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    UP Tourism : ईको पर्यटन विकास बोर्ड बनाएगा सारस सर्किट, विद्यार्थियों के समूहों को भी जागरूक किया जाएगा

    UP Tourism Development Corporation सारस सर्किट में ईको पर्यटन विकास बोर्ड ने रायबरेली में स्थित समसपुर पक्षी विहार आगरा में स्थित कीठम झील (सूर सरोवर) पक्षी विहार व चंबल वन्यजीव अभ्यारण्य को शामिल करने की कार्ययोजना तैयार की है। समसपुर पक्षी विहार 780 हेक्टेयर क्षेत्रफल सूरसरोवर पक्षी विहार 400 हेक्टेयर और चंबल वन्यजीव अभ्यारण्य 5400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है।

    By Manoj Kumar Tripathi Edited By: Dharmendra Pandey Updated: Thu, 28 Aug 2025 04:43 PM (IST)
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    ईको पर्यटन विकास बोर्ड बनाएगा सारस सर्किट

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : ईको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सारस सर्किट का निर्माण किया जाएगा। सारस सर्किट के निर्माण के लिए ईको पर्यटन विकास बोर्ड तकनीकी समिति का गठन कर रहा है।

    समिति में ईको पर्यटन के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों सहित वन विभाग के अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। बोर्ड की कोशिश है कि राज्य में ईको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटकों को अलग-अलग क्षेत्रों की विशेषताओं के साथ पर्यटन सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।

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    सारस सर्किट में ईको पर्यटन विकास बोर्ड ने रायबरेली में स्थित समसपुर पक्षी विहार, आगरा में स्थित कीठम झील (सूर सरोवर) पक्षी विहार व चंबल वन्यजीव अभ्यारण्य को शामिल करने की कार्ययोजना तैयार की है।

    समसपुर पक्षी विहार 780 हेक्टेयर क्षेत्रफल, सूरसरोवर पक्षी विहार 400 हेक्टेयर और चंबल वन्यजीव अभ्यारण्य 5,400 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। वेटलैंड्स (जलग्रस्त क्षेत्र) की अधिकता के कारण मैनपुरी क्षेत्र प्राचीन काल से ही सारसों का ठिकाना रही है।

    मैनपुरी के किशनी और करहल ब्लाक में इनकी संख्या सर्वाधिक है। इसी के मद्देनजर कुछ वर्षों पहले तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी ईशा प्रिया ने सारस सर्किट बनाने का कार्य शुरू कराया था।

    उन्होंने वेटलैंड्स को कब्जामुक्त कराया था। इसके बाद मनरेगा के तहत खोदाई कर वाच टावर का निर्माण भी कराया गया। साथ ही आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर सारस सर्किट का बोर्ड भी लगा दिया गया था, लेकिन अब दो पक्षी विहार व चंबल वन्य जीव अभ्यारण्य का सारस सर्किट बनाया जाएगा।

    सारस सर्किट के प्रचार के लिए विभिन्न हवाई अड्डों सहित संबंधित मार्गों पर सूचना बोर्ड लगाए जाएंगे। साथ ही ईको पर्यटन बोर्ड पक्षी प्रेमियों का डाटा एकत्र कर उनके बीच भी सारस सर्किट का प्रचार करेगा। विद्यार्थियों के समूहों को भी जागरूक किया जाएगा।

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