औद्योगिक अपराधों के लिए कारावास की सजा को समाप्त कर दिया है। 'उत्तर प्रदेश सुगम व्यापार अध्यादेश-2025' के अनुसार, अब 90% औद्योगिक अपराधों में केवल जुर्माना लगेगा, जिसकी राशि हर तीन साल में 10% तक बढ़ेगी। यह कदम राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, जिसके तहत विभिन्न अधिनियमों में संशोधन किए गए हैं।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य में अब औद्योगिक अपराधों पर उद्यमियों को दी जाने वाली कारावास की सजा समाप्त कर दी गई है। इसके लिए औद्योगिक अपराधों से जुड़े 10 कानूनों में संशोधन कर सरकार ने उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (प्रविधानों का संशोधन) अध्यादेश-2025 जारी कर दिया है।

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    इसके तहत अब 90 प्रतिशत तक औद्योगिक अपराधों पर सजा को समाप्त कर जुर्माने का प्रविधान किया गया है। हर तीन वर्ष में जुर्माने की राशि में 10 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी की जाएगी। प्रमुख सचिव विधायी जेपी सिंह ने शुक्रवार को इस अध्यादेश को जारी किया है।

    राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ईज आफ डुइंग बिजनेस (कारोबार में सुगमता) नीति तैयार की है। इस नीति के तहत निवेशकों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं दी जा रही हैं। औद्योगिक विकास विभाग ने इस संदर्भ में निवेशकों की राय लेकर सरकार को 10 प्रकार के कानून में संशोधन का सुझाव दिया था, जिसे पिछले दिनों स्वीकृति दी गई थी।

    शुक्रवार को जारी अध्यादेश के अनुसार उत्तर प्रदेश भू-जल प्रबंधन एवं विनियमन अधिनियम 2019 में कारावास के प्रविधान को समाप्त कर दो से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने की व्यवस्था की गई है। पहली बार अधिनियम के उल्लंघन पर अधिकतम पांच लाख और दूसरी बार उल्लंघन पर 10 लाख तक का जुर्माना वसूला जाएगा। साथ ही संबंधित औद्योगिक ईकाई का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) निरस्त कर दिया जाएगा।

    वहीं, उत्तर प्रदेश गन्ना (आपूर्ति एवं क्रय का विनियमन) अधिनियम के उल्लंघन पर छह माह की सजा के प्रविधान को समाप्त कर दो लाख रुपये तक जुर्माने की व्यवस्था की गई है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश सिनेमा (विनियमन) अधिनियम 1955 में और उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 के उल्लंघन पर एक माह की सजा को समाप्त कर दिया गया है।

    साथ ही आबादी के आधार पर जुर्माने की राशि निर्धारित की गई है। पांच लाख की आबादी पर एक लाख का जुर्माना और 10 लाख से अधिक की आबादी पर पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान किया गया है।

    अध्यादेश के अनुसार, उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम के उल्लंघन पर भी कारावास की सजा को समाप्त कर दिया गया है। वहीं जुर्माने की राशि 20 हजार से बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दी गई है। उत्तर प्रदेश मादक पान (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम में भी सजा को समाप्त कर 75 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रविधान किया गया है।

    उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम में भी कारावास को समाप्त कर 25 हजार रुपये तक के जुर्माने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम में छह माह की कारावास को समाप्त कर दिया गया है। जुर्माने की राशि एक हजार रुपये से बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दी गई है।

    उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के तहत भूमि से संबंधित भ्रामक सूचना देने पर दो लाख रुपये तक जुर्माना लेने का प्रविधान किया गया है। उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अधिनियम के उल्लंघन पर बिना वारंट गिरफ्तारी और तीन माह के कारावास के प्रविधान को समाप्त कर दिया गया है। इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर 75 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा।