UPSC CSE 2022: उत्तर प्रदेश में हर सरकार में अच्छे कार्य के लिए हतोत्साहित किए गए रिंकू सिंह राही बन गए आइएएस अधिकारी
IAS Officer Rinku Singh Rahi मुजफ्फरनगर में जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए उन्होंने 2009 में करोड़ों रुपए के घोटाले का पर्दाफाश किया था। इससे घबरा ...और पढ़ें

लखनऊ, जेएनएन। लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करने के बाद आइएएस अफसर बने रिंकू सिंह राही के संघर्ष की कहानी फिल्मी जैसी है। राज्य सरकार की सेवा में बसपा के साथ सपा तथा भाजपा शासन में लगातार प्रताडि़त होने वाले रिंकू सिंह राही पर माफिया तथा बदमाशों का भी कहर टूटा, लेकिन बुलंद हौसले वाले रिंकू सिंह ने बड़ी मंजिल पा ली है। जहां चाह वहां राह पर भरोसा रखने वाले रिंकू सिंह राही खनन माफिया के हमले में सात गोली लगने के बाद भी जीवित हैं। इनके संघर्ष की दास्तां करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा बनेगी और वो लोग भी इनके मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगे। हापुड़ में समाज कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात 40 वर्षीय रिंकू सिंह राही ने 13वें प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में सफलता हासिल मिली है।
अलीगढ़ निवासी रिंकू सिंह राही ने लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में 683वीं रैंक हासिल की है। वह दलित हैं। हापुड़ में राजकीय आइएएस/पीसीएस कोचिंग के प्रभारी दलित रिंकू सिंह के संघर्ष की कहानी प्रेरणा देती है। बसपा सरकार के कार्यकाल में उनके उपर माफिया ने हमला किया। मुजफ्फरनगर में जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए उन्होंने 2009 में करोड़ों रुपए के घोटाले का पर्दाफाश किया था। इससे घबराए माफिया ने उन पर हमला करा दिया था। उन्हें सात गोलियां मारी गई थीं, जिसमें से मुंह पर भी एक गोली लगी। उससे पूरा चेहरा खराब हो गया था। इसके बाद समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में घोटाले पर कार्रवाई नहीं होने के विरोध में जताने पर पुलिस ने मेंटल हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया। भाजपा सरकार ने तो हापुड़ में ही राजकीय कोचिंग सेंटर के प्रभारी रिंकू सिंह राही को मौजूदा पोस्टिंग के दौरान ही शासन से दो बार चार्जशीट थमाई गई। इसके बाद सस्पेंड किया गया।

सिविल सेवा में भर्ती होने के उनके जुनून के कारण ही वह भ्रष्टाचार के आगे नहीं झुके। जानलेवा हमले के 13 वर्ष बाद उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा पास कर ली है। अलीगढ़ के रिंकू सिंह राही ने 2004 में उत्तर प्रदेश लोस सेवा आयोग की परीक्षा पास की थी। इसके बाद उनको मुजफ्फरनगर में जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात किया गया। जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते रिंकू सिंह राही को जब ट्रेनिंग के लिए ट्रेजरी भेजा गया, तो उन्होंने वहां स्कॉलरशिप और छात्र-छात्राओं फीस प्रतिपूर्ति के नाम पर करोड़ों रुपए के घोटाले का पता किया। करीब सौ करोड़ के घोटाले की तह में जाने के प्रयास में ही वह माफिया के निशाने पर आ गए। रिंकू सिंह राही जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते पुराने प्लानिंग दफ्तर की सरकारी आवासीय कॉलोनी में रह रहे थे। 26 मार्च 2009 को सहकर्मी के साथ सुबह बैडमिंटन खेल रहे थे। इसी दौरान दो हमलावरों ने उनके ऊपर फायरिंग की। रिंकू सिंह राही को सात गोलियां लगीं और उनका जबड़ा भी बाहर आ गया। उन्हें हायर सेंटर मेरठ ले जाया गया। इसके बाद कई ऑपरेशन के बाद वह ठीक होकर लौटे। उनकी एक आंख की रोशनी जाती रही और उन्हें मुंह की सर्जरी करानी पड़ी थी। एक साइड का जबड़ा भी पूरी तरह से डैमेज हो गया था।

इसके बाद भी उनकी नौकरी चलती रही। 2015-16 के दौरान वह श्रावस्ती में जिला समाज कल्याण अधिकारी विकास के पद पर पोस्टेड थे। उन्हें पोस्टिंग के दौरान 25 हजार रुपए प्रति वर्ष सरकारी गाड़ी भत्ता दिए जाने की व्यवस्था थी। वह उसको नहीं ले रहे थे। अधिकारियों की मीटिंग में उन्हें 25 हजार रुपए किसी भी मद में खर्च करने को कहा गया। उन्होंने खर्च नहीं किए। इसके बावजूद उन्हें गाड़ी भत्ता के 25 हजार रुपए दूसरे कामों पर खर्च करने के आरोप में चार्जशीट थमा दी गई। समाज कल्याण अधिकारी ललितपुर में पोस्टिंग के दौरान 2018 में उन्हें विभाग की देखरेख में चलने वाले स्कूल में शिक्षकों का शोषण करने के आरोप में आरोप पत्र दिया गया। हापुड़ में राजकीय आइएएस/पीसीएस कोचिंग सेंटर में मेस संचालन का ठेका जैम पोर्टल से लेने वाले ठेकेदार की शिकायत करने पर उन्हें फर्जी आरोप में फंसाने की कोशिश की गई। इन्हीं मामलों को लेकर अलग-अलग फर्जी शिकायत कर उन्हें दो आरोप पत्र दिए गए।

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