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    दैनिक जागरण की पहल का असर: सीएम योगी ने लिया बड़ा फैसला, अब जर्जर स्कूलों में नहीं पढ़ेंगे बच्चे

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 10:13 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के परिषदीय स्कूलों में जर्जर भवनों को हटाकर बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए एक बड़ा अभियान चला रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को स्कूलों की भौतिक स्थिति की समीक्षा करने और जर्जर भवनों में पढ़ रहे छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है।

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    उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को क‍िया निर्देशित।- फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अब परिषदीय स्कूलों के जर्जर भवनों में बच्चे नहीं पड़ेंगे। प्रदेश सरकार ने जर्जर विद्यालय भवनों को ध्वस्त कर बच्चों को सुरक्षित और सशक्त भविष्य देने की दिशा में बड़ा अभियान छेड़ने का निर्णय किया है। 

    सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी जिलों में परिषदीय विद्यालयों की भौतिक स्थिति की सघन जांच कराई जाए। जर्जर स्कूल भवनों का पुनर्निर्माण कराने के साथ ही मुख्यमंत्री ने वैकल्पिक भवनों में कक्षाएं संचालित करने के निर्देश दिए। 

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    बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि जिन स्कूल भवनों की स्थिति बच्चों के लिए खतरे का कारण बन सकती है, वहां छात्रों को तत्काल सुरक्षित वैकल्पिक स्थानों पर शिफ्ट किया जाए। साथ ही इन विद्यालयों का पुनर्निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाए। 

    बजट के साथ-साथ सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) फंड का उपयोग करते हुए जनप्रतिनिधियों को भी इस अभियान से जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालय केवल इमारतें नहीं हैं, बल्कि ये समाज के भविष्य की नींव हैं। जब सरकारी स्कूल सुरक्षित और प्रेरक बनेंगे, तभी जनता का भरोसा मजबूत होगा। 

    उन्होंने बताया कि ऑपरेशन कायाकल्प के तहत निर्धारित 19 बिंदुओं में से 96 प्रतिशत कार्य पूरे किए जा चुके हैं। वर्ष 2017 से पहले प्रदेश के केवल 36 प्रतिशत स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं थीं। केवल 7500 स्कूलों में पुस्तकालय थे, लेकिन आज 1,32,678 विद्यालयों में पुस्तकालय हैं, जिनमें 500 से अधिक किताबें उपलब्ध हैं। 

    पहले केवल 33.9 प्रतिशत स्कूलों में बालिकाओं के लिए अलग शौचालय थे। अब यह सुविधा लगभग सभी स्कूलों में सुनिश्चित की जा चुकी है। 

    मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रत्येक जिले में स्कूलों की स्थिति की विस्तृत प्रगति रिपोर्ट शासन को भेजी जाए। हर कार्य का फोटोग्राफिक डाक्यूमेंटेशन अनिवार्य हो और इंटरनेट मीडिया के माध्यम से सरकार की इन कोशिशों की जानकारी जनता तक पहुंचाई जाए।

    आरटीई नामांकन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी बैठक में जानकारी दी गई शिक्षा का अधिकार (RTE) के तहत नामांकन में भी ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2016-17 में जहां केवल 10,784 बच्चों का नामांकन हुआ था, वहीं सत्र 2024-25 में यह संख्या बढ़कर 4.58 लाख तक पहुंच गई है। 

    सरकार ने 2024-25 में 15.37 करोड़ किताबों का निशुल्क वितरण किया है। साथ ही 4.53 लाख शिक्षकों को डिजिटल शिक्षा का प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे शिक्षा प्रणाली को आधुनिक और प्रभावी बनाया जा सके।

    1033 स्कूलों की मरम्मत

    बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार पिछले दो साल में 283 करोड़ की लागत से 1835 स्कूलों को फिर से खड़ा किया गया है। वर्तमान में 106 करोड़ रुपये की लागत से 557 स्कूलों का पुनर्निर्माण और 45 करोड़ रुपये से 1033 विद्यालयों में मरम्मत कार्य कराया जा रहा है। 

    जर्जर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए निकटतम परिषदीय विद्यालय, पंचायत भवन या अन्य शासकीय भवनों में वैकल्पिक व्यवस्था कर कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। जर्जर भवनों की पहचान और ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया लगातार जारी है। 

    सत्यापित जर्जर ढांचों को ढहाकर नए भवन बनाए जा रहे हैं। जहां पुनर्निर्माण संभव नहीं है, वहां भवनों की छत, दीवार या अन्य हिस्सों की मरम्मत कर मजबूती दी जा रही है। 

    जिन भवनों की नीलामी या ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है, उन पर बड़े-बड़े लाल अक्षरों में निष्प्रयोज्य (अबेंडंड) लिखा जा रहा है ताकि कोई भी व्यक्ति अनजाने में उनका इस्तेमाल न करें।