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    उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता : दलितों को जमीन बेचने की सशर्त छूट

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Tue, 15 Dec 2015 10:00 PM (IST)

    राजस्व से जुड़े 39 पुराने अधिनियमों को निरस्त कर बनायी गई उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 को उसके संशोधित स्वरूप में लागू करने का रास्ता साफ हो गया ह ...और पढ़ें

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    लखनऊ। राजस्व से जुड़े 39 पुराने अधिनियमों को निरस्त कर बनायी गई उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 को उसके संशोधित स्वरूप में लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल राम नाईक ने अंतत: उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) अध्यादेश 2015 पर अपनी मुहर लगा दी है। यह अध्यादेश उप्र राजस्व संहिता 2006 में संशोधन के लिए पिछले महीने राज्यपाल को भेजा गया था।

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    राजस्व संहिता (संशोधन) अध्यादेश 2015 में संक्रमणीय भूमिधर की श्रेणी में आने वाले अनुसूचित जाति के लोगों को जिलाधिकारी की अनुमति से तीन विशेष परिस्थितियों में अपनी खेती की जमीन गैर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को बेचने का अधिकार दिया गया है। प्रथम श्रेणी का उत्तराधिकारी न होने पर या कहीं और बस जाने पर या असाध्य बीमारी से इलाज के लिए जिलाधिकारी की अनुमति से वे अपनी जमीन बेच सकेंगे। एक ही प्लाट पर काबिज कई खातेदारों के खातों का भौतिक विभाजन नक्शे पर भी दर्शाने का प्रावधान शामिल किया गया है। खतौनी में सह-खातेदारों के नामों के आगे जमीन में उनके हिस्से भी दर्शाये जाएंगे। गैर कृषि भूमि की दाखिल-खारिज की व्यवस्था भी की गई है।

    संशोधित राजस्व संहिता में अविवाहित पुत्री को पुत्र और विधवा के साथ प्रथम श्रेणी का उत्तराधिकारी माना गया है। यदि किसी व्यक्ति को कोई भूमि आवंटित की जाती है तो उसकी पत्नी उसमें बराबर हिस्से की सह-खातेदार होगी। खास कारणों से खेती करने में असमर्थ भूमिधर को अपनी जमीन तय अवधि के लिए पट्टे पर देने का अधिकार दिया गया है। सीरदारी पट्टे के हकदार असामी पट्टेदारों को असंक्रमणीय भूमिधर का अधिकार दिया जाएगा लेकिन यह प्रावधान लोक उपयोगिता की भूमि के असामियों पर लागू नहीं होगा। यह भी व्यवस्था की गई है कि खतौनी के फर्जी और कपटपूर्ण इंद्राजों को उप जिलाधिकारी सरसरी कार्यवाही में खारिज कर सकता है। राजस्व निरीक्षक अविवादित आवश्यक जांच के बाद लिपिकीय त्रुटियों का संशोधन अपने स्तर से कर सकता है। मुकदमों को तेजी से निस्तारित करने के लिए राजस्व न्यायालयों में राजस्व अधिकारी (न्यायिक) की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। राजस्व बकाये की रकम यदि 50 हजार रुपये से कम है तो उसकी वसूली में बकायेदार की गिरफ्तारी नहीं होगी।

    12 वर्ष तक प्रतिकूल कब्जे के आधार पर कब्जेदार को संपत्ति का मालिक घोषित करने के मौजूदा कानून को खत्म करने का प्रावधान शामिल किया गया है। बड़ी योजनाओं के लिए अर्जित की गई जमीन के बीच में पडऩे वाली लोक उपयोगिता की भूमि की श्रेणी बदलने का अधिकार राजस्व संहिता में राज्य सरकार को दिया गया है। राज्य सरकार विशेष परिस्थितियों में लोक उपयोगिता की जमीन की श्रेणी बदलने या उसके विनिमय की मंजूरी दे सकती है।

    जल्दी जारी होगी अधिसूचना

    प्रमुख सचिव राजस्व सुरेश चंद्रा ने बताया कि राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद राजस्व संहिता के संशोधित स्वरूप को यथाशीघ्र सरकारी गजट में अधिसूचित किया जाएगा।

    16 अध्याय, 234 धाराएं

    संशोधित राजस्व संहिता में 16 अध्याय, 234 धाराएं और चार अनुसूचियां शामिल हैं। अध्यादेश के जरिये उप्र राजस्व संहिता 2006 में 39 मौलिक संशोधनों सहित कुल 189 संशोधन किये गए हैं।