Privatization of UPPCL : बिजली के निजीकरण पर अभिमत के लिए आयोग पहुंचा पावर कारपोरेशन
Privatization of UPPCL पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्काम का इक्विटी कैपिटल शेयर 6000 से 7000 करोड़ आंकलित करना गलत है। इन दोनों बिजली कंपनियों की कुल इक्विटी शेयर कैपिटल करीब 53886 करोड़ रुपये है जो कि बैलेंस शीट में दर्ज है। दोनों बिजली कंपनियों को तोड़कर पांच नई बिजली कंपनियां बनाने का प्रस्ताव है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जिलों की बिजली आपूर्ति के निजीकरण (Privatization of UPPCL) का मामला गुरुवार को विद्युत नियामक आयोग में पहुंचा। पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल सहित अन्य संबंधित अधिकारियों की मौजूदगी में सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन के प्रतिनिधियों ने निजीकरण के मसौदे का आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह के समक्ष प्रस्तुतीकरण किया।
कारपोरेशन प्रबंधन ने मसौदे पर आयोग से दो सप्ताह में ही सरकार को अभिमत देने का अनुरोध किया है। आयोग का अभिमत मिलने पर उसे एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में रखा जाएगा। टास्क फोर्स के निर्णय के बाद निजीकरण संबंधी प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।
सरकार द्वारा निजीकरण को लेकर आयोग से अभिमत मांगने की भनक लगने पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा भी नियामक आयोग पहुंचे। उन्होंने आयोग के अध्यक्ष से कहा कि अमेरिकी रेगुलेटर द्वारा जुर्माना लगाए जाने के दोषी सलाहकार कंपनी के निजीकरण के मसौदे को किसी भी रूप में स्वीकार न किया जाए। वर्मा ने बिजली के निजीकरण को सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए आयोग में लोकमहत्व का प्रस्ताव दाखिल किया।
प्रस्ताव के माध्यम से आयोग को बताया कि इक्विटी शेयर कैपिटल को कम आंकलित कर निजी घरानों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्काम का इक्विटी कैपिटल शेयर 6,000 से 7000 करोड़ आंकलित करना गलत है। इन दोनों बिजली कंपनियों की कुल इक्विटी शेयर कैपिटल करीब 53,886 करोड़ रुपये है जो कि बैलेंस शीट में दर्ज है। दोनों बिजली कंपनियों को तोड़कर पांच नई बिजली कंपनियां बनाने का प्रस्ताव है।
उन्होंने आयोग के सामने यह मुद्दा उठाया कि आयोग के अनुमोदन से करीब 44,000 करोड़ रुपये की आरडीएसएस योजना से बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जा रहा है। ऐसे में निजी घरानों को लाभ देने के लिए बिजली कंपनियों को कम लागत में बेचने का भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
आयोग इसे रोकने के लिए कदम उठाए। दूसरी तरफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण के मसौदे पर आयोग के अध्यक्ष कोई अभिमत नहीं दे सकते हैं। इसके लिए उनके पास नैतिक व कानूनी अधिकार नहीं है। आयोग को पावर कारपोरेशन द्वारा अवैध ढंग से नियुक्त किए गए सलाहकार द्वारा तैयार कराए गए निजीकरण के आरएफपी डाक्यूमेंट पर अपना अभिमत नहीं देना चाहिए।

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