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    UP: माध्यमिक शिक्षा निदेशक के पद से हटाए गए विनय कुमार पाण्डेय, सरिता तिवारी को कार्यभार

    By Umesh TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 21 Apr 2022 10:41 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पाण्डेय को हटा दिया गया है। उन्हें साक्षरता वैकल्पिक शिक्षा उर्दू प्राच्य भाषाएं के निदेशक के पद पर भेज ...और पढ़ें

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    माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पाण्डेय को हटा दिया गया है।

    लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश सरकार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पाण्डेय को हटा दिया है। उन्हें निदेशक साक्षरता वैकल्पिक शिक्षा, उर्दू एवं प्राच्य भाषाएं, के पद पर नई तैनाती दी गई है। वहीं, सरिता तिवारी को कार्यवाहक माध्यमिक शिक्षा निदेशक बनाया गया है।

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    अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला की ओर से गुरुवार को जारी आदेश में कहा गया है कि अपर परियोजना निदेशक, राज्य परियोजना कार्यालय लखनऊ को अग्रिम आदेशों तक शिक्षा निदेशक माध्यमिक का कार्यभार अस्थायी रूप से प्रदान किया जाता है। उन्हें इसके लिए कोई अतिरिक्त वेतन व भत्ता आदि नहीं दिया जाएगा।

    यूपी बोर्ड परीक्षा का बलिया में पेपर लीक होने के बाद ही विनय कुमार पाण्डेय पर लतवार लटर रही थी। उसी समय संकेत मिलने लगे थे कि उनको हटा दिया जाएगा। उन्हें 2018 में निदेशक के पद का कार्यभार सौंपा गया था। 2021 में उन्हें प्रोन्नत कर निदेशक बनाया गया। बीते पांच सालों से यूपी बोर्ड को नकलविहीन छवि बनाने में राज्य सरकार सफल रही थी लेकिन इस वर्ष पेपर लीक कांड हो गया। 24 जिलों में पेपर दोबारा लिया गया। मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लिया था।

    विनय कुमार पाण्डेय पहले इसलिए भी विवादों में रहे हैं। उन्हें विभाग ने बर्खास्त कर दिया था लेकिन उन्हें हाई कोर्ट ने राहत दे दी और वह पुन: सेवा में आ गए। बहाल होने के छह महीने के भीतर उन्हें कार्यवाहक निदेशक बना दिया गया था। विनय कुमार पाण्डेय 1990 में नौकरी में आए थे। वह वेटिंग लिस्ट का हिस्सा थे और पद खाली होने पर तैनाती मिली।

    नियम है कि एक वर्ष के भीतर चयनित व्यक्ति वापस आ जाए तो वेटिंग लिस्ट से आए अधिकारी की सेवा समाप्त कर दी जाती है। लोक सेवा आयोग ने उनके चयन को रद कर दिया लेकिन इस पर उन्हें हाई कोर्ट से स्टे मिल गया और वह फिर से काम करने लगे। उन्हें पदोन्नतियां भी मिलती रहीं।

    अक्टूबर 2016 को हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए सेवा से हटाने का आदेश दिया लेकिन यह मामला ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया। फिर फरवरी 2018 में उन्हें बर्खास्त करने का आदेश जारी हुआ लेकिन उन्हें फिर से हाईकोर्ट ने बहाल कर दिया और अगस्त 2018 में वह कार्यवाहक निदेशक बना दिया गया।