UP School Merger: यूपी में जबरन मर्ज नहीं किया जाएगा कोई भी स्कूल, बेसिक शिक्षा विभाग ने स्पष्ट तौर पर कही ये बात
लखनऊ कम नामांकन वाले स्कूलों को बड़े स्कूलों से जोड़ने के ‘स्कूल पेयरिंग मॉडल’ का विरोध हो रहा है। विभाग का कहना है कि इससे छात्रों को बेहतर संसाधन मिलेंगे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि पेयरिंग से छात्रों को समूह चर्चा के अवसर मिलेंगे। राष्ट्रीय सम्मेलनों में भी इसकी संस्तुति की गई है और कई राज्यों में यह मॉडल सफल रहा है। विद्यालयों को बंद नहीं किया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों को आसपास के बड़े और संसाधनयुक्त स्कूलों से जोड़ा जा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग के ‘स्कूल पेयरिंग मॉडल’ को लेकर कई शिक्षक संगठन और राजनीति पार्टियां विरोध जता रही हैं।
वहीं, दूसरी ओर विभाग का कहना है कि इससे बच्चों को संसाधनयुक्त बेहतर स्कूल मिलेंगे, जिससे सभी छात्रों को समान रूप से लाइब्रेरी, लैब, खेल मैदान, स्मार्ट क्लास, और बेहतर शिक्षकों की सुविधा मिल सके।
सरकार की ओर से शुरू से ही स्पष्टीकरण दिया जा रहा है कि पेयरिंग मॉडल से छात्रों को समूह चर्चा, प्रोजेक्ट वर्क, सांस्कृतिक गतिविधियों और पियर लर्निंग के अधिक अवसर मिलेंगे। एक बार फिर इसे लेकर स्थिति स्पष्ट की गई है।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2022 में धर्मशाला में हुई राष्ट्रीय मुख्य सचिव सम्मेलन और दिसंबर 2024 में दिल्ली में आयोजित शिक्षा सम्मेलन में भी विद्यालयों की पेयरिंग की संस्तुति दी गई। यह मॉडल देश के कई राज्यों में सफल साबित हो चुका है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और असम जैसे राज्यों में स्कूल पेयरिंग से शिक्षकों की उपलब्धता, पीटीआर और छात्रों के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, पेयरिंग के बाद एक परिसर में प्री-प्राइमरी से लेकर उच्च कक्षाओं तक की पढ़ाई होगी, जिससे निजी स्कूलों जैसी सुविधाएं भी सरकारी स्कूलों में छात्रों को मिलेंगी।
यहां यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी भी विद्यालय को बंद नहीं किया जाएगा, न ही शिक्षकों के पद समाप्त होंगे। बल्कि, प्री-प्राइमरी, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक के आधार पर स्कूलों को विशेषीकृत रूप से चिन्ह्ति किया जाएगा।
मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपाेजिट विद्यालय बनेगा मॉडल
स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए मुख्यमंत्री अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय (प्री-प्राइमरी से कक्षा 8 तक) और मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट विद्यालय’ (कक्षा 12 तक) की स्थापना भी हो रही है।
हर अभ्युदय स्कूल पर 1.42 करोड़ और मॉडल स्कूल पर 30 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास, विज्ञान प्रयोगशाला, डिजिटल लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब, कौशल विकास केंद्र, खेल मैदान और सभी संकायों की पृथक कक्षाएं होंगी।
11 हजार विद्यालय हो चुके हैं पेयर
प्रदेश में अभी तक करीब 11 हजार विद्यालयों को उनके पास के दूसरे बड़े विद्यालय से विलय किया चुका है। इसमें कुछ विद्यालयों में 10 तो कुछ में 50 से कम बच्चों के नामांकन थे।
निदेशालय स्तर पर बेसिक शिक्षा अधिकारियों के साथ लगातार वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये इसकी प्रगति रिपोर्ट भी ली जा रही है। विभाग की ओर स्पष्ट किया गया है कि किसी भी विद्यालय का जबरन पेयरिंग नहीं किया जाएगा। अगर अभिभावक और स्थानीय जनसमुदाय इसके पक्ष में नहीं हैं और विद्यालय दूर है तो ऐसे स्कूल को पेयरिंग से अलग भी किया जाएगा।
विभाग का यह भी दावा है कि विलय के बाद भी विद्यालयों की दूरी एक से दो किलोमीटर से अधिक नहीं होगी। बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में विद्यालय दूर होने की वजह से वहां विलय नहीं किया गया है।
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