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    'आयोग तय करे स्मार्ट प्रीपेड मीटर की वास्तविक दर', उपभोक्ता परिषद कीमत 6016 रुपये लिए जाने पर खड़े किए सवाल

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 08:33 PM (IST)

    राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन द्वारा स्मार्ट प्रीपेड मीटर की अधिक कीमत वसूलने पर सवाल उठाए हैं। परिषद ने नियामक आयोग से वास्तविक दर निर्धारित करने और मामले की जांच कराने की मांग की है। परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि अन्य राज्यों में दरें कम होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में अधिक वसूली की जा रही है। उन्होंने खरीद आदेश सार्वजनिक करने की भी मांग की है।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन द्वारा नया कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं से स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत 6016 रुपये लिए जाने पर सवाल खड़े किए हैं। कहा है कि विद्युत नियामक आयोग ने 17 अक्टूबर को स्पष्ट कर दिया था कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दर आयोग से निर्धारित नहीं है, इसके बावजूद उसी दर से उपभोक्ताओं से वसूली की जा रही है। मांग की है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की वास्तविक दर आयोग निर्धारित करे।

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    परिषद ने यह भी मांग की है कि नियामक आयोग इस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराए। उपभोक्ताओं से मीटर की कीमत के रूप में लिए गए अधिक धनराशि वापस कराई जाए। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया है कि नियामक आयोग ने स्पष्ट कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दर 6016 रुपये उसके द्वारा निर्धारित नहीं की गई है। वर्ष 2019 में कास्ट डाटा बुक में सिंगल फेज प्रीपेड मीटर की दर 6016 रुपये तय की गई थी, लेकिन जनवरी 2024 तक यह दर घटकर 3510 रुपये हो गई। थ्री फेज मीटर की दर वर्ष 2019 में 11341 रुपये थी जो 2023 में घटकर 6059 हो गई। यह जानकारी आयोग को नहीं दी गई।

    उन्होंने सवाल उठाया है कि जब अन्य राज्यों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरें कम हैं तो उत्तर प्रदेश में दरें इतनी अधिक क्यों हैं। महाराष्ट्र में सिंगल फेस मीटर की कीमत 2610 रुपये, राजस्थान में 2500 रुपये तथा कर्नाटक में (जीएसटी सहित) 4998 रुपये है। मांग की है कि पावर कारपोरेशन स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद के आर्डर को सार्वजनिक कराए। सच्चाई सामने आ जाएगी। दावा किया है कि मीटर निर्माता कंपनियों से महज 2350 से 2500 रुपये में मीटर खरीदे जा रहे हैं, जबकि उपभोक्ताओं से 6016 लिए जा रहे हैं।