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    UPPCL: पावर कॉर्पोरेशन को मिला बिजली के निजीकरण पर निर्णय लेने का अधिकार, कैबिनेट से मंजूरी का रास्ता भी साफ

    उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) को दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम के निजीकरण पर निर्णय लेने का अधिकार मिल गया है। दोनों डिस्कॉम के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने निजीकरण के लिए नए सिरे से कंपनी बनाने आदि के संबंध में निर्णय लेने के लिए कॉरपोरेशन प्रबंधन को अधिकृत कर दिया है। इसके साथ ही निजीकरण संबंधी मसौदे (आरएफपी) को कैबिनेट से मंजूर कराने का रास्ता भी साफ हो गया है।

    By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 08 Dec 2024 07:53 AM (IST)
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    पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने विधिक बाधा दूर कर ली है।

     राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ। दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्काम को पीपीपी माडल पर निजी हाथों में सौंपने को लेकर पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने विधिक बाधा दूर कर ली है। दोनों ही डिस्काम के बोर्ड आफ डायरेक्टर ने निजीकरण के लिए नए सिरे से कंपनी बनाने आदि के संबंध में निर्णय लेने के लिए कारपोरेशन प्रबंधन को अधिकृत कर दिया है।

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    इसके साथ ही निजीकरण संबंधी मसौदे (आरएफपी यानी प्रस्ताव के लिए अनुरोध) को कैबिनेट से मंजूर कराने का रास्ता भी साफ हो गया है। मंगलवार को कैबिनेट की प्रस्तावित बैठक में संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही निजीकरण को लेकर निविदा प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

    दरअसल, दक्षिणांचल व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के संबंध में पावर कारपोरेशन के बोर्ड आफ डायरेक्टर और एनर्जी टास्कफोर्स से आरएफपी को मंजूरी दिए जाने को चुनौती देते हुए पिछले दिनों उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की थी।

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    विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 131(4) और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए तर्क दिया गया कि पावर कापोरेशन को बिजली कंपनियों को निर्देश देने का अधिकार ही नहीं है। कहा गया कि जब विद्युत अधिनियम की इसी धारा के तहत मध्यांचल, पूर्वांचल, दक्षिणांचल व पश्चिमांचल डिस्काम का गठन किया जा चुका है तब फिर उस धारा का इस्तेमाल करने का अधिकार अब चारों बिजली कंपनियां को ही है न कि पावर कारपोरेशन को।

    हाई कोर्ट द्वारा भी एक मामले में सभी बिजली कंपनियों को स्वतंत्र बताया जा चुका है। ऐसे में कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा प्रस्ताव पास कराकर एनर्जी टास्क फोर्स से उसे अनुमोदित कराना असंवैधानिक है। सूत्र बताते हैं कि आयोग में उपभोक्ता परिषद की ओर से दायर याचिका से देर-सबेर निजीकरण का मामला लटक न जाए इसके लिए पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने नया रास्ता निकालते हुए दोनों डिस्काम के बोर्ड आफ डायरेक्टर से विद्युत वितरण के निजीकरण के संबंध में किसी तरह का निर्णय करने का अधिकार हासिल कर लिया है।

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    माना जा रहा है कि अब दोनों ही डिस्काम की बिजली आपूर्ति पांच निजी कंपनी को सौंपने के संबंध में कारपोरेशन द्वारा निर्णय लेने में कोई विधिक अड़चन नहीं रह गई है। ऐसे में ऊर्जा विभाग के माध्यम से पावर कारपोरेशन प्रबंधन निजीकरण संबंधी मसौदे को कैबिनेट से जल्द मंजूर कराने की तैयारी में है।