UP Transport: मनचाहा व वीआइपी नंबर के 4000 वाहन स्वामियों अब मिलेगा रिफंड
UP Transport Department परिवहन विभाग वाहन स्वामियों को मनचाहा नंबर और वीआइपी नंबर आवंटित करने की भी सुविधा देता है। नए नंबर की सीरीज शुरू होने की सूचना दी जाती है और मनचाहा या वीआइपी नंबर पाने के लिए विभाग के पोर्टल पर आनलाइन आवेदन होता है। पहले चार दिन तक पंजीकरण और तीन दिन बोली लगती है और दूसरे चरण में सात दिन तक ई-आक्शन चलता है।

धर्मेश अवस्थी, जागरण, लखनऊ: आशियाना के ऋषि शुक्ल ने यूपी 32 पीवाई 5555 नंबर पाने के लिए 6667 रुपये 24 अक्टूबर 2024 को जमा किया था। ऐसे ही विपिन कुमार सुरेश चंद्र ने 26 अक्टूबर 2024 को धनराशि जमा किया था, वाहन के लिए मनचाहा नंबर पाने की आनलाइन बोली में इनको नंबर नहीं मिला और न ही अब तक जमा धनराशि वापस मिल सकी है।
लखनऊ सहित प्रदेशभर में ऐसे लोगों की संख्या चार हजार से अधिक है। सभी 3.23 करोड़ रुपये वापस पाने के लिए एआरटीओ कार्यालयों व कोषागार का महीनों से चक्कर लगा रहे हैं। अब ऐसे वाहन स्वामी धनराशि वापस पा सकेंगे। आम तौर पर कोई भी वाहन खरीदने पर उसे नंबर आवंटित किया जाता है, इसमें नंबर का आवंटन मुफ़त है।
वहीं, परिवहन विभाग वाहन स्वामियों को मनचाहा नंबर और वीआइपी नंबर आवंटित करने की भी सुविधा देता है। नए नंबर की सीरीज शुरू होने की सूचना दी जाती है और मनचाहा या वीआइपी नंबर पाने के लिए विभाग के पोर्टल पर आनलाइन आवेदन होता है। पहले चार दिन तक पंजीकरण और तीन दिन बोली लगती है और दूसरे चरण में सात दिन तक ई-आक्शन चलता है।
पंजीकरण के 21 दिन बाद आनलाइन अधिक बोली लगाने वाले को नंबर आवंटित होता है, जबकि नंबर न पाने वालों को धनराशि वापस मिलती रही है। वैसे तो वाहनों के 450 वीआइपी नंबर हैं। उनमें निजी वाहनों में 10 ऐसे नंबर हैं जिन्हें पाने के लिए दो पहिया वाहन स्वामी को 20 हजार और चार पहिया वाहन स्वामी को एक लाख रुपये जमा करके पंजीकरण कराना होता है।
मनचाहा नंबर पाने के लिए चार पहिया वाहन स्वामी को पांच हजार व दो पहिया वाहन स्वामी को एक हजार रुपये जमा करके रजिस्ट्रेशन कराना होता है। आमतौर पर एक नंबर पाने के लिए दो या उससे अधिक लोग प्रतिभाग करते हैँ, सभी लोग नंबर के सापेक्ष पंजीकरण शुल्क जमा करने के बाद आनलाइन बोली लगाते हैँ और जिसकी बोली सबसे अधिक लगती है उससे संबंधित बोली की धनराशि जमा कराकर नंबर दिया जाता है और बाकी को पंजीकरण की धनराशि उसी समय बैंक खाते में वापस लौटाई जाती थी। यह प्रक्रिया 14 माह से ठप पड़ी है। इस दौरान 4000 लोगों का 3.23 करोड़ रुपये वापस नहीं मिल पा रहा है। वाहन स्वामी एआरटीओ कार्यालय व कोषागार का चक्कर लगा रहे हैं।
इस वजह से बंद हुआ था रिफंड
भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया की ओर से 27 मई 2024 को जारी गाइडलाइन में कहा गया वाहन नंबर पाने की धनराशि एआरटीओ दफ्तर के अलग खाते में क्यों रखी जा रही, यह सरकार का धन है, इसे आरबीआइ के ही कोर बैंकिंग प्लेटफार्म ई-कुबेर में जमा कराया जाए। 15 जुलाई 2024 से यह कार्य शुरू हो गया, नंबर पाने वालों का धन ई-कुबेर में पहुंचने लगा।
इन जिलों में धन बकाया
जिले का नाम वाहन स्वामियों की संख्या धनराशि
नोएडा 1552 14300316
लखनऊ 1237 6619044
गाजियाबाद 595 5832322
वाराणसी 106 385005
मेरठ 65 1069660
कानपुर नगर 64 606002
आगरा 33 231000
अलीगढ़ 33 154667
गोरखपुर 13 48667
प्रयागराज 36 288665
कुल 4000 32396682
अब ट्रेजरी से धनराशि वापस नहीं मिल रही
धन वापस करने के लिए भरें फार्म वन परिवहन विभाग ने इस मामले में एआरटीओ लखनऊ प्रशासन प्रदीप कुमार सिंह को नोडल अधिकारी बनाया है, आनलाइन भेजी गई धनराशि जवाहर भवन के कोषागार में जमा है। इसकी प्रक्रिया लखनऊ से पूरी होगी। उन्होंने बताया, जिन वाहन स्वामियों को ई-आक्शन में नंबर नहीं मिला व धनराशि नहीं मिल रही, वे अपने जिले के एआरटीओ कार्यालय से फार्म वन लेकर उसे भरें, जिस अकाउंट से धन दिया गया उसका ब्योरा, आइएफएससी कोड, कैंसिल चेक, आधार कार्ड, आनलाइन पेमेंट रसीद देना होगा। इसका सत्यापन कराकर उसे कोषागार भेजा जाएगा और वहां से संबंधित अकाउंट में भुगतान वापस मिल सकेगा। अभी तक तीन प्रकरण कोषागार भेजे गए हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।