UPPCL: यूपी में पांच साल बाद 1.24 प्रतिशत महंगी हुई बिजली, अब उपभोक्ताओं को देना पड़ेगा ज्यादा बिल
उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को झटका लगा है। पांच साल बाद फ्यूल सरचार्ज के कारण बिजली 1.24% महंगी हो गई है। इससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और कंपनियों को 78.99 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई होगी। माना जा रहा है कि आने वाले महीनों में बिजली की दरों में 10 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। महंगाई की मार झेल रहे प्रदेशवासियों को पांच वर्ष बाद बिजली के महंगी होने का भी अब झटका लगेगा। फ्यूल सरचार्ज (ईंधन अधिभार) के एवज में बिजली कंपनियों ने 1.24 प्रतिशत बिजली महंगी कर दी है। ऐसे में विद्युत उपभोक्ताओं को अप्रैल में ही ज्यादा बिजली का बिल चुकाना होगा।
महंगी बिजली से उपभोक्ताओं की जेब ढीली कर कंपनियां 78.99 करोड़ रुपये अतिरिक्त कमाई करेंगी। वैसे तो सरचार्ज के लागू होने से अब प्रतिमाह बिजली का खर्चा कुछ बढ़ता-घटता रहेगा, लेकिन चालू वित्तीय वर्ष के टैरिफ निर्धारण के लिए चल रही प्रक्रिया से अगले दो-तीन माह में मौजूदा बिजली की दरों में 10 से 20 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन- 2025 के तहत इस वर्ष जनवरी में बिजली कंपनियों को प्रत्येक माह स्वतः फ्यूल एंड पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (ईंधन अधिभार शुल्क) तय करने का अधिकार दे दिया था। आयोग से मिले अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कंपनियों ने प्रदेश में पहली बार उपभोक्ताओं से फ्यूल सरचार्ज वसूलने का आदेश किया है।
सरचार्ज धनराशि भी जोड़ा जा रहा
आदेश के तहत प्रदेश के 3.45 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं से फ्यूल सरचार्ज के एवज में अप्रैल में 1.24 प्रतिशत ज्यादा बिल की वसूली की जाएगी। इस संबंध में बिलिंग साफ्टवेयर में बदलाव करके उपभोक्ताओं को सरचार्ज की धनराशि जोड़कर बिल उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
फ्यूल सरचार्ज के लागू होने का असर यह होगा कि अगर किसी उपभोक्ता द्वारा मार्च में उपभोग की गई बिजली का कुल बिल एक हजार रुपये होता है तो उसे अप्रैल में 12.40 रुपये और सरचार्ज के एवज में जमा करने होंगे।
इस फॉर्मूले से तय किया जा रहा
गौर करने की बात यह है कि अप्रैल में 1.24 प्रतिशत की बढ़ोतरी जनवरी में फ्यूल यानी बिजली के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कोयले आदि पर 78.99 करोड़ रुपये अधिक खर्च होने के कारण की गई है। इसी तरह मई के बिल में फरवरी के कोयले के खर्च को देखते हुए फ्यूल सरचार्ज को तय किया जाएगा।
सालभर ऐसे ही अब फ्यूल सरचार्ज का निर्धारण कर अब प्रतिमाह बिजली महंगी-सस्ती होती रहेगी। अगर किसी माह कोयले का खर्चा घटेगा तो फ्यूल सरचार्ज के एवज में उपभोक्ताओं का बिजली का बिल भी कम हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि नए रेगुलेशन के तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बिजली कंपनियों द्वारा आयोग में दाखिल किए जाने वाले एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) से बिजली की दरों का निर्धारण होना है। माना जा रहा है कि आयोग द्वारा दो-तीन माह में प्रक्रिया पूरी करने के बाद विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं की बिजली की दरों में 10 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। विदित हो कि वर्ष 2019 के बाद से राज्य में बिजली की दरें यथावत हैं।
उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ सरप्लस होने पर बढ़ोतरी का विरोध
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये सरप्लस होने के कारण फ्यूल सरचार्ज के एवज में बिजली महंगी किए जाने का विरोध किया है। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि उपभोक्ताओं का कंपनियों पर सरप्लस होने से कानूनन सरचार्ज के एवज में उपभोक्ताओं से वसूली नहीं की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन को फ्यूल सरचार्ज के 78.99 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं के सरप्लस से घटाना चाहिए था लेकिन आयोग द्वारा छूट दिए जाने से पिछले माह गुपचुप आदेश कर अप्रैल में सभी उपभोक्ताओं से फ्यूल सरचार्ज के एवज में 1.24 प्रतिशत वसूला जा रहा है।
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