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    UPPCL News : संगठनों ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से की भेंट, कहा उत्तर प्रदेश में बिजली को दुकान न बनने दें

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 03:52 PM (IST)

    UPPCL News उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि ऊर्जा मंत्री को अब निजीकरण का फैसला निरस्त करते हुए बिजली को सरकारी क्षेत्र में ही रखते हुए सुधार की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। बिजली कंपनियों को किसी की निजी दुकान बनाने से रोकना चाहिए।

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    संगठनों ने ऊर्जा मंत्री से कहा, बिजली को दुकान न बनने दें

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद तथा विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा द्वारा बुधवार को समीक्षा बैठक में कहे गए वाक्य ‘बिजली विभाग एक जनसेवा है, दुकान नहीं’ को कोट करते हुए कहा कि जब यह दुकान नहीं है तो निजीकरण कर इसे दुकान क्यों बनाया जा रहा है।

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    मंत्री से मांग की है कि बिजली एक जनसेवा के दायित्व का निर्वहन करते हुए इसे सार्वजनिक क्षेत्र में ही रहने दें। पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय को निरस्त करने का आदेश दें।

    उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर ने 1934 में कहा था बिजली हमेशा सरकारी क्षेत्र में रहनी चाहिए। ऊर्जा मंत्री को अब निजीकरण का फैसला निरस्त कर ते हुए बिजली को सरकारी क्षेत्र में ही रखते हुए सुधार की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। बिजली कंपनियों को किसी की निजी दुकान बनाने से रोकना चाहिए।

    संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री का यह कहना सर्वथा उचित है कि सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली विभाग एक जन सेवा है दुकान नहीं। सार्वजनिक क्षेत्र के लिए बिजली जन सेवा है तो निजी घरानों के लिए व्यापार है। संघर्ष समिति ने बताया कि 15 जुलाई को ओडिशा विद्युत नियामक आयोग ने टाटा पावर की चारों कंपनियों को नोटिस जारी किया है।

    आयोग ने नोटिस में कहा है कि चारों कंपनियां गरीब उपभोक्ताओं खासकर एक किलोवाट और दो किलोवाट के घरेलू उपभोक्ताओं को महीनों तक बिजली का कनेक्शन नहीं देती हैं। निजीकरण के बाद छोटे घरेलू उपभोक्ता निजी कंपनियों की दया पर निर्भर हो गए हैं।

    ओडिशा विद्युत नियामक आयोग ने निजी कंपनियों के परफार्मेंस पर नाराजगी जताते हुए जनसुनवाई के आदेश दिया है। इससे पूर्व वहां पर फरवरी 2015 में नियामक आयोग ने बहुत खराब परफार्मेंस के चलते रिलायंस पावर के विद्युत वितरण के सभी लाइसेंस रद कर दिए थे। अब यही विफल प्रयोग उत्तर प्रदेश पर क्यों थोपा जा रहा है।