Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Winter Session: विधान परिषद में खाद संकट पर जमकर नारेबाजी, समाजवादी पार्टी का बहिर्गमन

    By Dilip Sharma Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Mon, 22 Dec 2025 06:15 PM (IST)

    UP Vidhanmandal Winter Session: कृषि मंत्री का उत्तर देना शुरू करते ही सपा के सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए बहिर्गमन कर दिया। उनकी अनुपस्थिति में कृषि ...और पढ़ें

    Hero Image

    उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कार्यवाही

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: विधान परिषद में सोमवार को खाद संकट के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार हुई। सपा सदस्यों ने किसानों की बदहाली के मुद्दे पर चर्चा की मांग की। समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने भाजपा सरकार के कार्यकाल में किसानों की समस्याओं में बढ़ोतरी होने, धान खरीद में बिचौलियों की मनमानी, खाद की कालाबाजारी के आरोप लगाए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने विपक्ष के आरोपों को गिनाकर खारिज किया और सपा सदस्यों को उनकी सरकार के समय की स्थिति की याद दिलाई। कृषि मंत्री का उत्तर देना शुरू करते ही सपा के सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए बहिर्गमन कर दिया। उनकी अनुपस्थिति में कृषि मंत्री ने आंकड़े गिनाकर खाद की पर्याप्त उपलब्धता की बात कही।

    विधान परिषद में सोमवार को नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव, सदस्य बलराम यादव, राजेंद्र चौधरी, किरण पाल कश्यप, डा. मान सिंह यादव, जासमीर अंसारी और आशुतोष सिन्हा की ओर से किसानों के मुद्दे पर चर्चा की मांग की गई। सपा सदस्य किरणपाल कश्यप ने कहा कि वर्तमान में किसानों की दुर्दशा है। प्रधानमंत्री ने, मैं भी चौकीदार का नारा दिया था, परंतु प्रदेश में निराश्रित पशुओं की समस्या ने किसानों को चौकीदार बना दिया है।

    नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने किसानों को ठगने के लिए आय दोगुणा करने का नारा दिया है। केंद्र सरकार के 11 वर्ष और प्रदेश की भाजपा सरकार के दौरान एक भी किसान गरीबी रेखा से बाहर नहीं आया। धान की खरीद में बिचौलिए हावी हैं। केंद्रों पर किसानों को इंतजार कराया जाता है और व्यापारियों से खरीद हो रही है। प्रदेश में खाद की कालाबाजारी हो रही है। जिस क्षेत्र के कृषि मंत्री रहने वाले हैं, वहीं से कालाजाबारी हो रही है।

    इसके जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि सपा सदस्यों को नौ साल पहले के इनकी सरकार के अनुभव याद आ रहे हैं। इतना कहते ही नेता प्रतिपक्ष ने मंत्री द्वारा सही उत्तर न दिए जाने की बात कहते हुए बहिर्गमन कर दिया। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के हित में काम कर रही है।

    वर्तमान में कृषि विकास की दर 17 प्रतिशत से अधिक है। खरीफ 2013-14 में 90.44 लाख हेक्टेयर में बोआई हुई थी, आज यह क्षेत्र आच्छादन 105 लाख है। पहले जो किसान बीज, खाद और सिंचाई की समस्या से परेशान थे, हमारी सरकार में पलायन छोड़ वापस खेती कर रहे हैं। मार्च 2017 में गन्ना किसानों का 10 हजार करोड़ रुपया बकाया था। आज 70 हजार से अधिक मिल एडवांस पेमेंट कर रही हैं।

    इनके समय में खाद के लिए लाइनें लगती थीं और किसानों पर लाठीचार्ज होता था। हमारी सरकार ने सहकारी समितियों को मजबूत किया है। वर्तमान में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध हैं। वहीं कोरोना काल में शिक्षकों के राहत भत्तों की कटौती को लेकर प्रश्न किया। इसके उत्तर में सरकार की ओर से बताया गया कि केंद्र सरकार के निर्णय के अनुसार यह निर्णय लिया गया है।

    शिक्षा के मुद्दों पर हुई बहस

    सपा सदस्य डा. मानसिंह यादव ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर प्रश्न उठाया गया। इस पर सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि सपा की 2002 से 2017 तक दे बार सरकार रही, पर उनको उस समय इसकी याद नहीं आई।

    सपा सदस्य ने कहा कि हम पश्चाताप कर रहे हैं, सरकार अपना पश्चाताप कब करेगी। सरकार की ओर से उत्तर में पुरानी पेंशन को लेकर कोई निर्णय न लिए जाने की बात कही गई। बताया गया कि प्रदेश में एक अप्रैल 2005 से नई पेंशन योजना लागू है।

    सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग के अधिनियम 2023 पर प्रश्न खड़ा करते हुए शिक्षकों का शोषण होने का मुद्दा उठाया। उत्तर में माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि डीआइओएस को कार्रवाई का अधिकार है और संयुक्त शिक्षा निदेशक के यहां अपील का भी प्रविधान है।

    यह व्यवस्था जल्द न्याय दिलाने के लिए की गई है। सदस्य आकाश अग्रवाल ने बोर्ड परीक्षा केंद्रों में विद्यालयों को उनकी श्रेणी के आधार पर अंक देने की प्रणाली को गलत बताया। माध्यमिक शिक्षा मंत्री की ओर कहा कि वर्तमान में शासनादेश के आधार पर केंद्र बनाए जा रहे हैं।

    शिक्षण संस्थानों के बिजली मामले पर पक्ष रखेगी सरकार

    सपा के नेता प्रतिपक्ष ने शिक्षण संस्थानों से व्यावसायिक विद्युत लिए जाने का प्रश्न उठाया। इसके जवाब में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि शिक्षण संस्थानों को रेणी एलएमवी-4 के तहत रखा गया है, जबकि व्यावसायिक कार्यों के लिए एलएमवी-2 श्रेणी है।

    नेता प्रतिपक्ष की ओर शिक्षण संस्थानों और व्यावसायिक संस्थाओं की दरों के प्रश्न पर कहा कि शिक्षण संस्थानों की दर व्यावसायिक से अधिक है, यह विद्युत नियामक आयोग से होता है। ऊर्जा मंत्री ने इसे सुधारने और मामले में आयोग के समक्ष पक्ष रखने का भरोसा दिलाया।