उत्तर प्रदेश के नतीजों ने तोड़ा मिथक, योगी का भाजपा में और ऊंचा हुआ कद
Election 2022 Analysis निश्चित रूप से भाजपा में मोदी अमित शाह और योगी आदित्यनाथ ही वह तिकड़ी होंगे जिन पर न केवल भाजपा बल्कि भावी निर्णयों का सारा दारोमदार होगा जो कोरोना महामारी से लड़ने के बावजूद तमाम आरोप प्रचार और दुष्प्रचार से इतर अपने लक्ष्य में कामयाब रहे।

ऋतुपर्ण दवे। उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव परिणाम ने यह जता दिया है कि 2024 में दिल्ली की सत्ता का रास्ता फिर वहीं से निकलेगा। साथ ही दशकों से कायम यह मिथक भी टूटा कि एक ही दल दोबारा सत्ता में नहीं आता। अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद भाजपा और योगी का उत्तर प्रदेश में दोबारा पूर्ण बहुमत से लौटना बताता है कि मिथक बस मिथक ही होते हैं जो जनादेश के आगे टूट जाते हैं। इसी तरह उत्तराखंड में दोबारा सत्ता में न आने का मिथक टूट चुका है।
भाजपा की सत्ता में शानदार वापसी बता रही है कि मतदाताओं ने पूरा भरोसा किया है और यहां तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने के बाद भी वापसी ने मतदाताओं की परिपक्वता और विश्वास का जनादेश ही दिखाया है। शायद कांग्रेस यहां भी अपनी अंदरूनी कलह की वजह से पिछड़ती चली गई। शेष तीन राज्यों के नतीजों में पंजाब ने वह इतिहास रचा जो देश की भावी राजनीति का नया विकल्प होने के लिए तेजी से फैलता बरगद साबित हो सकता है।
बेशक आम आदमी पार्टी की हैसियत अब क्षेत्रीय दल से बाहर आ रही है जिसको लेकर सभी मानते हैं कि वही कांग्रेस की जगह लेती दिखेगी। बिना लाग लपेट कहें तो एक दशक में जिस तेजी से आम आदमी पार्टी ने अपना जनाधार तैयार किया है उससे भाजपा के शुरुआती दिनों की याद ताजा हो रही है। देश में भाजपा को एक नई और जनआकांक्षाओं के अनुरूप बड़े और कड़े निर्णय लेने का रास्ता उत्तर प्रदेश ने साफ कर दिया है।
योगी आदित्यनाथ को ‘बुलडोजर बाबा’ के रूप में प्रचारित कर खुद विपक्ष ने आगे बढ़ा कर वह हथियार दे दिया जो उन्हें ले डूबा। जाहिर है, इन नतीजों को भू-माफियाओं और अपराधियों पर किए गए प्रहारों पर मुहर कही जा सकती है। हां, इसको लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी सोच अब समझ आने लगी है। उन्होंने भी अपराधियों और माफियाओं पर हाल ही में जो ताबड़तोड़ कार्रवाइयां की हैं, वह उत्तर प्रदेश की तर्ज पर है।
वर्ष 2023 के आखिर में मध्य प्रदेश में चुनाव हैं। जो तेवर शिवराज के दिख रहे हैं उससे लगता है कि यहां भी बच्चों में मामा के नाम से लोकप्रिय शिवराज भी अगर ‘बुलडोजर मामा’ बन गए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। उत्तर प्रदेश की भांति मध्य प्रदेश में भी भू, रेत और खनन माफियाओं की बढ़ती आपराधिक गतिविधियों पर जो प्रहार, बतौर प्रयोग शुरू हुआ था, लगता है कि वह अब बड़े स्तर पर कर वह कुछ नया करेंगे जो अब तक नहीं हुआ।
मणिपुर और गोवा में भी बढ़त से उत्साहित भाजपा के लिए अब पूरे देश में राजनीतिक रूप से नए फैसलों को लेने के लिए इन नतीजों को हरी झंडी मान देश में राजनीति की नई तस्वीर दिख सकती है और दिखनी भी चाहिए। बेशक उत्तर प्रदेश ने योगी आदित्यनाथ को ‘पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो’ के जुमला से ही सही, पर दोबारा सत्ता में पहुंचाया। लेकिन क्या उनके कड़े फैसले देश में सुशासन की नई इबारत लिखेंगे, यह देखना होगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत के परिपक्व और मजबूत लोकतंत्र के लिए हर चुनाव बेमिसाल ही होते हैं, ठीक वैसे ही यह भी रहा।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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