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    UPPCL: यूपी में महंगी होगी ब‍िजली? ब‍िजली दरों को लेकर हो गई फाइनल सुनवाई, अब आयोग सुनाएगा फैसला

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 10:31 PM (IST)

    लखनऊ में विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों को तय करने के लिए अंतिम सुनवाई पूरी कर ली है। यह सुनवाई उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन और यूपीएसएलडीसी की वार्षिक राजस्व आवश्यकता और शुल्क पर केंद्रित थी। उपभोक्ता परिषद ने ट्रांसमिशन कारपोरेशन की टैरिफ बेस कंपटीटिव बिडिंग व्यवस्था पर रोक लगाने की मांग की है। आयोग जल्द ही बिजली दरों पर अपना निर्णय सुनाएगा।

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    ब्यूरो: इसी महीने आयोग दे सकता है बिजली दरों पर अपना निर्णय

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विद्युत नियामक आयोग में मंगलवार को उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लि. और उत्तर प्रदेश लोड डिस्पैच सेंटर (यूपीएसएलडीसी) की वार्षिक राजस्व आवश्यक्ता और शुल्क पर सुनवाई हुई। बिजली दरों पर निर्णय से पूर्व की यह अंतिम सुनवाई थी। इस महीने के अंतिम सप्ताह या सितंबर के पहले सप्ताह में आयोग बिजली दरों पर अपना निर्णय दे सकता है।

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    आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह की उपस्थिति में आयोग के सभागार में यह सुनवाई हुई। जिसमें ट्रांसमिशन कारपोरेशन व यूपीएसएलडीसी के निदेशक सुनवाई में शामिल हुए। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ट्रांसमिशन कारपोरेशन को टैरिफ बेस कंपटीटिव बिडिंग (टीबीसीबी) व्यवस्था पर तत्काल रोक लगानी चाहिए। निगम जिन कामों को 25 प्रतिशत तक कम लागत पर करता था अब वही काम निजी घराने 25 प्रतिशत तक महंगी लागत पर कर रहे हैं।

    ट्रांसमिशन कारपोरेशन ने इस बार वार्षिक राजस्व आवश्यकता 6,279 करोड़ रुपये का दाखिल किया है। जिसका भार प्रदेश की जनता पर पड़ेगा। ट्रांसमिशन कारपोरेशन के 132 केवी सब-स्टेशनों की कुल क्षमता 69,232 एमवीए है। यह भार किलोवाट में 6.23 करोड़ होगा। प्रदेश के 3.61 करोड़ विद्युत उपभोक्ता का स्वीकृत भार लगभग 8.17 करोड़ किलोवाट है। गर्मी में बिजली की मांग अधिक होने पर ट्रांसमिशन का सिस्टम कांपने लगता है।

    उन्होंने कहा कि ट्रांसमिशन निगम पहले रिटर्न ऑफ इक्विटी लाभांश दो प्रतिशत लेता था। इस बार 14.5 प्रतिशत लेने की बात कही गई है। जिससे उपभोक्ताओं पर 1824 करोड़ रुपये का भार आएगा।

    अवधेश वर्मा ने यूपीएसएलडीसी को स्वतंत्र होकर काम करने की मांग उठाई। कहा कि भारत सरकार द्वारा बनाए गए कानून के तहत 24 घंटे विद्युत आपूर्ति के मामले पर यूपीएसएलडीसी चुप रहता है। बिजली आपूर्ति की मांग होते हुए भी उत्पादन इकाइयों को रिजर्व शटडाउन दिया जाता है, जो गलत है।

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