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    हाई कोर्ट के आदेश के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने सौंपा कार्यभार, 28 फरवरी से पहले होंगे चुनाव

    By Umesh Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Thu, 28 Jan 2021 05:22 AM (IST)

    हाई कोर्ट को फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड चेयरमैन जुफर फारुकी ने अपना कार्यभार अल्पसंख्यक कल्याण के प्रमुख सचिव बीएल मीणा को सौंप दिया। अब उनके स्थान पर अल्पसंख्यक कल्याण के प्रमुख सचिव बीएल मीणा को प्रशासक नियुक्त किया गया है।

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    हाई कोर्ट के आदेश के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी ने अपना कार्यभार सौंप दिया है।

    लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाइ कोर्ट ने वक्फ बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाए जाने से संबंधित उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को रद कर दिया है। इस आदेश के बाद बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी ने अपना कार्यभार अल्पसंख्यक कल्याण के प्रमुख सचिव बीएल मीणा को सौंप दिया है। इसके बाद यूपी सरकार ने प्रमुख सचिव बीएल मीणा को प्रशासक नियुक्त कर दिया है। वहीं, सरकार बोर्ड का चुनाव फरवरी में कराने में जुट गई है। जल्द ही चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी।

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    इलाहाबाद हाइ कोर्ट में नसीमुद्दीन व अल्लामा जमीर नकवी और अन्य ने याचिका दाखिल कर  उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाए जाने को चुनौती दी थी, जिस पर हाई कोर्ट ने बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाने के अपर प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ के 30 सितंबर, 2020 के आदेश को रद कर दिया। कोर्ट ने प्रमुख सचिव को प्रशासक नियुक्त करके 28 फरवरी तक बोर्ड का चुनाव कराकर चार्ज सौंपने का आदेश दिया। यह भी कहा कि 30 सितंबर का आदेश रद होने से इस दौरान लिए गए फैसलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वे सभी वैध माने जाएंगे।

    हाई कोर्ट को फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड चेयरमैन जुफर फारुकी ने अपना कार्यभार अल्पसंख्यक कल्याण के प्रमुख सचिव बीएल मीणा को सौंप दिया। अब उनके स्थान पर अल्पसंख्यक कल्याण के प्रमुख सचिव बीएल मीणा को प्रशासक नियुक्त किया गया है।

    दरअसल, जुफर फारुकी का उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड चेयरमैन में कार्यकाल 31 मार्च, 2020 को खत्म हो गया था, जिसके बाद योगी सरकार ने कोरोना महामारी के चलते इनका कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। इस अवधि को समाप्त होने पर एक बाद फिर से प्रदेश सरकार ने जुफर फारुकी का कार्यकाल 30 सितंबर, 2020 से छह महीने तक बढ़ा दिया था, जिसे अदलात ने गैर कानूनी माना और कहा कि जब कोरोना काल कई अन्य संस्थाओं के चुनाव कराए गए तो फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड का चुनाव क्यों नहीं करवाया गया।

    हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को बोर्ड के कार्यकाल बढ़ाने की अधिकारिता नहीं है। ऐसी आपात आवश्यकता नहीं थी, जिससे कार्यकाल बढ़ाना अपरिहार्य था। आदेश दिया कि 28 फरवरी तक सुन्नी वक्फ बोर्ड का चुनाव करा कर नए चेयरमैन नियुक्त किया जाए।

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