UPPCL Privatisation: निदेशक वित्त का कार्यकाल बढ़वाने के पीछे निजीकरण में घोटाला की आशंका,
UPPCL News पदाधिकारियों का कहना है कि कारपोरेशन अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल द्वारा निदेशक वित्त का कार्यकाल बढ़ाने के लिए शासन को लिए गए पत्र से स्पष्ट है कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मसौदा परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किए बगैर तैयार किया गया है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : पावर कारपोरेशन के निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग का कार्यकाल बढ़ाने के लिए पावर कारपोरेशन प्रबंधन के दूसरी बार शासन को पत्र लिखने पर नारंग विद्युत कर्मचारी व उपभोक्ता संगठनों के निशाने पर आ गए हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कार्यकाल बढ़ाने को लेकर कारपोरेशन प्रबंधन के अड़ने पर निजी घरानों से मिलीभगत के जरिए निजीकरण में बड़े घोटाले की आशंका जताई है।
समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि कारपोरेशन अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल द्वारा निदेशक वित्त का कार्यकाल बढ़ाने के लिए शासन को लिए गए पत्र से स्पष्ट है कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मसौदा परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किए बगैर तैयार किया गया है।
पत्र में कहा गया है कि वृहद रिफार्म के तहत निगमों की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन, बैलेंस सीट बनाना, इक्विटी की गणना इत्यादि अहम कार्य किए जाने हैं। समिति ने आरोप लगाया है कि कारपोरेशन अध्यक्ष, निदेशक वित्त और निजी घरानों के बीच मिली भगत है।
निदेशक वित्त का कार्यकाल छह माह के लिए बढ़ाए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजना इसकी पुष्टि करता है। समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह मामले में प्रभावी हस्तक्षेप करते हुए निदेशक वित्त को सेवा विस्तार न देने के लिए ऊर्जा विभाग को निर्देशित करें।
दूसरी तरफ राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के आयोजित वेबिनार में उपभोक्ताओं ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के निदेशक वित्त का कार्यकाल बढ़ाए जाने का विरोध किया। उपभोक्ताओं ने कहा कि 25 वर्षों में किसी भी निदेशक का कार्यकाल उपभोक्ता सेवा में सुधार करने के नाम पर नहीं बढ़ाया गया।
परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि जनता को पांच साल में एक बार सरकारों का कार्यकाल बढ़ाने व घटाने का मौका मिलता है। नारंग की संपत्तियों को लेकर सवाल उठाते हुए वर्मा ने कहा कि उच्चस्तरीय जांच की जाए।
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