UPSRTC : अपने रिस्क पर करें यात्रा, अब ठोंक-पीटकर चलेंगी एसी जनरथ बसें
UPSRTC AC Janrath Buses पुरानी जनरथ बसें तय किलोमीटर चल चुकी हैं कुछ तो 12 लाख किमी दौड़कर हांफ रही हैं उनका जैसे तैसे संचालन हो रहा। गर्मी में यात्री कूलिंग न होने और एसी में सुविधा न होने की शिकायतें कर रहे। निगम ने जनरथ बसों को नहीं खरीदा।

धर्मेश अवस्थी, जागरण, लखनऊ : परिवहन निगम ने 30 अप्रैल को वातानुकूलित बसों का किराया सितंबर माह तक दस प्रतिशत कम रखने का आदेश जारी करके वाहवाही लूटी लेकिन, हकीकत इसके उलट है।
निगम के बस बेड़े में सबसे सस्ती एसी सेवा की जनरथ बसें सर्वाधिक हैं। 553 बसों में से अधिकांश की हालत खस्ता है। निर्देश के बाद भी जनरथ बसों को नहीं खरीदा गया, चल रही बसें अपेक्षा के अनुरूप नहीं है, इस पर पर्दा पड़ा रहे इसीलिए किराये को कम रखने का निर्णय लिया गया। 30 अप्रैल को निगम के वाट्सएप ग्रुप पर क्षेत्रीय प्रबंधकों ने लिखा, जनरथ बसों की हालत ठीक नहीं है इसलिए किराया न बढ़ाया जाए।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का बस बेड़ा 13 हजार की संख्या को पार कर चुका है। निगम के पास बसें बहुत हैं लेकिन, जनता की पसंद वाली बसें नहीं खरीदी जा रही। लोग उन बसों में यात्रा करना पसंद करते हैं जिनमें किराया कम और सुविधा अधिक हो, इस कसौटी पर जनरथ सेवा खरी उतरती है।
सामान्य बस का किराया 1:30 रुपये प्रति किलोमीटर है, यानी 100 किलोमीटर जाने पर 130 रुपये, जबकि जनरथ का किराया 1:45 रुपये प्रति किलोमीटर है, यानी 100 किलोमीटर जाने पर किराया 145 रुपये होगा, थोड़े अधिक किराये में यात्री एसी का आनंद ले सकते हैं। निगम की अन्य एसी बसों का किराया दो रुपये प्रति किलोमीटर या उससे अधिक है।
अधिकांश पुरानी जनरथ बसें तय किलोमीटर चल चुकी हैं, कुछ तो 12 लाख किलोमीटर दौड़कर हांफ रही हैं उनका जैसे-तैसे संचालन हो रहा। गर्मी में यात्री कूलिंग न होने और एसी में सुविधा न होने की शिकायतें कर रहे हैँ। निगम ने जनरथ बसों को नहीं खरीदा जबकि इलेक्ट्रिक एसी डबल डेकर बसों को कार्यशाला में खड़ा किया गया है। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने पिछले वर्ष दावा किया था कि जनरथ बसों की खरीद होगी। गर्मी पड़ रही है अब तक बसें बेड़े में शामिल नहीं हो सकी है। पुरानी बसें चलती रहेंगी इसीलिए किराया घटाया गया है।
निगम के सलाहकार व पूर्व प्रधान प्रबंधक आरएन वर्मा ने बताया, निगम के बस बेड़े में करीब 200 वातानुकूलित बसें जल्द शामिल होंगी जो विभिन्न मार्गों पर चलेंगी। वर्मा यह नहीं बता पाए कि इन बसों में सवार होने वाले यात्रियों से जनरथ बसों का किराया लिया जाएगा?
तीन साल बाद भी आदेश का पालन नहीं
21 फरवरी 2022 को तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र की अध्यक्षता में परिवहन विभाग की बैठक हुई। 23 से अधिक बिंदुओं पर मंथन के बाद निर्देश जारी हुए, परिवहन निगम से कहा गया कि यात्रियों की अपेक्षानुसार उच्च श्रेणी की एसी के बेड़े में वृद्धि करके उन्हें लंबी दूरी के मार्गों पर चलाया जाए।
आम आदमी की बस जनरथ
रेलगाड़ी में गरीब रथ की तरह परिवहन निगम में जनरथ बसें चली, ताकि आम आदमी आसानी से वातानुकूलित बसों से आवागमन कर सकेंगे। सस्ती एसी सेवा से परिवहन निगम ने मानों मुंह मोड़ लिया है। पांच साल में एक भी जनरथ बस बेड़े में शामिल नहीं हुई। 2020 तक की 566 बसों को ही जैसे-तैसे दौड़ाया जा रहा है।
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