UPPCL Employees protest against privatization: बिजली कर्मियों का गुस्सा बढ़ा, सलाहकार कंपनी को क्लीन चिट
UPPCL Employees Protest Against Privatization नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर गुरुवार को देश के सभी राज्यों में बिजली कर्मचारियों जूनियर इंजीनियरों और इंजीनियरों ने उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया। पावर कारपाेरेशन प्रबंधन अब निजीकरण की प्रक्रिया तेज करेगा।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : प्रदेश के 42 जिलों की बिजली के निजीकरण की चल रही प्रक्रिया के विरोध में गुरुवार को देशभर में बिजलीकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदेश के सभी जिलों और परियोजनाओं पर दोपहर में लंच के समय कर्मचारी कार्यालयों से बाहर निकलें, नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति तथा राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन को प्रबंधन द्वारा क्लीनचिट दिए जाने की जानकारी देते हुए कहा है कि प्रबंधन अब निजीकरण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ाएगा। क्लीनचिट दिए जाने से बिजलीकर्मियों का गुस्सा बढ़ गया है।
नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर गुरुवार को देश के सभी राज्यों में बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और इंजीनियरों ने उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने चर्चाओं के हवाले जानकारी दी है कि निजीकरण के लिए नियुक्त किए गए ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट (सलाहकार) ग्रांट थार्नटन को शपथ पत्र मामले में निदेशक वित्त ने क्लीनचिट दे दी है। इंजीनियर आफ कांट्रैक्ट (टेंडर करने वाले मुख्य अभियंता) ने सलाहकार कंपनी को झूठा शपथ पत्र दिए जाने के मामले में नियुक्ति का आदेश रद्द करने की सिफारिश की थी।क्लीनचिट देने के बाद प्रबंधन अब निजीकरण की प्रक्रिया को तेज करेगा।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि बिजली कंपनियों के निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी ग्रांट थार्नटन को शपथ पत्र मामले में क्लीनचिट देने के बाद पावर कारपोरेशन प्रबंधन इस कंपनी को एक और बड़ा काम देने की तैयारी में है।
उन्होंने कहा है कि निजीकरण के मसौदे को विद्युत नियामक आयोग में दाखिल करने से पहले सलाहकार कंपनी को बरी करके प्रबंधन यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि सब कुछ सही चल रहा है। निजीकरण के नाम पर हो रहा यह घोटाला एक दिन खुलकर सामने आएगा। जिसमें बड़े बड़े अधिकारी फंसेंगे। अवधेश वर्मा ने कहा है कि प्रबंधन मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति का उल्लंघन कर रहा है।
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