यूपी में इस साल खरीफ सीजन में 27 प्रतिशत बढ़ गई यूरिया की खपत, पिछले वर्ष के मुकाबले 4.13 लाख टन ज्यादा वितरण
लखनऊ से खबर है कि खरीफ सीजन में खाद की भारी मांग है जिससे किसान परेशान हैं। इस बार यूरिया की खपत में 27% की वृद्धि हुई है। मक्का का रकबा बढ़ने और गन्ना की टॉप ड्रेसिंग जल्दी शुरू होने से मांग बढ़ी है। कृषि विभाग कालाबाजारी पर निगरानी रख रहा है और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है।

दिलीप शर्मा, लखनऊ। खरीफ सीजन में खाद की ऐसी मारामारी मची है कि किसान से लेकर कृषि विभाग और सरकार तक को पसीना आ रहा है। एक तरफ कालाबाजारी की शिकायतों की भरमार है तो दूसरी तरफ समितियों पर किसानों की कतार कम होती नजर नहीं आ रही।
22 जुलाई तक पिछले खरीफ सीजन के मुकाबले इस बार 4.13 लाख टन यूरिया ज्यादा बांटा चुका है, जो 27 प्रतिशत अधिक है। डीएपी और एनपीके की खपत भी पिछले सीजन के मुकाबले ज्यादा है।
लगातार वितरण के बाद भी अभी यूरिया और अन्य उर्वरकों की मांग बनी हुई है। इसके चलते विभाग से लेकर कृषि मंत्रालय तक आपूर्ति बनाए रखने की कोशिश में जुटे हैं।
मक्का की बढ़े रकबे और इस बार जुलाई में गन्ना की टाप ड्रेसिंग का काम तेज होने को मांग बढ़ने की प्रमुख वजह बताया जा रहा है। वहीं विभाग किसानों द्वारा आवश्यकता से अधिक खाद लिए जाने को भी एक कारण बता रहा है।
कृषि विभाग द्वारा चालू खरीफ सीजन के लिए 105.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसलों की बोआई का लक्ष्य रखा गया है। इस बार धान का क्षेत्रफल पिछले सीजन के मुकाबले 7.24 लाख हेक्टेयर कम किया गया है और 65 लाख हेक्टेयर में बोआई कराने का लक्ष्य रखा गया है।
वहीं, मक्का, बाजरा, ज्वार, श्रीअन्न, दलहन और तिलहन के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी की जा रही है। इसके चलते इस बार मक्के के रकबे में बढ़ोतरी हो रही है। अब तक 701 हजार हेक्टेयर में मक्का की बोआई हो चुकी है, जबकि पिछले सीजन में यह 636 हजार हेक्टेयर रहा था। अन्य फसलों का रकबा भी बढ़ा है। इसके साथ ही खाद की मांग भी ऊपर चढ़ गई है।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार पिछले सीजन में 22 जुलाई तक 15.17 लाख टन यूरिया का वितरण हुआ था, जबकि चालू सीजन में 19.30 लाख टन यूरिया बांटा जा चुका है।
वहीं, पिछले सीजन में 3.73 लाख डीएपी और 1.24 लाख टन एनपीके का वितरण हुआ था, जबकि चालू सीजन में 3.98 लाख टन डीएपी और 1.73 लाख टन एनपीके का वितरण हाे चुका है।
कृषि विभाग के अनुसार, अन्य फसलों के साथ मक्का का रकबा बढ़ने से उवर्रक की मांग ज्यादा हुई है। इस बार मानसून जल्दी आने किसानों को जल्दी उवर्रक की आवश्यकता पड़ रही है। वहीं गन्ना की टॉप ड्रेसिंग का काम भी पहले शुरू हो गया है, इसके चलते भी यूरिया और अन्य उर्वरक की खपत बढ़प है, पूर्व के वर्षों में टाप ड्रेसिंग का काम सामान्य तौर पर अगस्त में गति पकड़ता था।
दूसरी तरफ बहुत से किसानों द्वारा आवश्यकता से अधिक खाद ली जा रही है। इसके चलते भी खपत ज्यादा हाे गई है। कृषि निदेशक डा. पंकज त्रिपाठी ने बताया कि प्रदेश में उर्वरक की उपलब्धता का संकट नहीं है। इस बार जल्दी खपत हो हो रही है, आने वाले दिनों में मांग कम होगी।
कृषि मंत्री ने बुधवार को ही उर्वरक मंत्री से मुलाकात कर समय पर आपूर्ति का अनुरोध किया है। केंद्र से समय पर आपूर्ति होगी। वहीं विभाग द्वारा कालाबाजारी को लेकर निगरानी की जा रही है। अब तक 30 विक्रेताओं के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी है और 600 फुटकर विक्रेताओं को नोटिस दिया जा चुका है।
उर्वरक वितरण के आंकड़े (22 जुलाई तक)
उर्वरक | वर्ष 2024 | वर्ष 2025 | बढ़ोतरी |
यूरिया | 15.17 | 19.30 | 4.13 |
डीएपी | 3.73 | 3.98 | 0.25 |
एनपीके | 1.24 | 1.73 | 0.49 |
नोट- आंकड़े लाख टन में हैं।
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