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    यूपी में निजी बस अड्डे खोलने का रास्ता साफ, योगी सरकार 10 साल के लिए देगी लाइसेंस… कितनी लगेगी जमीन? जानें पूरा नियम

    Updated: Wed, 07 May 2025 09:23 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में निजी बस अड्डों के संचालन के लिए योगी कैबिनेट ने नई नीति को मंजूरी दे दी है। इसके तहत बस अड्डों की स्थापना के लिए कम से कम दो एकड़ जमीन और आवेदक की नेटवर्थ 50 लाख रुपये तथा टर्नओवर 2 लाख रुपये होना अनिवार्य है। अनुमति 10 वर्ष के लिए होगी और सही संचालन के बाद अगले 10 वर्ष के लिए नवीनीकरण संभव है।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। जागरण

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में निजी बस अड्डों के संचालन का रास्ता साफ हो गया है। दो एकड़ जमीन पर इन बस अड्डों की स्थापना की जा सकेगी। इसके लिए योगी कैबिनेट ने उप्र स्टेज कैरिज बस अड्डा, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज व आल इंडिया टूरिस्ट बस पार्क (स्थापना एवं विनियमन) नीति-2025 को स्वीकृति दे दी है। 

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    डीएम की अध्यक्षता में गठित होने वाली नियामक प्राधिकारी समिति पर इन बस अड्डों-पार्क की स्थापना के आवेदन लेने और अनुमति देने का जिम्मा रहेगा।

    मंगलवार को पास की गई नीति के अनुसार, इन बस अड्डों-पार्क की स्थापना के लिए कम से कम दो एकड़ भूमि होना आवश्यक होगा। आवेदक की नेटवर्थ बीते वित्तीय वर्ष में कम से कम 50 लाख रुपये और टर्नओवर कम से कम दो लाख रुपये होना भी अनिवार्य किया गया है। 

    निजी बस अड्डों के लिए दिशा-निर्देश-

    • जमीन की आवश्यकता: कम से कम 2 एकड़
    • नेटवर्थ: 50 लाख रुपये (बीते वित्तीय वर्ष में)
    • टर्नओवर: 2 लाख रुपये (बीते वित्तीय वर्ष में)
    • अनुमति की अवधि: 10 वर्ष (सही संचालन के बाद अगले 10 वर्ष के लिए नवीनीकरण संभव)

    प्रदेश में 10 से ज्यादा की अनुमति नहीं

    बस अड्डे की स्थापना के लिए आवेदक एकल या कंसोर्टियम के रूप में आवेदन कर सकता है। किसी भी आवेदक को प्रदेश में 10 से ज्यादा और एक जिले में दो से अधिक बस अड्डे-पार्क की स्थापना की अनुमति नहीं दी जाएगी। 

    इसके अलावा, एक ही मार्ग पर एक से अधिक बस अड्डों के संचालन की भी अनुमति नहीं मिलेगी। आवेदन स्वीकृत होने के बाद पहली बार 10 वर्ष के लिए अनुमति मिलेगी। इस अवधि में सही तरीके से संचालन के बाद अगले 10 वर्ष के लिए नवीनीकरण किया जा सकेगा।

    नीति के मुताबिक, बस अड्डे-पार्क की स्थापना के लिए आवेदक एक विधिक इकाई माना जाएगा। अनुमति मिलने के बाद एक वर्ष से पहले आवेदक किसी दूसरी विधिक इकाई को बस अड्डे के स्वामित्व का हस्तांतरण नहीं कर सकेगा। 

    अनियमित संचालन आदि अन्य स्थितियों में नियामक प्राधिकारी संचालक को सुनवाई का अवसर देने के बाद अनुमति के निलंबन या निरस्तीकरण का निर्णय भी कर सकेगा। 

    वहीं, नियामक प्राधिकारी के आदेश के विरुद्ध अपील के लिए संबंधित मंडलायुक्त को अपीलीय अधिकारी बनाया गया है। संचालन उनके सामने अपील कर सकेगा।

    नियामक प्राधिकारी में ये भी होंगे शामिल

    डीएम की अध्यक्षता में गठित होने वाली नियामक प्राधिकारी समिति में संबंधित जिले के पुलिस कप्तान या पुलिस आयुक्त प्रणाली वाले के जनपदों में आयुक्त द्वारा नामित अधिकारी, नगरीय निकाय या प्राधिकरण के अधिकारी, एसडीएम, पुलिस क्षेत्राधिकारी, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन, परिवहन निगम के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता और अध्यक्ष द्वारा नामित कोई विषय विशेषज्ञ सदस्य के रूप में शामिल होंगे।