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    2027 तक यूपी बनेगा बाल श्रम मुक्त प्रदेश, ईंट भट्ठे से लेकर औद्योगिक क्षेत्रों में पहुंचेगी ‘स्कूल ऑन व्हील’

    Updated: Fri, 08 Aug 2025 07:24 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार ने 2027 तक प्रदेश को बाल श्रम मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए हर जिले में सर्वे होगा और स्कूल ऑन व्हील जैसी पहल शुरू की जाएगी। होटल उद्योग में छात्रों को पार्ट टाइम काम देने की योजना है। श्रम विभाग ने अभिभावकों को जागरूक करने और बच्चों को शिक्षा से जोड़ने पर जोर दिया है।

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    ईंट भट्टे से लेकर औद्योगिक क्षेत्रों में पहुंचेगी ‘स्कूल आन व्हील’।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2027 तक प्रदेश को पूरी तरह बाल श्रम मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। इसे लेकर हर जिले में हाउस होल्ड सर्वे किया जाएगा। ईंट भट्टे से लेकर औद्योगिक क्षेत्रों में बच्चों को बाल श्रम से दूर करने के लिए ‘स्कूल ऑन व्हील’ शुरू किया जाएगा।

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    साथ ही होटल उद्योग में विद्यार्थियों को पार्ट टाइम काम करने की सुविधा देने की भी तैयारी है। शुक्रवार को बापू भवन में श्रम विभाग की बैठक में इन कार्ययोजनाओं पर विस्तार से चर्चा हुई। उद्योग संगठनों, नियोक्ताओं और समाज के सभी वर्गों से इसमें सहयोग की अपील की गई है।

    बैठक में श्रम विभाग के प्रमुख सचिव डा. एमके शंमुगा सुंदरम ने कहा कि केवल कानून से नहीं, बल्कि अभिभावकों को शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूक कर और बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा, कौशल विकास व तकनीकी प्रशिक्षण से जोड़कर ही इस समस्या का स्थायी समाधान संभव है।

    सप्लाई चेन से जुड़े सभी नियोक्ताओं को जागरूक करना, बच्चों के शैक्षिक पुनर्वास और अभिभावकों के आर्थिक पुनर्वास में सहयोग करना जरूरी है। उन्होंने ‘स्कूल आन व्हील’ और कार्यस्थलों पर शिक्षा गतिविधियां शुरू करने का सुझाव दिया, जिससे कार्यस्थलों पर परिवार के साथ रह रहे श्रमिक अपने बच्चों को बालश्रम की जगह शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़ सकेंगे। होटल उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों ने छात्रों को पार्ट टाइम काम देने के सुझाव पर आश्वासन दिया।

    ईंट निर्माता समिति ने न्यूनतम वेतन निर्धारण में अपनी बात रखने का अवसर मांगा, जिस पर श्रम विभाग ने सकारात्मक रुख दिखाया। बैठक में बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 (संशोधित 2016) के नियमों पर विस्तार से चर्चा हुई। साथ ही बताया गया कि 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में 21.76 लाख कामकाजी बच्चे थे, जिनमें नौ लाख सक्रिय रूप से काम कर रहे थे और लड़कियों की संख्या में बढ़ोतरी चिंता का विषय थी।

    श्रम एवं सेवायोजन विभाग, विभिन्न उद्योग संघों और ईंट निर्माता समिति के प्रतिनिधियों ने बाल श्रम उन्मूलन के लिए आचार संहिता पर हस्ताक्षर किए। श्रमायुक्त मार्कंडेय शाही, विशेष सचिव श्रम निलेश कुमार सिंह, उप श्रम आयुक्त शमीम अख्तर सहित लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, बाराबंकी, गाजियाबाद के उद्योग संघों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

    बाल एवं किशोर श्रम के कुछ नियम

    14 से 18 वर्ष के किशोरों को खतरनाक कामों में लगाना मना है। कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे परिवार द्वारा संचालित गैर-खतरनाक काम या बाल कलाकार के रूप में काम, शर्तों के साथ अनुमति दी जा सकती है। वह दिन में अधिकतम छह घंटे काम कर सकते हैं, और एक घंटे का विश्राम अनिवार्य है। रात सात बजे से सुबह आठ बजे तक कोई काम करेंगे।

    ओवरटाइम, साप्ताहिक अवकाश की अनदेखी और बिना आयु प्रमाणपत्र के काम पर रखना दंडनीय है। खतरनाक कामों में दोषी पाए जाने पर छह महीने से दो साल तक की सजा और 20,000 से 50,000 रुपये तक का जुर्माना है। पुनरावृत्ति पर सजा तीन साल तक हो सकती है।