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    नियम तोड़ने पर योगी सरकार सख्त, अब पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारी भी कर सकेंगे यातायात चालान की सुनवाई

    Updated: Sat, 24 May 2025 06:30 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए पुलिस अधिकारियों को मोटर वाहन अधिनियम के तहत कार्यपालक मजिस्ट्रेट की शक्तियां देने जा रही है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य ई-चालान का तेजी से निस्तारण करना और सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण पाना है। सरकार दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में भी सुधार कर रही है। कुल 14 अधिनियमों के तहत जिला मजिस्ट्रेट की समस्त शक्तियां प्रदान की गई हैं।

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    पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारी भी कर सकेंगे यातायात चालान की सुनवाई। (तस्वीर जागरण)

    आलोक मिश्र, लखनऊ। यातायात व्यवस्था की बदहाली और सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मृत्यु दर। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने यातायात नियमों को न सिर्फ और सख्त किया, बल्कि चालान की राशि भी बढ़ा दी। गलती दोहराने वालों के लिए जुर्माना बढ़ाकर वसूले जाने का फार्मूला भी अपनाया।

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    अभियान के तहत कार्रवाई शुरू हुई तो चालानों की संख्या तो जरूर बढ़ी पर उनके निस्तारण की रफ्तार नहीं। यातायात निदेशालय ने अब इन हालात से निपटने के लिए बड़ी पहल की है। पहले चरण में पुलिस कमिश्नरेट में नियुक्त पुलिस अधिकारियों को मोटर वाहन अधिनियम में निहित कार्यपालक मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान किए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है, जिससे पुलिस कमिश्नर प्रणाली वाले सात महानगरों लखनऊ, गौतमबुद्धनगर, कानपुर, वाराणसी, आगरा, गाजियाबाद व प्रयागराज में ई-चालान का तेजी से निस्तारण हो सके।

    साथ ही, यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई का दायरा भी बढ़ाया जा सके। माना जा रहा है कि प्रस्ताव पर जल्द शासन की मुहर लग सकती है।सड़क दुर्घटनाओं में प्रदेश में हर वर्ष 20 हजार से अधिक लोगों की जानें जाती हैं। दुर्घटनाओं का ग्राफ भी लगातार बढ़ रहा है और इस पर अंकुश लगाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

    यातायात निदेशालय ने प्रदेश में 1,483 ब्लैक स्पाट भी चिह्नित किए हैं। दुर्घटना बहुल इन स्थानों पर परिवहन व लोक निर्माण समेत अन्य विभागों की मदद से सुधार कार्य करवाए जा रहे हैं। प्रमुख सचिव, गृह के स्तर पर अप्रैल माह में यातायात व सड़क सुरक्षा की समीक्षा बैठक में सुधार के विभिन्न पहलुओं पर गहनता से विमर्श हुआ था।

    बैठक में पुलिस कमिश्नरेट में तैनात अधिकारियों को मोटर वाहन अधिनियम में निहित कार्यपालक मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान किए जाने की भी चर्चा हुई थी। यातायात चालान के वादों के निस्तारण में तेजी लाने के लिए भी इसे आवश्यक बताया था। कमिश्नर प्रणाली में पुलिस आयुक्त के अलावा सभी सहायक पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त व उप पुलिस आयुक्त को अपर जिला मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया गया है।

    साथ ही, इस प्रणाली में गुंडा एक्ट, अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम, कारागार अधिनियम, विष अधिनियम, शासकीय गुप्त बात अधिनियम, गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम, उप्र अग्नि निवारण व अग्नि सुरक्षा अधिनियम, उप्र गिरोहबंद व समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम समेत कुल 14 अधिनियमों के तहत जिला मजिस्ट्रेट की समस्त शक्तियां प्रदान की गई हैं। अब उन्हें मोटन वाहन अधिनियम के तहत भी सुनवाई व निर्णय किए जाने की शक्ति प्रदान किए जाने की तैयारी है।