Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड की तरह UP में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर लगेगी रोक? उपभोक्ता परिषद ने कहा- UPPCL कर रहा नियमों का उल्लंघन

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 09:01 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटरों पर रोक लगाने की मांग उठ रही है। उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है, जिसमें उपभोक्ताओं की सहमति के बिना मीटरों को प्रीपेड मोड में बदलना शामिल है। परिषद ने यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की चेतावनी दी है।

    Hero Image

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तराखंड में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने पर रोक, मध्यप्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की अनिवार्यता वर्ष 2028 तक बढ़ाने और राजस्थान में नए कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की अनिवार्यता समाप्त किए जाने के बाद यूपी में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर रोक लगाने की मांग तेज हो गई है। उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि पावर कारपोरेशन नियमों का उल्लंंघन कर रहा है। कारपोरेशन के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि यूपी में उपभोक्ताओं की सहमति लिए बिना स्मार्ट मीटर को प्रीपेड मोड में बदला जा रहा है। 14 नवंबर तक राज्य में 49,95,001 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा दिए गए थे। जिसमें से उपभोक्ताओं की सहमति लिए बिना ही 35,06,349 स्मार्ट मीटर को प्रीपेड मोड में बदल दिया गया।

    ऐसा कर कारपोरेशन विद्युत अधिनियम-2003 का खुला उल्लंघन कर रहा है। विद्युत नियामक आयोग भी टैरिफ आदेश में स्पष्ट कर चुका है कि विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 47(5) उपभोक्ताओं को पोस्टपेड अथवा प्रीपेड मीटर चुनने का विकल्प देता है।

    उन्होंने बताया है कि उत्तराखंड में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का विरोध होने पर उत्तराखंड पावर कारपोरेशन ने इस मीटर को लगाने पर ही अगले आदेशों तक रोक लगाया है। सवाल किया है कि पावर कारपोरेशन आयोग के आदेशों के विपरीत जाकर नए कनेक्शन पर प्रति मीटर की 6016 रुपये क्यों लिया जा रहा है, इससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है।

    कारपोरेशन को यह अधिकार नहीं है कि वह उपभोक्ताओं पर जबरिया स्मार्ट प्रीपेड मीटर थोपे। नियमों का उल्लंघन होता रहा तो परिषद उपभोक्ताओं के हित में संवैधानिक लड़ाई लड़ेगा। उन्होंने कहा कि विद्युत अधिनियम-2003 का उल्लंघन कोई भी राज्य नहीं कर सकता है। यूपी में जिस प्रकार नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, वह गंभीर है। परिषद ने घोषणा की है कि यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा।