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उर्दू को मुसलमानों की भाषा कहर मजहब से जोडऩा गलत

भाषा का कभी कोई मजहब नहीं होता। उर्दू भाषा सिर्फ मुसलमानों की है, यह कहना बिल्कुल गलत है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 09 Oct 2016 11:24 PM (IST)Updated: Sun, 09 Oct 2016 11:51 PM (IST)
उर्दू को मुसलमानों की भाषा कहर मजहब से जोडऩा गलत

लखनऊ (जेएनएन)। उर्दू भाषा सिर्फ मुसलमानों की है, यह कहना बिल्कुल गलत है। भाषा का कभी कोई मजहब नहीं होता। यह तो हमें तोडऩे वालों की साजिश है जो कि हमें जाति-धर्म और भाषा के स्तर तक तोडऩे की कोशिश कर रहा है। मुसलमानों ने ही नहीं, हिंदू व अन्य मजहब के लोगों ने भी इसे खूब सींचा है। दैनिक जागरण द्वारा आयोजित संवादी में भारत और उर्दू :भाषा का लोकतंत्रीकरण विषय पर आयोजित कार्यक्रम में उर्दू के शायर व लेखकों ने दो टूक कहा कि सिर्फ सियासत करने वाले ही इसे मुसलमान की भाषा बनाने की कोशिश में रहते हैं, लेकिन उर्दू भाषा एक सलीका है और एक तहजीब है। कार्यक्रम में मशहूर शायर अनवर जलालपुरी, वरिष्ठ रंगकर्मी व लेखक सलीम आरिफ, उर्दू शायर संजय कुमार कुंदन शामिल हुए। मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार नासिरुद्दीन हैदर ने किया।

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मशहूर शायर अनवर जलालपुरी ने कहा कि जुबान यानी भाषा का कोई धर्म नहीं होता। ऐसे में इसे किसी एक मजहब से जोड़कर देखना गलत है। उर्दू हमारे भारत की जुबान है। इसमें कशिश है जो लोगों को अपनी ओर खींचती है। यह ङ्क्षहदू-मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी की भाषा है। इसे सियासी लोग ही सिर्फ मुसलमानों की जुबान साबित करने में जुटे हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि आज लोग उर्दू को अपनी माशूका तो बनाते हैं मगर बीवी नहीं। यानी इसे बोलते हैं मगर इसे पूरी तरह अपनाते नहीं। उन्होंने कहा कि हिंदू भाई उर्दू में स्क्रिप्ट सीख लें तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।

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कार्यक्रम में मशहूर रंगकर्मी और लेखक सलीम आरिफ ने कहा कि उर्दू को मुसलमानों से जोडऩा बिल्कुल गलत है, हम ऐसे तमाम लोगों को जानते हैं जिन्होंने उर्दू को सींचने का काम किया। वह सब मुसलमान नहीं उसमें बहुत सारे ङ्क्षहदू हैं। ऐसे तमाम उदाहरण हमारे पास हैं। मैंने कभी उर्दू की पढ़ाई नहीं की, बस घर में ही इसे सीखा। मैं अपने आपको खुशकिस्मत समझता हूं कि उर्दू मुझे आती है। उन्होंने कहा कि वह अपने पृथ्वी थियेटर के माध्यम से हर मंगलवार को उर्दू न बोलने वाले लोगों को बुलाकर इसे सिखाने का काम करते हैं। आज सोशल मीडिया के कारण उर्दू राइटर को अंग्रेजी व हिंदी में पढऩे का रुझान बढ़ा है।

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कार्यक्रम में उर्दू शायर संजय कुमार कुंदन ने कहा कि उर्दू आज सबके बीच है लेकिन इसकी स्वीकार्यता नहीं बन पा रही है। हिंदी व उर्दू को साजिश की तहत बांटा गया, जिस तरह हिंदुस्तान व पाकिस्तान का बंटवारा हुआ। तोडऩे वाले हमें जाति-धर्म ही नहीं भाषा के आधार पर भी बांट रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों में विद्यार्थियों को उर्दू का ज्ञान सिखाया जाए तो आगे अच्छे परिणाम सामने आएंगे। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार नासिरुद्दीन हैदर ने कहा कि उर्दू भाषा बोलने वाले केवल मुसलमान नहीं। हमारे देश में उर्दू भाषा जानने वालों की संख्या मुसलमानों से अधिक है। ऐसे में इसे केवल एक मजहब से ही जोडऩा उचित नहीं होगा। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से उर्दू को बेहतर ढंग से प्रचारित-प्रसारित करने का काम किया जा रहा है।

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टाकीज का हुआ लोकार्पण

कार्यक्रम में वरिष्ठ फिल्म समीक्षक अजय ब्रहा्रात्मज द्वारा मशहूर फिल्म हस्तियों के लिए गए इंटरव्यू के अनूठे संग्रह टाकीज का भी लोकार्पण हुआ। इसमें मशहूर शायर अनवर जलालपुरी, वरिष्ठ रंगकर्मी सलीम आरिफ, पटकथा लेखक रितेश शाह, उर्दू शायर संजय कुमार कुंदन शामिल रहे।



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