धान खरीद को समाप्त करने की हो रही साजिश, सीएम योगी को किसने लेटर लिखकर कही ये बात?
यूपी फूड एंड सिविल सप्लाइज इंस्पेक्टर्स एसोसिएशन ने प्रदेश में धान खरीद खत्म करने की साजिश का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा गया कि यूपी, पंजाब की आपूर्ति का केंद्र बन गया है, जहाँ व्यापारी कम दाम पर धान खरीदकर एमएसपी का लाभ उठाते हैं। बिना गारंटी धान देने से गबन की आशंका है। पिछले साल से 18% कम खरीद हुई है। एसोसिएशन ने धान प्रेषण की व्यवस्था बनाने की मांग की है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। यूपी फूड एंड सिविल सप्लाइज इंस्पेक्टर्स-आफिसर्स एसोसिएशन ने प्रदेश में सोची-समझी रणनीति के तहत धान खरीद को समाप्त करने की साजिश किए जाने का आरोप लगाया है। एसोसएिशन ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर कहा है कि उप्र को पंजाब की धान खरीद के लिए आपूर्ति का केंद्र बना दिया गया है।
पंजाब एवं हरियाणा के व्यापारी यहां से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम रेट पर धान खरीदकर ले जाते हैं और वहां एमएसपी का लाभ उठाते हैं। संघ ने बिना बैंक गारंटी एवं अग्रिम लाट के चावल मिलों को धान देने की व्यवस्था से गबन होने की आशंका भी जताई है।
एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री टीएन चौरसिया ने बताया कि पंजाब में भारी बाढ़ के कारण इस बार धान उत्पादन में कमी आई है, इसके बावजूद पंजाब में 150 लाख टन से अधिक की खरीद की जा चुकी है। वहीं उप्र में अभी तक 6.54 लाख टन धान की ही खरीद हुई है, जो पिछले वर्ष की इस अवधि में हुई 7.96 लाख टन की खरीद के मुकाबले लगभग 18 प्रतिशत कम है।
दूसरी तरफ प्रदेश में खरीद नीति के विपरीत ई उपार्जन पोर्टल पर बिना बैंक गारंटी एवं अग्रिम लाट के चावल मिलों को धान देने की व्यवस्था बना दी गई है। इससे लगता है कि शासन की छवि खराब करने के उद्देश्य से वर्ष 2011-12 एवं 2012-13 जैसी कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) गबन करने की योजना बना ली गई है।
ऐसी स्थिति में संघ के सदस्य विपणन निरीक्षक एवं क्षेत्रीय विपणन अधिकारी किसी भी प्रकार से गबन की स्थिति में उत्तरदायी नहीं होंगे।
एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि अभी तक की गई धान खरीद के सापेक्ष धान प्रेषण की समुचित व्यवस्था बनाई जाए, प्रत्येक केंद्र प्रभारी को न्यूनतम तीन चावल मिल ही गत वर्ष की भांति चुनने की व्यवस्था दी जाए, अन्यथा की स्थिति में केंद्र प्रभारी का दायित्व निर्धारित न किया जाए, क्योंकि अधिकार के बिना कोई दायित्व निर्धारित नहीं किया जा सकता है। गत वर्ष की भांति सत्यापन की व्यवस्था लागू की जाए।

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